जीव एवं पर्यावरण सुरक्षा के लिए बिश्नोई समाज ने अनेक बार दी प्राणों की आहुति : बिश्नोई

2/16/2018 8:19:20 AM

सिरसा(ब्यूरो): अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक एवं कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई ने कहा है कि गुरु जम्भेश्वर महाराज ने 16वीं शताब्दी में मानव समाज को नई वैचारिक क्रांति दी थी और अपनी वाणी। जिसे बिश्नोई समाज में पंचम वेद अर्थात चारों वेदों का सार माना जाता है। इसके द्वारा पुरातन वैदिक परम्परा को कायम किया तथा यज्ञ के महत्व को सार्थक करते हुए इसे पर्यावरण शुद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक बताया था। बिश्नोई समाज ने वन, वन्य जीव एवं प्रकृति व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों के अनेक बार आहुति दी है।  वृक्षों की रक्षा के लिए स्त्री-पुरुष और यहां तक की नन्हें  बच्चों और बच्चियों ने भी अपने प्राण त्याग दिए थे। 

कुलदीप बिश्नोई आज बीकानेर के मुकाम में आयोजित फाल्गुन मेले में पूरे देश से आए बिश्नोई समाज को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान गौसेवक संत गोपाल दास भी उपस्थित थे। जोधपुर से 22 किलोमीटर दूर स्थित खेजड़ली ग्राम में विक्रम सम्वत 1787 को बिश्नोई समाज के 363 पुरुष, महिलाओं व बच्चों ने पेड़ों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। धर्म व पर्यावरण के प्रति दृढ़ता के अनुकरणीय उदाहण बिश्नोई समाज में मिलते हैं। इस अवसर पर कुलदीप बिश्नोई ने अहम घोषणा करते हुए कहा कि बिश्नोई समाज में अब मृत्यु शोक 16 दिन के बजाय 12 दिन का होगा। 

इस अवसर पर फलौदी के विधायक पब्बारमाम, महासभा के अध्यक्ष हीराराम भंवाल, पूर्व विधायक हीरालाल, पूर्व संसदीय सचिव दुड़ाराम, रामस्वरूप मांझू, हुकमाराम, हनुमान गोदारा, विनोद धारणिया, रामस्वरूप धारणिया, सोम प्रकाश सिगड़, देवेन्द्र बुढिय़ा, सुभाष देहूडू, वेद कड़वासरा, सहदेव कालीराणा, राम सिंह कसवां, सीताराम मांजू, रूपाराम कालीराणा, मनोहर लाल कडवासरा, मालाराम, राजा राम धारणिया, राजेन्द्र खिलेरी, अशोक गोदारा, रणधीर पनिहार, रामनिवास बुधनगर, अनूजा बिश्नोई, ओम प्रकाश, बीरबल, रावल ज्याणी, भागीरथ बैनीवाल, कान्हाराम, भेराम राम, कृष्ण राहड़, राजाराम खिचड़ सहित संत समाज उपस्थित था।