मनोहर सरकार पार्ट-वन : 5 साल में कभी स्थिर नहीं रहा सी.एम.ओ.

11/22/2019 11:50:16 AM

करनाल (शर्मा): हरियाणा की मनोहर सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू हुए करीब एक माह होने वाला है और इस बार सी.एम.ओ. में नियुक्तियों का दौर शुरू नहीं हुआ है। पिछले कार्यकाल दौरान सी.एम.ओ. के अधिकारियों की नियुक्तियों को लेकर फजीहत झेल चुके मुख्यमंत्री मनोहर लाल अतीत की गलतियों से सबक लेते हुए इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पहले कार्यकाल दौरान सी.एम.ओ. में नियुक्तियों को लेकर अंतिम समय तक तजुर्बे होते रहे हैं। 5 साल के कार्यकाल के दौरान सी.एम.ओ. कभी भी स्थिर नहीं रहा। पहले कार्यकाल दौरान सी.एम. ने राजेश गोयल को अपना निजी सचिव नियुक्त किया था। गोयल की राजनीतिक इच्छाएं जागृत हो गई और उन्होंने जींद से चुनाव लडऩे की तैयारी कर डाली।

जींद उपचुनाव दौरान गोयल भाजपा की टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिली। जींद उपचुनाव के बाद वह कभी सुॢखयों में नहीं आए। मनोहर लाल ने जवाहर यादव को सबसे पहले नियुक्त किया और सबसे पहले सी.एम.ओ. से हटाकर उन्हें हाऊसिंग बोर्ड का चेयरमैन लगाया। जवाहर यादव के स्थान पर नीरज दफ्तुआर की सी.एम.ओ. में एंट्री हुई जो अंतिम समय तक डटे रहे। पहले कार्यकाल में रेलवे अधिकारी विजय शर्मा भी सी.एम. के ओ.एस.डी. के रूप में आए थे लेकिन उनकी भी सी.एम. के साथ पटरी नहीं बैठी और बीच कार्यकाल ही चंडीगढ़ से रवाना हो गए।

इसी दौरान कैप्टन भूपेंद्र सिंह को ओ.एस.डी. की जिम्मेदारी दी गई लेकिन कार्यकाल पूरा होते-होते उन्हें भी ओ.एस.डी. से हटाकर कानफैड का चेयरमैन लगा दिया गया। मुख्यमंत्री ने कार्यकाल के शुरू में ही राजकुमार भारद्वाज को ओ.एस.डी. मीडिया लगाया लेकिन वह भी लंबे नहीं चले और उनके स्थान पर राजीव जैन को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। मुख्यमंत्री ने जगदीश चोपड़ा को राजनीतिक सलाहकार लगाया था लेकिन बाद में उन्हें भी इस पद से हटाकर पर्यटन विकास निगम का चेयरमैन लगा दिया गया। इसी तरह सी.एम.ओ. में रहे दीपक मंगला भी कार्यकाल के अंत तक राजनीति में सक्रिय हो गए और वर्तमान में वह विधायक हैं।

5 साल में बदले 5 डी.जी.पी., होम सैक्रेटरी पर भी हुए तजुर्बे
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पहले कार्यकाल दौरान पुलिस महानिदेशक तथा होम सैक्रेटरी जैसे अहम पदों पर भी तजुर्बे होते रहे हैं। हालांकि मनोहर लाल से  पहले हरियाणा में रहे मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल दौरान डी.जी.पी. व गृह सचिव जैसे पदों पर अंतिम समय तक एक ही अधिकारी रहा है। वर्ष 2014 में मनोहर लाल ने जब कार्यभार संभाला तो एस.एन. वशिष्ठ हरियाणा के पुलिस महानिदेशक थे। सरकार के सत्ता में आते ही प्रदेश में रामपाल प्रकरण हो गया जिसके बाद यशपाल सिंघल को पुलिस महानिदेशक बना दिया गया।  इसके बाद जाट आरक्षण आंदोलन हो गया और सिंघल भी पद मुक्त हो गए। सिंघल के बाद डी.जी.पी. बने के.पी. सिंह का कथित तौर पर विधानसभा स्पीकर के साथ विवाद हो गया जिसके बाद बी.एस. संधू हरियाणा के पुलिस महानिदेशक बने। संधू के सेवानिवृत्त होने के बाद मनोज यादव हरियाणा के पुलिस महानिदेशक बने।

इसी तरह गृह सचिव के अहम पद पर बदलाव होते रहे हैं। मनोहर कार्यकाल की शुरूआत में पी.के. महापात्रा हरियाणा के गृह सचिव थे। कुछ समय बाद ही उनके स्थान पर पी.के. दास को हरियाणा का गृह सचिव बना दिया गया। आरक्षण आंदोलन के बाद दास को हटाकर रामनिवास को इस पद पर बिठा दिया गया। डेरा प्रकरण के बाद रामनिवास के बाद एस.एस. प्रसाद को इस पद पर बिठा दिया गया। प्रसाद के बाद अब नवराज संधू गृह सचिव पद की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। संधू भी अब 30 नवम्बर को सेवानिवृत्त होने जा रही हैं। अब उनके स्थान पर नई नियुक्ति होने जा रही है। इसी तरह मनोहर लाल ने जब पहली बार कार्यभार संभाला तो वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी संजीव कौशल उनके प्रधान सचिव थे। बाद में उनके स्थान पर राजेश खुल्लर को यह जिम्मेदारी दी गई।

Isha