दादुपुर नलवी नहर के मिट्टी घोटाले में विजिलेंस करेगी जांच: खट्टर

10/25/2017 1:14:53 PM

चंडीगढ़(ब्यूरो): हरियाणा विधानसभा सत्र के पहले दिन दादुपुर नलवी नहर परियोजना बंद करने के फैसले पर जमकर हंगामा हुआ। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने बाद में मीडिया से बातचीत करते हुुए ऐलान किया कि दादूपुर-नलवी नहर प्रोजेक्ट में अधिग्रहित अपनी जमीन अगर किसान वापस लेते हैं तो उनसे अवॉर्ड राशि पर 15% ब्याज नहीं लिया जाएगा। किसान सिर्फ अवॉर्ड राशि लौटाकर जमीन वापस ले सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि दादूपुर-नलवी नहर की खुदाई से निकली मिट्टी चोरी की जांच कराई जाएगी। पहले अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय कमेटी मामले के तथ्यों को पता लगाएगी। उसके बाद इसकी जांच स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को भी सौंपी जा सकती है। संदेह जताया जा रहा है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार में हुई नहर खुदाई के दौरान निकली मिट्टी को कुछ रसूखदार लोगों ने अवैध रूप से बेच दिया था।

उल्लेखनीय है कि गत दिवस दादुपुर नलवी नहर मामले को लेकर विपक्ष ने सदन में दबरदस्त हंगामा किया था।  इस मुद्दे को लेकर विपक्षी पार्टियों इनेलो-कांग्रेस ने काम रोको प्रस्ताव पेश किए। इसे स्पीकर कंवरपाल गुर्जर ने मंजूर कर लिया लेकिन कांग्रेसी विधायक इस बात पर अड़ गए कि विधानसभा का सारा काम तुरंत रोककर पहले इस मुद्दे पर चर्चा कराई जाए। इस पर स्पीकर ने कहा कि प्रस्ताव मंजूर हो गया है, लेकिन चर्चा मंगलवार को कराई जाएगी। इस पर भी कांग्रेस विधायक नहीं माने और सत्ता पक्ष के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी कांग्रेसियों के खिलाफ नारेबाजी की। काफी रोकने पर भी कांग्रेसी नहीं माने तो स्पीकर ने कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी समेत पार्टी के 15 विधायकों को नेम कर एक दिन के लिए सदन से बाहर निकाल दिया था।

रोहतक की कंपनी पर मिट्टी उठाने का आरोप
सीएम ने बताया कि दादूपुर-नलवी नहर के अलावा पंचकूला के कौशल्या डैम, सिरसा में ओटू झील, हांसी-बुटाना नहर खुदाई की मिट्टी चोरी की जांच कराई जाएगी। सीएम के मुताबिक एक किसान ने जानकारी दी है कि दादुपुर-नलवी नहर खुदाई के दौरान रोहतक के ठेकेदार बलवान एंड कंपनी ने उनके खेत से मिट्टी उठाई थी। इसकी भी जांच कराई जाएगी और आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा।

सरकार ने हाल में दादूपुर-नलवी नहर प्रोजेक्ट को डी-नोटिफाई किया है। जमीन वापस लेने के लिए किसानों को 15% ब्याज समेत अवॉर्ड राशि लौटाने का फैसला किया था। विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा घोषणा कर चुके हैं कि सरकार ने प्रोजेक्ट डी-नोटिफाई करने का फैसला रद्द नहीं किया तो कांग्रेस सदन नहीं चलने देगी। वहीं, सीएम ने कहा कि लंबे अध्ययन के बाद पुष्टि हुई कि यह नहर किसानों के हित में नहीं, बल्कि उनके लिए नुकसानदायक साबित हो रही थी। इसलिए इसे डी-नोटिफाइड किया गया। नहर के लिए करीब 900 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी। इसके लिए किसानों को तब 6 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया गया था। इस मुद्दे पर विपक्ष केवल राजनीति कर रहा है।