खट्टर को अपने मंत्रियों पर नहीं है भरोसा!

8/27/2017 8:46:22 AM

चंडीगढ़ (दीपक बंसल/अविनाश पांडेय):पंचकूला कांड से किरकिरी झेल रहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने डेरा प्रमुख की पेशी पर सुरक्षा इंतजामों को लेकर अपने मंत्री साथियों को भी भरोसा में नहीं लिया। अब इस बात की चर्चा खट्टर के मंत्रियों में जोर-शोर से उठनी शुरू हो गई है और कई मंत्रियों ने अंदर ही अंदर इसका विरोध किया है। मंत्रियों का कहना है कि जब मुख्यमंत्री को इतने बड़े मामले में अपने मंत्रियों से बात करने की फुर्सत नहीं है तो किस तरह से सुरक्षा व्यवस्था बेहतर हो पाएगी। कई मंत्रियों ने इस बात को सिरे से खारिज किया कि बीते मंत्री समूह की मीटिंग में डेरा प्रमुख की पेशी को लेकर चर्चा की गई। मंत्रियों ने बताया कि इस मामले में शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा सहित कई मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर चर्चा करने की बात कही तो मुख्यमंत्री ने टॉपिक ही बदल दिया था। फिलहाल पंचकूला कांड से मंत्रियों में काफी रोष है और पार्टी व मंत्री समूह की अगली मीटिंग में उनका रोष दिखाई पड़ सकता है। पार्टी और सरकार की अंदरूनी सियासत में यह बात चल रही है कि पंचकूला आगजनी में 31 लोगों की मौत की जिम्मेदारी आखिर किसकी बनती है। 

घटनाक्रम के लिए खुद को अलग कर रहे हैं मंत्री
पंचकूला प्रकरण पर खट्टर सरकार पूरी तरह से बंट गई है। सरकार के एक मंत्री ने कहा कि इस घटना के लिए उनसे नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री और उनके सिपहसालार से पूछो। पंचकूला में हिंसा व आगजनी के बाद सी.एम. ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में केवल वही मंत्री पहुंचे, जो चंडीगढ़ में ही मौजूद थे। 

सी.एम. का नया प्रयोग भी हुआ असफल
रामपाल प्रकरण और जाट आरक्षण आंदोलन में फिसड्डी रहने वाले अफसरों को हटाने के बाद मुख्यमंत्री ने जिन नए अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी, वह प्रयोग भी मुख्यमंत्री का असफल ही रहा। वहीं खट्टर सरकार की ओर से भले ही मंत्रियों को अपने क्षेत्र में रहने को कहा गया हो, लेकिन मंत्री इसका खंडन करते हैं। 

राम निवास, गृह सचिव
वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी राम निवास को बीते साल जाट आरक्षण आंदोलन के बाद गृह सचिव बनाया गया था। राम निवास ने डेरा प्रमुख की पेशी को लेकर पिछले 5 दिनों से हर रोज अपनी योजनाओं को मीडिया से सांझा किया, लेकिन उनका तंत्र भी सफल नहीं हो सका। धारा 144 के मुद्दे पर आज भी राम निवास कुछ कहने से बचते रहे।

बी.एस. संधू, डी.जी.पी.
हरियाणा में खट्टर सरकार आने के बाद 3 डी.जी.पी. बदले जा चुके हैं। पहले रामपाल प्रकरण के बाद एस.एन. वशिष्ठ को हटाया और फिर जाट आंदोलन के बाद वाई.पी. सिंघल की छुट्टी की गई। डा. के.पी. सिंह सरकार की सियासत में फंसने के बाद हटा दिए गए थे। मौजूदा डी.जी.पी. बी.एस. संधू भी अपने कार्यकाल के पहले टास्क में ही कमजोर साबित हो गए।

अनिल राव:आई.जी. सी.आई.डी.
जाट आरक्षण आंदोलन के बाद अनिल राव को आई.जी. सी.आई.डी. लगाया गया था। इससे पहले सी.आई.डी. मुखिया पद से शत्रुजीत कपूर तैनात थे। चर्चा है कि पुलिस अफसरों की तैनाती में मुख्यमंत्री अभी भी कपूर से सलाह-मशविरा करते रहते हैं। राव के आने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ और पंचकूला प्रकरण में उनका इनपुट गलत साबित हुआ।