दोनों कार्यकालों वाले रिपोर्ट कार्ड के जरिए मुख्यमंत्री का मास्टर स्ट्रोक!
9/1/2021 9:48:49 AM
चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : हरियाणा के राजनीतिक गलियारों के अलावा प्रदेश की साधारण गलियों में भी इन दिनों मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का 'रिपोर्ट कार्ड' खासी चर्चाओं में है क्योंकि साधारण से फाइल कवर में लिपटे इस रिपोर्ट कार्ड के अपने ही कई बड़े और अहम मायने हैं। मनोहर पार्ट- 1 और गठबंधन पार्ट-2 की सरकार के 2500 दिनों के आधार पर तैयार किए गए इस लेखा-जोखा वाले संयुक्त रिपोर्ट कार्ड को लेकर हर कोई अपना अपना आंकलन भी बिठाता नजर आ रहा है मगर राजनीतिक पर्यवेक्षक इस रिपोर्ट कार्ड को अपने ही नजरिए ही देख कर ये मान रहे हैं कि दरअसल मुख्यमंत्री खट्टर द्वारा जनता के बीच प्रस्तुत किया गया यह रिपोर्ट कार्ड बहुत ही गहरे मायनों को समेटे हुए है। मसलन मुख्यमंत्री इस रिपोर्ट कार्ड के आसरे कई निशानों को साधते और कई संशयों को मिटाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि खट्टर द्वारा पेश किया गया रिपोर्ट कार्ड हरियाणा के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य के अंतर्गत कई स्थितियों को साफ करता भी प्रतीत हो रहा है, यानी सी.एम. खट्टर ने बड़ी दूरदर्शिता का प्रमाण देते हुए अपने तूनीर से ऐसा तीर बाहर निकाला है जो सीधे 'लक्ष्य' को भेदता दिख रहा है। पर्यवेक्षकों का मानना है कि 2500 दिनों के इस रिपोर्ट कार्ड के जरिए मुख्यमंत्री ने एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक लगाया है जिसके जरिए यह संकेत देने का प्रयास किया गया है कि व्यवस्था परिवर्तन का जो दौर 2014 में शुरू किया था उसे न केवल निरंतर जारी रखा जा रहा है बल्कि उस समय लिए गए संकल्प पर मजबूती से खरा उतरने का प्रयास किया जा रहा है। चाहे अपने दम पर बनी सरकार या फिर गठबंधन सरकार दोनों ही स्थितियों में मुख्यमंत्री ने इस सांझा रिपोर्ट कार्ड के जरिए अपनी नीतियों व मंशा को साफ कर दिया है।
इसके अलावा कोविड काल की वजह से पिछले दो वित्तीय वर्षों में धीमी हुई विकास की रफ्तार को फिर से तेज करने पर भी मुख्यमंत्री का रिपोर्ट कार्ड के जरिए पूरा फोकस रहा है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में बतौर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पहले अपने बूते पांच साल और अब गठबंधन के तहत दूसरी बार शासन चलाते हुए 2500 दिनों को पार कर लिया है। इन 2500 दिनों के पूरे होने पर सरकार के मुखिया अब तक के हुए तमाम विकास कार्यांे और नीतियों की लंबी चौड़ी फेहरिस्त के आधार पर बनाए गए लेखा-जोखा को लेकर जनता के बीच में हैं। यही वजह है कि यह रिपोर्ट कार्ड जहां सूबे की सियासत में अपना असर दिखा रहा है तो वहीं इसका प्रभाव प्रदेश के लोगों पर भी पड़ता हुआ नजर आ रहा है और इसी के चलते हर कोई इस रिपोर्ट कार्ड के राजनीतिक 'गणित' को समझने की चेष्टा में लगा हुआ है। कुल मिलाकर 2500 दिनों के इस सफर को आम जनमानस से सांझा करते हुए मुख्यमंत्री ने विपक्ष को भी कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया है।
रिपोर्ट कार्ड को लेकर ये निकाले जा रहे मायने
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने पर पार्टी हाईकमान ने मनोहर लाल खट्टर को बतौर मुख्यमंत्री सरकार की कमान सौंपी थी। शुरूआती दौर काफी चुनौतियों से भरा रहा और खट्टर के नेतृत्व को लेकर विरोधियों के अलावा उनके अपने भी तल्ख तेवरों में खिलाफत पर आमादा थे लेकिन अपनी कौशलता के बूते उन्होंने इन तमाम चुनौतियों से ऐसे पार पाया कि इसके बाद उनके नेतृत्व पर न तो सवाल उठे और न ही किसी न ही किसी ने अनुभवहीनता की बात कही। सी.एम. खट्टर के नेतृत्व में भाजपा ने पांच साल तक शासन दमदार तरीके से चलाया।
