हरियाणा में बनेगी लायन सफारी

7/17/2019 9:20:08 AM

चंडीगढ़ (अर्चना सेठी): जंगल के राजा शेर के लिए हरियाणा सरकार ने लॉयन सफारी बनाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश की इटावा और गुजरात के गिर लॉयन सफारी की तर्ज पर हरियाणा में सफारी बनाने की योजना है। बीते वर्ष हरियाणा के वन मंत्री राव नरबीर सिंह ने वन विभाग को निर्देश दिए थे कि अरावली में लॉयन सफारी बनाए जाने संबंधी फिजिएबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जाए। मंत्री ने पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ यहां सफारी बनाए जाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि वन विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में गुरुग्राम का दौरा किया है। पहले फरीदाबाद व गुरुग्राम में से एक जिले का चयन करने हेतु राव नरबीर ने निर्देश जारी किए थे और अब सफारी के लिए गुरुग्राम का चयन कर लिया गया है। 

शेरों के रखरखाव का लेंगे जायजा
हरियाणा के प्रिंसीपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट(वाइल्ड लाइफ) वी.एस.तंवर का कहना है कि सफारी निर्माण को ध्यान में रखते हुए हाल ही में गुरुग्राम का दौरा किया गया था परंतु अभी इटावा लॉयन सफारी का दौरा किया जाना है। इटावा में शेर किस तरह से रखे जा रहे हैं? पर्यटक सफारी के अंदर कैसे पहुंचते हैं? शेरों को किस तरह का खानपान दिया जा रहा है और शेरों को स्वस्थ रखने हेतु क्या-क्या सावधानियां बरती जा रही हैं यह सब देखना जरूरी है। सफारी का दौरा तो यही देखने के लिए किया जा रहा है कि हरियाणा में भी एक लॉयन सफारी बने।

तंवर का कहना है कि सफारी बनाए जाने से पहले सैंट्रल जू अथोरिटी (सी.जे.डी.ए.)की मंजूरी भी जरूरी है। जल्द ही सी.जे.डी.ए. की टीम गुरुग्राम का दौरा करेगी और सफारी के लिए तय प्रतिमानों को खरा पाने पर अनुमति दे देगी। उधर देहरादून वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट भी सफारी को लेकर तैयार की गई फिजिबिएलिटी रिपोर्ट वन विभाग को सौंप देगा। फिजिएबिलटी आंकने से पहले वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट की टीम ने अरावली में जानवरों की संख्या की गणना की थी जो कहती है कि जंगल में तेंदुओं की अच्छी तादाद है। तंवर का कहना है कि हरियाणा के वन मंत्री राव नरबीर सिंह चाहते हैं कि इटावा और गीर की तरह हरियाणा में भी लॉयन सफारी बने क्योंकि अरावली में बाघों की तरह शेरों के रहने हेतु माहौल, आबो-हवा सब कुछ अनुकूल है।

प्रिंसीपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फारेस्ट अनिल हुड्डा का कहना है कि इटावा लॉयन सफारी का दौरा करने के लिए जल्द ही हरियाणा से विभाग की टीम रवाना होगी। वहां शेरों की क्या संख्या है? कितनी क्षेत्र में शेरों को रखा गया है। एक शेर के लिए कितनी कामीन की जरूरत है? ऐसी बहुत सी चीजों का आंकलन करने के बाद ही लॉयन सफारी की योजना सिरे चढ़ सकेगी। फिलहाल यह योजना बहुत ही शुरुआती दौर में है। फिजिएबिलिटी रिपोर्ट, इटावा दौरा और सैंट्रल जू अथोरिटी की मंजूरी मिलने के बाद ही लॉयन सफारी बनाने का सपना साकार हो सकेगा।   

