नेताओं पर मंडराने लगा अपनों का खौफ

4/29/2019 10:40:32 AM

गुडग़ांव(गौरव): लोकसभा चुनाव में 90 प्रतिशत से अधिक उम्मीदवारों ने जातिगत आधार पर वोट का गुणा-भाग लगाकर टिकट तो हथिया लिया,लेकिन अब उनकी गणित जातिगत आधार पर फेल होती नजर आ रही है क्योंकि इस बार प्रचार-प्रसार के दौरान अपनी ही बिरादरी के वोटर नेताओं से सवाल पूछने लगे हैं,अब क्या करें नेता,कहां जाएं, अब नेताओं को इस बात का खौफ  सताने लगा है कि कहीं अपनी ही बिरादरी उन्हें दगा ना दे जाए।

चुनाव प्रचार दौरान आजकल जातिगत आधार पर वोट की राजनीति करने वाले नेताओं के चेहरे पर उड़ी हवाइयां साफ देखी भी जा सकती हैं। मजे की बात तो यह है कि नेता वोटरों पर जातिगत निशाना साधने से बिल्कुल नहीं चूक रहे। हलांकि अभी निशाना सटीक लगता दिख नहीं रहा है।

इस बार वोटरों की कमजोरी नहीं पकड़ पा रहे नेता
इस बार का लोकसभा चुनाव कुछ अलग ही इतिहास रचने को बेताब है। कारण यह है कि इस बार अब तक किसी भी पार्टी के नेता वोटरों की सही कमजोरी नहीं पकड़ सके हैं,जिसके कारण नेता दिन-रात पसीने बहा रहे हैं। दरअसल नेता जानते हैं कि अब जनता को विकास के नाम पर बरगलाया नहीं जा सकता। जनता के बीच विश्वास जमाने के लिए कुछ अलग ही करना होगा।
 
वोटर कैसे और किस पर करें विश्वास

जागरुक मतदाताओं का कहना है कि किसी भी पार्टी के नेता पर कैसे विश्वास किया जाए,नेता चुनावी दिनों में पिछले 70 सालों से सिर्फ  सपने दिखा रहे हैं। मतदाताओं ने सभी पार्टियों को सरकार बनाने का मौका दिया है। सत्तासीन रही पार्टियां एक बार फिर उन्हें बरगलाने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन नेताओं पर कोई कैसे विश्वास करें। मतदाताओं का कहना है कि इस बार किसी भी नेता की लहर नहीं है, चाहे वह नेता नामी हो या अंजान। मतदाता अभी सही समय के इंतजार में हैं।

बेरोजगारी और महंगाई के नाम पर हमला कर रहे हैं वोटर
इस बार के लोकसभा चुनाव में वोटर भी शातिर नजर आ रहे हैं। चुनाव प्रचार में पहुंच रहे नेताओं पर बेरोजगारी और महंगाई का बम फोड़कर नेताओं की बोलती बंद कर दे रहे हैं। दरअसल जो भी नेता प्रचार में पहुंचता है,सबसे पहले वह बेरोजगारी और महंगाई का नाम लेकर राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास करता है,लेकिन प्रचार दौरान पब्लिक पहले से नेताओं के सामने मुंह बाए खड़ी रहती है। अब तक नेता सवाल करते थे और जवाब में पब्लिक से तालियां मिलती थीं लेकिन अब जनता सवाल कर रही है और जनता ही ताली भी बजा रही है। कुछ भी हो इस बार के चुनाव में मतदाता भी नेताओं की खूब परीक्षा ले रहा है।

kamal