वर्ष 2019 के हुए विधानसभा चुनावों में मनोहर लाल खट्टर दूसरी बार सी.एम. तो बने लेकिन उन्हें सरकार बनाने के लिए 'सहारे' की जरूरत पड़ी और ऐसे में निर्दलीयों के अलावा जजपा का समर्थन मिला। मसलन अब पार्ट-2 गठबंधन की सरकार है। इस गठबंधन सरकार के और अपने दम पर शासन के पांच साल की अवधि यानी 2500 दिनों की एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार कर सी.एम. खट्टर 'फील्ड' में उतर आए हैं। उनके इस रिपोर्ट कार्ड को लेकर राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि असल में यह रिपोर्ट कार्ड कई अर्थों को समेटे हुए है क्योंकि पार्ट-2 में इस बात को खासा प्रचारित किया गया था कि यह सरकार मजबूत नहीं बल्कि मजबूर है और ऐसे में सरकार ने हालांकि कई बार इस स्थिति को साफ भी किया लेकिन 2500 दिनों को आधार बना कर सी.एम. खट्टर ने ऐसा मास्टर स्ट्रोक लगाया है कि जिससे उन्होंने जहां ये संदेश देने का प्रयास किया कि भाजपा जहां अपने दम पर पूरे 5 साल के दौरान भी विकासकारी नीतियों को बढ़ाते हुए भ्रष्टाचार पर लगाम लगाए रखी तो अब गठबंधन सरकार में भी भ्रष्टाचार को न तो पनपने दिया और न ही दोषियों को बख्शा गया और पिछले पांच सालों की तरह दूसरी टर्म में भी उसी मजबूत राह पर चल कर व्यवस्था परिवर्तन का दौर जारी रखेंगे।
पर्यवेक्षकों के अनुसार खट्टर ने यह संदेश देने का भरपूर प्रयास किया है कि अब भी सरकार न तो मजबूर है और न ही कमजोर। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पार्ट-2 सरकार में सी.एम. खट्टर ने पहले 100 दिन और फिर 600 दिनों का रिपोर्ट कार्ड भी प्रस्तुत किया था। जबकि पार्ट-1 में हर साल मुख्यमंत्री द्वारा सरकार का रिपोर्ट कार्ड जनता के बीच लाया जाता रहा है, मगर अब यह पहला मौका है जब दोनों कार्यांकालों का अब तक का सांझा रिपोर्ट कार्ड जनता के दरबार में लाया गया है।
पहले कार्यकाल में ये रही थी चुनौतियां
वर्ष 2014 में जब मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बने तो पार्टी नेताओं के विरोध और अन्य राजनीतिक घटनाक्रमों ने उनके आगे चुनौतियां खड़ी की तो वे इन सबसे पार पा ही गए थे कि इसके बाद वर्ष 2016 के शुरूआत में जाट आरक्षण आंदोलन में हिंसा हुई। कई लोगों की जान चली गई और आगजनी में अरबों की संपत्ति स्वाहा भी हुई। इसके बाद अगस्त 2017 में डेरा हिंसा प्रकरण हुआ। बाहरी और भीतरी सभी चुनौतियों से मनोहर लाल ने अच्छे से निपटा और पांच साल तक स्थिर सरकार चलाई। ऐसे में सियासी पर्यवेक्षक यह मानते हैं कि अब खट्टर अपने पहले पांच साल और अब पौने दो साल के कार्यकाल दोनों का रिपोर्ट कार्ड एक साथ प्रस्तुत कर यही साबित करना चाह रहे हैं कि पहले भी हमने दमदार और स्थिर सरकार चलाई और आने वाले तीन वर्षों में भी स्थिर सरकार चलाएंगे। सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि अपने पहले कार्यकाल में ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस तरह के रिपोर्ट कार्ड सार्वजनिक करने की परम्परा शुरू की थी। पहले कार्यकाल के एक साल पूरा होने के बाद, दो साल, तीन साल, चार साल और पांच साल पूरा होने पर रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किए गए।
ये उठाए महत्वपूर्ण कदम
वैसे भाजपा सरकार के 2500 दिन के कार्यकाल का आंकलन करें तो सरकार ने इस दौरान व्यवस्था परिवर्तन पर जोर दिया। सुशासन व पारदर्शी व्यवस्था स्थापित करने के अलावा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के प्रयास किए गए। सुशासन स्थापित करने की दिशा में सरकार ने 500 से अधिक सरकारी सेवाओं और योजनाओं को ऑनलाइन किया तो अपने दोनों कार्यकाल में करीब 95 हजार सरकारी नौकरियां दी। सक्षम योजना के अंतर्गत युवाओं को 100 घंटे काम की गारंटी दी। हरियाणा एक हरियाणवी एक के संकल्प पर काम करते हुए हरियाणा को जातिवाद और क्षेत्रवाद से मुक्ति दिलाई। किसानों के हित में कारगर कदम उठाते हुए 11 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की पहल की। युवाओं को रोजगार देने के लिए हरहित स्टोर खोलने की योजना लेकर आए तो पढ़ी-लिखी और डिजीटल पंचायतें बनाने का भी संकल्प पूरा किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हरियाणा ने सबसे पहले लागू किया।