केंद्रीय नेतृत्व का फैसला है कि मनोहर लाल छोटे घर से निकलकर बड़े घर में जाएं: त्रिखा
punjabkesari.in Tuesday, Apr 02, 2024 - 05:58 PM (IST)
चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी): भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनावों को लेकर हरियाणा के सभी 10 उम्मीदवारों को मैदान में उतार चुकी है, जबकि विपक्ष अभी तक सुनिश्चित नहीं कर पाया कि उनकी टिकट पर कौन-कौन कहां-कहां से लड़ेगा, इसके जवाब में नवनियुक्त स्कूली शिक्षा एवं उच्चतर शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा ने कहा कि समझदार व्यक्ति केवल वही होता है जो अपनी थाली की ओर देखता है, हम दूसरे की थाली की तरफ बिल्कुल नहीं देखते। यह उनका फैसला है कि उनकी तरफ से कौन-कौन मैदान में उतरे। लेकिन हम अपने फैसले के साथ चलेंगे। प्रदेश की जनता केवल और केवल मोदी, केवल बीजेपी, केवल मनोहर और केवल नायब सिंह सैनी के साथ है। मनोहर लाल को तो मैं पूर्व मुख्यमंत्री बोलती ही नहीं, बल्कि उन्हें अभूतपूर्व मुख्यमंत्री बोलना चाहती हूं। क्योंकि वह पूर्व नहीं अभूतपूर्व शख्सियत है। उनकी कार्यशैली सदा प्रदेश वासियों के प्रति समर्पित रही है। हमारी पार्टी संगठन द्वारा लिए गए फैसलों के अनुसार हमारे सभी कार्यकर्ता काम करते हैं।
मनोहर लाल भी एक मजबूत कार्यकर्ता के रूप में अलग-अलग तरह से मजबूत सेवाएं दे चुके हैं, इसलिए केंद्रीय नेतृत्व का फैसला है कि वह छोटे घर से निकलकर बड़े घर में जाएं। प्रदेश से निकलकर केंद्र में जाने की उनकी तैयारी हुई है। दिल और जान से लोग सहयोग कर रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को भी विधानसभा चुनाव लड़ना है। मनोहर लाल और नायब सिंह दोनों बड़े- छोटे भाइयों की तरह मिलकर प्रदेश में सभी 10 लोकसभा सीटें जीतेंगे और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी अव्वल स्थान पर रहेंगे।
संस्कारों के मंच से 'आप' का जन्म हुआ और इन्होंने कारागार तक की पीएचडी कर ली: त्रिखा
विपक्षी नेताओं द्वारा सभी 10 लोकसभा सीटें जीतने के दावे के जवाब में सीमा त्रिखा ने कहा कि राजनीति में दो तरह के लोग होते हैं, एक धरातल पर चलते हैं और दूसरे सुनहरे ख्वाब देखते हैं। हर किसी को राजनीति में स्वप्न देखने का अधिकार है। लेकिन जनता ने फैसला लेना होता है। जनता का मन भारतीय जनता पार्टी की तरफ है। उन्होंने कहा कि विपक्ष तो ईडी- सीबीआई की कार्यशेली पर भी प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं, जबकि बदले की भावना तब मानी जा सकती है जब सबूत ना हो। जब किसी विषय पर सबूत आ जाए तो लोगों को ब्रह्मजाल में डालने की उनकी कोशिश नाकाम ही रहेगी। संस्कारों के मंच से आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ था, लेकिन इन्होंने संस्कारों से शुरू होकर कारागार तक की पीएचडी कर ली। आज पूरे देश का एक-एक छोटा बच्चा जानता है कि दिल्ली की सरकार कैसी है।