अरावली में 5 हजार एकड़ जमीन पर सफारी बनाने की योजना 
अरावली में 5 हजार एकड़ जमीन पर सफारी बनाने की योजना है। सफारी के लिए गुजरात की गिर सफारी से शेर लाने का प्रस्ताव भी है। काबिले गौर है कि इससे पहले मोरनी में लेपर्ड सैंचुरी (तेंदुआ अभ्यारण्य) बनाने का सपना भी देखा गया था। देहरादून के वाइल्ड लाइफ इंस्टीच्यूट ने जहां अभ्यारण्य निर्माण से पहले रिपोर्ट तैयार करने हेतु एक करोड़ रुपए मांग लिए थे वहीं मोरनी के बाशिंदों ने अभ्यारण्य के खिलाफ विरोध जता दिया था क्योंकि अभ्यारण्य की वजह से मोरनी की 350 के करीब ढाणियां खत्म हो जातीं।

सर्दी में उड़ान भरेंगे हरियाणा के 8 गिद्ध, अमरीका से हरियाणा पहुंचे सैटेलाइट टैग्स
हरियाणा में पिंजौर स्थित जटायु कंजर्वेशन ब्रीडिंग सैंटर से 8 गिद्ध उड़ान भरने को तैयार हो गए हैं। अमरीकन कंपनी के गिद्धों की गर्दन पर लगाए जाने वाले सैटेलाइट टैग्स को हरियाणा भेज दिया है। यह खास किस्म के टैग्स ब्रीडिंग सैंटर को सूचित करते रहेंगे कि गिद्ध किस जगह उड़ान भर रहे हैं,क्या खा रहे हैं और किस स्थिति में हैं। 18 साल पहले हुई गिद्धों की मौत के बाद घटी आबादी के संरक्षण हेतु हरियाणा के वन्य जीव विभाग ने पिंजौर में ब्रीडिंग सैंटर की शुरुआत की थी।

असम,बांग्लादेश, उड़ीसा,दिल्ली, राजस्थान,गुजरात से गिद्धों की जोडिय़ां लाकर ब्रीडिंग सैंटर में रखी गई थी। बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के वैज्ञानिक व सैंटर प्रभारी डॉ.विभु प्रकाश का कहना है कि 50 गिद्धों के साथ वर्ष 2004 में सैंटर शुरू किया गया था। आज इनकी सं?या 330 हो गई है। 275 गिद्धों ने पिंजौर के सैंटर में ही जन्म लिया है। एक गिद्ध की जोड़ी साल में एक ही अंडा देती है। 

25 से 50 प्रतिशत अंडे ही ऐसे होते हैं जो बच्चे बनते हैं शेष अंडे खराब हो जाते हैं। अगर अंडा खराब हो जाता है तो गिद्ध की जोड़ी साल में दूसरा अंडा भी देती है। गिद्धों की इस आदत को देखते हुए पहले अंडे को उठाकर आर्टिफिशियली इनक्यूबेट किया गया ताकि गिद्ध दूसरा अंडा भी दे और इस तरह उनकी आबादी बढ़ाई गई। बीते साल 2 गिद्धों को जंगल में छोड़ा गया था ताकि यह देखा जाए कि सैंटर के अंदर रहने वाले गिद्ध खुले गगन में उड़ान भर सकते हैं या नहीं। वे उडऩे के बाद नहीं लौटे। अब 8 गिद्धों को खुले में छोड़ा जाएगा व सैटेलाइट टैग्स उनकी गर्दन पर लगाए जा रहे हैं।

2 साल तक इन 8 गिद्धों पर नजर रखी जाएगी और कहीं किसी तरह की दिक्कत होगी तो उनकी लोकेशन पर पहुंचकर मदद भी की जाएगी। 8 में से 6 गिद्धों ने सैंटर में ही जन्म लिया है जबकि दो गिद्ध वो हैं जिन्हें जंगल से पकड़ा गया था। सर्दी के दिनों में गिद्धों को इसलिए छोड़ा जाएगा क्योंकि उन दिनों में हिमालयन गिद्ध (ग्रिफन) हरियाणा आते हैं और जब वह लौट रहे होंगे तो उनके साथ हरियाणा के गिद्ध आसमान में छोड़े जाएंगे। प्रिंसीपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट वी.एस.तंवर का कहना है कि एक सैटेलाइट टैग की कीमत 3 लाख रुपए है। 8 टैग्स में से 4 टैग मोबाइल ऑपरेटेड होंगे।  

Edited By

Naveen Dalal