मैराथन का उद्देश्य पुलिस का ‘सॉफ्टवेयर’ बदलना

11/28/2017 11:12:12 AM

हिसार(अरोड़ा):पुलिस विभाग में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी ओ.पी. सिंह लम्बे समय से कुछ ऐसा ही प्रयोग कर रहे हैं जिससे पुलिस और पब्लिक के बीच की खाई समाप्त हो। मैराथनमैन के नाम से मशहूर ए.डी.जी.पी. सिंह सड़क पर दौड़ के जरिए ही पौराणिक ‘सिस्टम’ को बदलकर एक नया ही ‘सॉफ्टवेयर’ बना रहे हैं। इसका लाभ पुलिस के साथ-साथ पब्लिक को भी हो रहा है। इस बात को खुद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ओ.पी. सिंह भी स्वीकार कर चुके हैं कि मैराथन का उद्देश्य ही पुलिस का सॉफ्टवेयर बदलना है। ओ.पी. सिंह ने कहा कि बेशक खेलों के मामले में लोगों की एक सोच बनी हुई है कि क्रिकेट ही सबसे बेहतर खेल है लेकिन मैराथन में लोगों की उमड़ती भीड़ ने इस बात को पुख्ता किया है कि लोग हर जगह एक जैसे नहीं होते।

उन्हें सामूहिक गतिविधियों में रुचि होती है। उन्होंने कहा कि आम शिकायत है कि पुलिस का व्यवहार लोगों से ठीक नहीं हैं। विशेषकर युवाओं से उनका छत्तीस का आंकड़ा है। इस दिशा में प्रशिक्षण, पर्यवेक्षण से कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। मैराथन का आयोजन पुलिस अधिकारियों और कर्मियों पर यह बाध्यता डालता है वह अपना काम ठीक से करें। जब युवा और पुलिस एक दोस्ताना माहौल में सीधे सम्पर्क में आते हैं तो भ्रांतियां दूर होती हैं, बातचीत का दरवाजा खुलता है और बेहतर आपसी समझ विकसित होती है। पुलिस के फिटनैस के बारे में लोगों में कोई खास अच्छी राय नहीं है। इसी बहाने पुलिसकर्मियों में शारीरिक गतिविधियों के प्रति रुझान पैदा होता है। 

पुलिस ही क्यों जिस हिसाब से शिथिल जीवनशैली की वजह से हार्ट अटैक, ब्लड प्रैशर, डाइबिटीज जैसी बीमारियां फैल रही हैं, लोगों को भी रनिंग जैसी शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। पुलिस की कार्यप्रणाली में बदलाव के बारे में अपनी राय प्रकट करते हुए ए.डी.जी.पी. ओ.पी सिंह ने कहा कि आजादी के बाद हार्डवेयर में काफी इजाफा हुआ है लेकिन सॉफ्टवेयर वहीं का वहीं अंग्रेजों वाला ही है। अभी भी लोग और पुलिस आमने-सामने हैं। दोनों पक्षों में गम्भीर संवादहीनता है।  हिंसक झड़प आम है। मैराथन जैसे व्यापक जनसम्पर्क कार्यक्रमों के माध्यम से मुझे विश्वास है कि स्थिति में बदलाव लाया जा सकता है। पुलिस को चुस्त-दुरुस्त और कल्याणकारी बनाया जा सकता है।