स्व.रामचंद्र छत्रपति के बेटे ने फैसले पर जताई खुशी, कहा-अब पिता को भी न्याय मिलेगा

8/27/2017 12:16:33 PM

सिरसा(सतनाम सिंह):डेरा प्रमुख राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद पूर्व पत्रकार स्वर्गीय राम चंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। इसके साथ ही उन्होंने दोनों पीड़ित साध्वियों को केस आखिर तक लड़ने के लिए बधाई दी है। अंशुल ने कहा, ‘सीबीआई न्यायाधीश ने दबाव में नहीं आते हुए फैसला देकर स्पष्ट संदेश दिया है कि फर्जी साधु नहीं बच सकता। आम आदमी का न्यायपालिका में विश्वास जगा है।

पिता के केस पर जल्द इंसाफ आने की उम्मीद
अंशुल ने डेरा समर्थकों द्वारा पंचकूला अौर हरियाणा में किए उपद्रव के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार बताया है। उनका कहना है कि राज्य सरकार समय पर निर्णय लेती तो इस प्रकार के हालात नहीं होने थे। इसके साथ ही उनको अपने पिता के केस में जल्द इंसाफ आने की उम्मीद है। 

डेरा प्रमुख का सच छापने पर हुई हत्या
अंशुल ने बताया कि उनके पिता ने वर्ष 2000 में पूरा सच नामक पत्र शुरू किया था। इसी दौरान मई 2002 में एक गुमनाम पत्र पत्र को उनके पिता ने अपने अखबार में छापा था जिसके बाद उस समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने इसकी जांच सी.बी.आई. को सौंपी थी। जिसके बाद अंशुल के पिता को 24 अक्तूबर 2002 में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी।  गोली लगने के बाद छत्रपति ने लगभग महीने भर अस्पताल में ज़िंदगी और मौत की जंग लड़ी और 21 नवंबर 2002 को उनकी मृत्यु हो गई। इस दौरान पुलिस ने किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। अंशुल ने बताया कि अस्पताल में भर्ती उनके पिता ने पुलिस को अपने बयान में आरोपी के बतौर डेरा प्रमुख का नाम दर्ज करने के लिए कहा लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया। उसके बाद अंशुल ने न्याय की लड़ाई शुरू की। उल्लेखनीय है कि इस मामले का अंशुस छत्रपति ही इकलौते गवाह है। 

16 सितंबर को होगी मामले की सुनवाई
जनवरी 2003 में अंशुल ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सीबीआई जांच करवाने के लिए याचिका दायर की, जिस पर हाईकोर्ट ने नवंबर 2003 में सीबीआई जांच के आदेश दिए। इसके चार साल बाद 2007 में सीबीआई ने डेरा प्रमुख राम रहीम सिंह के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर की, नवंबर 2014 तक सभी साक्ष्य पेश किए गए। अब अगले महीने 16 सितंबर को इस केस की सुनवाई होनी है।