मोटा मुनाफा कमाने के लिए किया हेर-फेर, जांच की आंच 3 एसडीएम सहित 22 पर

6/7/2021 12:37:22 AM

पलवल (दिनेश): मुंबई-दादरी रेलवे फ्रेट कारिडोर जमीन अधिग्रहित अवार्ड घोटाले की जांच की आंच पलवल जिले के तीन एसडीएम सहित सहित 22 कर्मचारियों व अधिकारीयों तक पहुँच चुकी है। सरकार से मोटा मुआवजा लेने के लिए इन लोगों ने मात्र 78 गज जमीन के अवॉर्ड के लिए 150 परिचित लोगों को मालिक बनाया था और और जमीन अधिग्रहण में लगभग 45 हजार रुपए ले अवॉर्ड को बढ़ाकर 22 करोड़ रुपए तक पहुंचा दिया था, जिसके बाद पलवल जिले के अधिकारियों की यह कार्रवाई रेलवे विभाग को रास नहीं आई और मामले की शिकायत रेलवे विभाग से पलवल के डीसी और हरियाणा के सीएम से की थी।

जानकारी के मुताबिक, सन 2018 से अब तक पलवल जिले में रहे अधिकारियों और कर्मचारियों पर जमीन अधिग्रहण में अपने परिचित लोगों को लाभ पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं। ये आरोप खुद रेलवे विभाग ने पलवल के डीसी और हरियाणा के सीएम से शिकायत कर लगाए। जब मामले की जांच हुई तो मुंबई-दादरी रेलवे फ्रेट कॉरिडोर जमीन अधिग्रहित अवार्ड में घोटाले की बू भी आई है। साफ तौर अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही को जांच रिपोर्ट में दर्शाया गया है। 

रिपोर्ट में 3 सब डिविनिजल मजिस्ट्रेट, 5 तहसीलदार, 6 रजिस्ट्री क्लर्क, पटवारी व दो उच्चाधिकारियों के नाम भी शामिल किए गए हैं। रिहैबिलेशन एंड सेटलमेंट पॉलिसी के दुरुपयोग करने की बात साफ तौर पर दर्शाई गई है। साल 2014 में रिहैबिलेशन एंड सेटलमेंट पॉलिसी का प्रयोग नहीं करने के आदेशों की भी अवहेलना किया जाना भी जांच रिपोर्ट में लिखा गया है। 10 मार्च को एसडीएम कार्यालय को मुंबई दादरी रेलवे फ्रेट कॉरिडोर अधिकारियों की शिकायत पर सील भी किया गया। एसडीएम कंवर सिंह ने रेलवे के लिए अधिग्रहित जमीन के परिचित हिस्सेदारों को लाभ पहुंचाने की नियत से अवार्ड सुनाते समय रिहैबिलेशन एंड सेटलमेंट पॉलिसी का प्रयोग किया। 

दरअसल, मुंबई-दादरी रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के लिए साल 2013 में जमीन का अधिग्रहण किया गया था। रेलवे को कुछ और जमीन की जरूरत पड़ी तो उसके लिए गांव असावटी, मैदापुर, जटौला, पृथला, छपरौला, टहरकी और कलवाका आदि गांवों की कुछ जमीन का अधिग्रहण किया गया। दोबारा जमीन अधिग्रहण के नोटिफिकेशन के बाद पटवारियों और एसडीएम कार्यालय के कर्मचारियों ने रेलवे नियमों का लाभ उठाने के लिए छोटे-छोटे टुकड़ों में जमीन की रजिस्ट्री करवाई। रेलवे के लिए अधिग्रहण वाली जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े जैसे 7 गज, 12, गज, 15 गज में 30-30, 40-40 लोगों के नाम शामिल कर दिए गए। इनमें जींद, कैथल, फरीदाबाद, बल्लभगढ़, सोनीपत के लोगों को शामिल किया गया।

रजिस्ट्री में दर्ज नामों के पूरे नाम व पते नहीं दर्शाए गए। पृथला और छपरौला में दर्ज 8 रजिस्ट्रियों में भी इसी प्रकार अधिकारियों द्वारा हेराफेरी की गई है। इस बारे में रेवेन्यू विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिस व्यक्ति ने रजिस्ट्री करवाई है वहीं उनकी पहचान कर सकता है। रजिस्ट्री में शामिल लोगों के फोटो भी नहीं लगाई गई। जमाबंदी में एक नाम है जबकि रजिस्ट्री में 40 नाम शामिल हैं। रिहैबिलेशन एंड सेटलमेंट पॉलिसी का लाभ उठाने की नीयत से नाम दर्ज करवाए गए हैं। 

इस बारे में रेलवे ने साल 2019 के एक आदेश का हवाला देते हुए अवार्ड देने से इंकार कर फरीदाबाद के कमिश्नर संजय जून की अदालत का दरवाजा खटखटाया। मामला उजागर होने पर पलवल के डिप्टी कमिश्नर नरेश नरवाल ने डीसी सतेन्द्र की अध्यक्षता में तीन दिवसीय कमेटी का गठन किया। समिति में जिला परिषद सीईओ अमित कुमार और डीआरओ रामफल कटारिया को शामिल किया गया। समिति ने जांच रिर्पोट डिप्टी कमिश्नर नरेश नरवाल को सौंप दी। रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2018 के दौरान एसडीएम जितेन्द्र कुमार, नरेश कुमार और कंवर सिंह की लापरवाही सामने आई। इनके अलावा 5 तहसीलदार, 6 रजिस्ट्री क्लर्क और पटवारियों को भी लापरवाही का जिम्मेदार माना गया। इनके अलावा दो उच्चाधिकारियों के नाम भी शामिल किए गए हैं।

पलवल के एडीसी सतेन्द्र दूहन ने बताया कि साल 2018 से 2021 तक अधिकारियों की कार्यप्रणाली का जांच रिर्पोट में दर्शाया गया है। इसमें तीन एसडीएम और 5 तहसीलदारों के नाम भी शामिल हैं। जांच में रिहैबिलेशन एंड सेटलमेंट पॉलिसी का प्रयोग किया गया है। साल 2019 की 11 नवंबर के एक आदेश के बाद रेलवे के मामले में हरियाणा में पहली बार इस पॉलिसी का प्रयोग किया गया है। प्रदेश सरकार ने एसडीएम कंवर सिंह को निलंबित कर नियम -7 के तहत चार्जशीट किया है साथ ही एसडीएम कंवर सिंह , जितेंदर कुमार , डॉ. नरेश के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं

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Shivam