हरियाणा के चारों लालों की परंपरा मनोहर लाल ने भी बरकरार रखी , राजनीति की धुरी बने हर लाल ने की केंद्र की राजनीति

punjabkesari.in Friday, Jun 07, 2024 - 04:42 PM (IST)

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा की राजनीति की धुरी रहे चार लाल एक के बाद हर कोई हरियाणा की सत्ता संभालने के बाद केंद्र की राजनीति में पहुंचा। बात चाहे देवीलाल की हो या फिर बंसीलाल या भजनलाल हर किसी ने हरियाणा के साथ केंद्र की राजनीति में भी अपनी पकड़ बनाई। इनके बाद हरियाणा की राजनीति में आए मनोहर लाल भी प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी भूमिका बनाकर केंद्र की राजनीति में पहुंच गए हैं। इन चारों लालों ने हरियाणा की सत्ता का संचालन बेखूबी कर जहां खुद को प्रमाणित किया। वहीं, देवीलाल को छोड़ दें तो बाकी के तीनों लाल अपनी-अपनी पार्टी के उस नेता के करीब रहे, जिसने देश के प्रधानमंत्री के रूप में काम किया। अतीत में हरियाणा की राजनीति में सक्रिय ये सभी लाल एक से अधिक बार प्रदेश के सीएम के पद पर काबिज हुए। 

सबसे पहले बात करते हैं हरियाणा की राजनीति पर काबिज हुए पहले लाल बंसीलाल की। चौधरी बंसीलाल 1968, 1972 1986 और 1996 में में चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। वे भगवत दयाल शर्मा और राव बीरेंद्र सिंह के बाद हरियाणा के तीसरे मुख्यमंत्री बने थे। वह 31 मई 1968 को पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने और उस पद पर 13 मार्च 1972 तक रहे। इसके बाद 14 मार्च 1972 को  उन्होंने दूसरी बार राज्य में मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया और 30 नवम्बर 1975 तक पद पर बने रहे। इसी प्रकार 5 जून 1986 से 19 जून 1987 तक और 11 मई 1996 से 23 जुलाई 1999 तक चार बार वह प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। आज भी प्रदेश के विकास को लेकर हरियाणा के लोग बंसीलाल को याद करते हैं। इंदिरा गांधी और संजय गांधी के करीबी होने के कारण बंसीलाल ने दिसंबर 1975 से मार्च 1977 तक केंद्र में रक्षा मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी और 1975 में केंद्र सरकार में बिना विभाग के मंत्री के रूप में उनका एक संक्षिप्त कार्यकाल रहा। उन्होंने रेलवे और परिवहन विभागों का भी संचालन किया। 

1996 में बंसीलाल ने कांग्रेस छोड़ प्रदेश स्तरीय पार्टी हरियाणा विकास पार्टी का गठन किया। बीजेपी के सहयोग से 11 मई 1996 से 23 जुलाई 1999 तक चौथी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन शराब बंदी को लेकर सत्ता में आने वाले बंसीलाल से बीजेपी ने गठबंधन तोड़ दिया और वह सत्ता से बाहर हो गए। 

अब बात करते हैं हरियाणा की राजनीति के दूसरे लाल चौधरी भजनलाल की। भजनलाल भजनलाल 29 जून 1979 से 22 जनवरी 1980 तक 208 दिन, 22 जनवरी 1980 से 5 जुलाई 1985 तक और 23 जुलाई 1991 से मई 1996 तक दिन तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। भजनलाल भी कांग्रेस शासन के दौरान केंद्र में मंत्री रहे। भजनलाल को राजनीति का पीएचडी कहा जाता था और उनके राज में आया राम गया राम की राजनीती काफी चर्चा में रही। भजनलाल गैर जाट नेताओं के अंदर सर्वाधिक प्रभावशाली नेता रहे। राजनीति के चाणक्य और कई दलबदल के ‘इंजीनियर’ रहे भजनलाल ने भी अपने अंतिम दिनों में कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा जनहित कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी बनाई, लेकिन वह अपनी ही पार्टी के विधायकों को दल बदलने से नहीं रोक सके। भजनलाल ने एक पंच के रूप में अपना राजनितिक सफर शुरू किया था और प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ केंद्र तक की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने केंद्र में कांग्रेस नीत सरकार में कई पदों पर योगदान दिया। राजीव गांधी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में उन्होंने कृषि, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के कामकाज संभाले। गैर जाट समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले भजनलाल लम्बे समय तक हरियाणा की राजनीति के केंद्र में रहे। 

