आरटीआई में खुलासा: करोड़ों के कर्ज में डूबी हरियाणा के ये मार्केट कमेटी
2/7/2021 6:45:33 PM
टोहाना (सुशील): एनएसयूआई हरियाणा की आरटीआई सेल के स्टेट कोऑर्डिनेटर अजय बिश्नोई द्वारा मार्केट कमेटी टोहाना को लेकर दायर की गई आरटीआई के जवाब में बड़ा खुलासा हुआ है। मार्केट कमेटी के आर्थिक हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि कमेटी अब 101.5 करोड़ के कर्ज में डूबी हुई है, प्रति वर्ष 7.5 प्रतिशत के हिसाब से लाखों रुपये के अतिरिक्त ब्याज का बोझ भी मार्केट कमेटी पर पड़ रहा है। जिसके चलते कमेटी पूरी तरह से कर्ज के पहाड़ तले दब गई है।
इस बारे बिश्नोई ने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह खुलासा हुआ है कि 2014 से 2020 तक कमेटी द्वारा किसी भी नई मंडी का निर्माण नहीं किया गया है, जिससे स्पष्ट है कि कमेटी के कर्ज के सहारे चलने के कारण नई मंडियों का विकास भी थम सा गया है। आरटीआई के तहत वर्ष 2014 से 2020 तक मार्केट कमेटी टोहाना को केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से मंडियों के विकास के लिए कोई ग्रांट प्राप्त नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि आए दिन एक तरफ जहां सरकार किसान हितैषी होने के झूठे दावे करती है। वहीं पिछले 6 वर्षो में मंडियों के विकास के लिए कमेटी को एक पैसा भी नहीं दिया है। जिससे सरकार का असली किसान विरोधी चेहरा सबके समक्ष बेनकाब हो गया है। बिश्नोई ने कहा कि ये किसान विरोधी सरकार मार्केट कमेटी को एक पैसा भी मंडियों के विकास के लिए ना देकर मंडी व्यवस्था को खत्म करना चाहती है और किसान विरोधी तीन कृषि कानून लाकर केंद्र सरकार किसानों को और ज्यादा आर्थिक तौर पर कमजोर कर निजी कंपनियों का गुलाम बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार को तीनों कृषि कानून तुरंत प्रभाव से वापिस लेकर मंडी व्यवस्था को और ज्यादा मजबूत कर किसानों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मुहैया करवानी चाहिए।
आरटीआई के तहत इस बात का ब्यौरा भी सामने आया है कि मार्केट कमेटी टोहाना मंडियों की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए प्रति वर्ष करीब 26 लाख रुपये खर्च करती है। वहीं बिश्नोई ने ये सवाल उठाया कि कमेटी द्वारा मंडियों में सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद भी अनाज और सब्जी मंडी में गंदगी का अंबार लगा रहता है और यह सब कुछ मार्केट कमेटी टोहाना में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। बिश्नोई ने बताया कि आरटीआई में ये भी खुलासा हुआ है कि पिछले 6 वर्षों में कमेटी की विभिन्न माध्यमों से 70 करोड़ के करीब कमाई भी हुई है, फिर भी करोड़ों का कर्ज काफी सवाल खड़े करता है।
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