लॉकडाउन: शू क्लस्टर को करोड़ों का नुकसान, जूता बनाने वाली फैक्ट्रियों पर लगा ताला

4/27/2020 1:02:47 PM

बहादुरगढ़ (प्रवीण धनखड़) : देश का सबसे बड़ा शू कलस्टर भी लॉक डाउन की मार झेल रहा है। लॉक डाउन पीरियड के दौरान बहादुरगढ़ की करीब एक हजार जूता फैक्ट्रियां बंद पड़ी है।जिससे अब तक करीब 5 हजार करोड रुपए का नुकसान हो चुका है। इन फैक्ट्रियों में डायरेक्ट इनडायरेक्ट रूप से करीब 2 लाख श्रमिक काम करते हैं। यहां देश के 50 प्रतिशत से ज्यादा नॉन लेदर जूतों का निर्माण किया जाता है। कोविड-19 यानी कोरोनावायरस से बचाव के लिए लगाए गए लॉक डाउन ने जूता उद्योग की कमर तोड़ कर रख दी है। फैक्ट्री मालिक लॉक डाउन पीरियड की सैलरी भी श्रमिकों को देने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में उद्योगपति सरकार से राहत पैकेज देने की मांग कर रहे हैं।



बहादुरगढ़ फुटवेयर एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट नरेंद्र छिकारा का कहना है कि लॉक डाउन के कारण सभी फैक्ट्रियां बंद हो गई थी। एसोसिएशन ने 3 मई तक सभी फैक्ट्रियां बंद करने का निर्णय लिया है और अगर लॉक डाउन आगे बढ़ता है। तो भी वह या तो अपनी फैक्ट्रियां बंद रखेंगे या फिर 33% श्रमिक लगाकर फैक्ट्री में प्रोडक्शन शुरू करेंगे। उन्होंने प्रदेश सरकार से जूता उद्योग को बर्बाद होने से बचाने के लिए दूसरे प्रदेश की सरकारों की तरह कुछ रियायतें देने की मांग की है। उन्होंने केंद्र सरकार से चीन से इंपोर्ट होने वाले जूतों पर रोक लगाने की मांग की है। इतना ही नहीं बिजली बिल पर सरचार्ज माफ करने और लोन की किस्त पर ब्याज माफ करने की मांग की है।



वहीं फैक्ट्री मालिक सचिन ने भी सरकार से उद्योगों को हो रहे भारी नुकसान से बचाने की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि वे लॉक डाउन पीरियड की सैलरी श्रमिकों को देने में असमर्थ हैं। ऐसे में ईएसआई अथवा अन्य किसी फंड से श्रमिकों की सहायता करवाने की मांग की गई है। उनका कहना है कि भारी भरकम लोन लेकर वे अपनी फैक्ट्री चला रहे हैं। ऐसे में जब लॉक डाउन के कारण फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं तो वह लोन की किस्त देने में भी असमर्थ हैं। अगर किस्त पर ब्याज माफ कर दिया जाए तो उद्योगपति राहत की सांस ले सकेंगे। इतना ही नहीं अगर सरकार 1 साल तक बैंक की किस्त नहीं चुकाने वाले उद्योगपतियों को एनपीए होने से बचाने के लिए भी कोई रास्ता निकालती है तो उद्योग जगत को बहुत  तो उद्योग जगत को बहुत राहत मिल सकती है।

लॉक डाउन खुलने के बाद भी जूता बनाने वाली इन फैक्ट्रियों को लाइन पर आते-आते करीब ढाई महीने का समय लग जाएगा। जूता बनाने और बेचने के साथ-साथ इसकी सप्लाई चैन भी बिल्कुल टूट चुकी है। ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। ताकि फैक्ट्रियां लॉक डाउन खुलने के बाद सुचारू रूप से चल सके और श्रमिकों को बेरोजगार होने से बचाया जा सके।

Edited By

Manisha rana