अब बात करते हैं हरियाणा की राजनीति के दूसरे लाल चौधरी देवीलाल की। आज भले ही इनका नाम लेकर राजनीति करने वाली इनेलो और जेजेपी राजनीतिक रूप से हाशिये पर जाती दिखाई दे रही है, लेकिन एक दौर ऐसा था जब हरियाणा ही नहीं बल्कि केंद्र की राजनीति में भी चौधरी देवालाल का दबदबा था। देवीलाल 21 जून 1977 से 10 मई 1978 और 10 मई 1978 से 28 जून 1979 तक मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद वे 20 जून 1987 से 2 दिसंबर 1989 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। चौधरी देवीलाल की जनता पर पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 9 जुलाई 1987 से 6 अप्रैल 1991 तक के युग जिसे देवीलाल युग भी कहा जाता है में बीजेपी-इनेलो ने  विधानसभा की 90 सीट में से रिकॉर्ड 85 सीट जीती थी। देवीलाल की ओर से बनाया गया ये रिकॉर्ड आज तक कोई भी तोड़ नहीं पाया है।

देवीलाल के नाम 5 बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने का भी रिकॉर्ड है। इसके बाद चौधरी देवीलाल ने कांग्रेस के खिलाफ सभी दलों को इकट्ठा कर केंद्र की राजनीति की और देश के उप प्रधानमंत्री बने। हालांकि 2005 में हरियाणा की राजनीति में एक ऐसा भी समय आया जब प्रदेश की जनता  को लगा की अब उन्हें लालों के राज से मुक्ति मिल गई।
शायद अभी हरियाणा की जनता को एक और लाल के राज को झेलना था, इसीलिए 2009 में अचानक से हरियाणा की राजनीति में प्रकट हुए मनोहर लाल एकाएक सत्ता पर काबिज हो गए। राजनीति में प्रवेश करते ही वह सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हो गए। 2019 के चुनावों में मनोहरलाल दूसरी बार लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उनके नेतृत्व में लड़ते हुए बीजेपी ने अकेले अपने दम पर 40 सीट हासिल की। 26 अक्टूबर 2014 को उन्होंने हरियाणा के 10वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी।  18 वर्ष बाद वे इस पद पर विराजमान होने वाले पहले गैर जाट नेता थे। दूसरी पारी के दौरान बीच में ही बीजेपी की ओर से उनसे हरियाणा के मुख्यमंत्री और विधायक दोनों पदों से इस्तीफा दिला दिया जाता है और उन्हें केंद्र  की राजनीति में सक्रिय करने के लिए करनाल से लोकसभा का चुनाव लड़वाया गया,  जिसमें वह विजेता हुए और अब वह बीजेपी में केंद्र की राजनीति करेंगे। 

ऐसे मिला एक लाल से छुटकारा
हरियाणा की राजनीती में एक दौर ऐसा था जब सत्ता पर काबिज होने वाला कोई ना कोई लाल ही होता था। फिर वह चाहे देवीलाल हो या बंसीलाल और चौधरी भजनलाल हो। यह तीनों साल अपने समय में हरियाणा की राजनीति के पर्यायवाची बन चुके थे। इनमें यदि बंसीलाल और भजनलाल की बात करें तो ये दोनों कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय थे। सत्ता पर लालों के काबिज होने से दुखी कुछ नेताओं ने सत्ता से इनहें बेदखल करने के लिए अलग से एक ग्रुप बनाया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में बने इस ग्रुप में पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्नल राम सिंह, पूर्व सांसद पंडित चिरंजी लाल शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा और पूर्व मंत्री करतार देवी जैसे दिग्गज चेहरे शामिल थे। इन्होंने 1996 से 2004 तक हरियाणा में अनेक स्थानों पर रैलियां की। नतीजा ये हुआ कि भजनलाल के नेतृत्व में 2004 का चुनाव लड़ने के बावजूद बहुमत आने पर कांग्रेस ने भूपेंद्र हुड्डा को हरियाणा का मुख्यमंत्री बना दिया।

ये  भी बने हरियाणा के मुख्यमंत्री
इन लालों के अलावा कई अन्य नेता भी थे, जो हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। इनमें एक नंबर 1966 से 27 मार्च 1967 तक पंडित भगवत दयाल शर्मा, 24 मार्च 1967 से 20 नवंबर 1967 तक राव बीरेंद्र सिंह, एक दिसंबर 1975 से 30 अप्रैल 1977 तक बनारसी दास गुप्ता, 2 दिसंबर 1989 से 22 मई 1990, 12 जुलाई 1990 से 17 जुलाई 1990 तक तक ओम प्रकाश चौटाला, 17 जुलाई 1990 से 22 मार्च 1991 तक हुकम सिंह, 22 मार्च 1991 से 5 अप्रैल 1991 तक फिर से ओम प्रकाश चौटाला, 24 जुलाई 1999 से 5 मार्च 2005 तक फिर से ओम प्रकाश चौटाला प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इसके अलावा 5 मार्च 2005 से 26 अक्तूबर 2014 तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 
ऐसे बढ़ी विधायकों की संख्या

एक नवंबर 1966 को अलग राज्य के रूप में हरियाणा का गठन होने के बाद इसकी विधानसभा में 54 सीटे बनाई गई, जिसमें 10 अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित थीं। मार्च 1967 में संख्या को बढ़ाकर 81 किया गया और 1977 में इसे 90 किया गया, जिनमें 17 अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं। 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Isha

Related News

static