स्वास्थ्य सुविधाएं के बाद भी नहीं रुक रही मातृ मृत्यु दर ,1 लाख डिलीवरी पर 114 माताएं तोड़ रहीं दम

8/24/2019 1:15:58 PM

करनाल(सरोए): सरकार जहां एक ओर स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने का दम भर रही है, वहीं दूसरी ओर मातृ मृत्यु दर कम होने की गति काफी धीमी बनी हुई है। 1 लाख डिलीवरी व डिलीवरी के 45 दिनों के अंतराल में 114 (एम.एम.आर.114) माताएं दम तोड़ रही हैं। हालांकि डिलीवरी के दौरान होने वाली मौतों को कम करने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भी चलाया जा रहा है फिर भी अभियान पूरी तरह से कारगर साबित नहीं हो रहा। 

स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरूआत में मातृत्व सुरक्षित अभियान जोर-शोर से चलाया गया था। प्राइवेट गायनीलॉजिस्ट अभियान का हिस्सा बनती थी लेकिन कई महीनों से प्राइवेट गायनीलॉजिस्टों ने अभियान में हिस्सा लेना बंद कर दिया जिसके बाद अभियान की सफलता पर सवाल खड़े हो गए।  

मौतों का प्रमुख कारण
एक गायनीलॉजिस्ट ने बताया कि डिलीवरी के समय गर्भवती महिलाओं की मौत का प्रमुख कारण खून की कमी, ब्लड प्रैशर हाई होना, पहले से ही दिल की बीमारी का होना जिसकी जानकारी न होना शामिल होता है। इसके अलावा निचले स्वास्थ्य केंद्रों से गर्भवती महिलाओं को समय से रैफर न करना भी शामिल होता है। अगर समय पर हाई रिस्क डिलीवरी को हायर सैंटर पर रैफर कर दिया जाए तो स्थिति में काफी बदलाव हो सकता है। 

स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़े
स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों अनुसार 2019-2020 अप्रैल से जुलाई तक 4 माह में मातृ मृत्यु दर 114 दर्ज की गई जबकि साल पूरा होने में अभी 8 माह और शेष बचे हंै। हालांकि एम.एम.आर. अप्रैल से मार्च तक निकाला जाता है फिर भी 4 माह में ही एम.एम.आर. की दर काफी ज्यादा होना हैरान करने वाला है। अगर 2018-19 की बात करें तो एम.एम.आर. 116 प्रति लाख डिलीवरी पर रही अर्थात 1 लाख डिलीवरी व डिलीवरी के 45 दिनों के अंतराल में 116 महिलाओं की मौत हुई जबकि 2017-18 में एम.एम.आर. 147 था। 

प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान की स्थिति
हर माह की 9 तारीख को लगने वाले प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान के तहत अप्रैल से अगस्त तक करीब 5535 गर्भवती महिलाओं का चैकअप किया गया। इनमें से 205 गर्भवती महिलाओं में खून की काफी कमी पाई गई। 92 गर्भवती ऐसी महिलाएं मिली जो हाई ब्लड प्रैशर रोग से ग्रसित थीं जबकि 109 गर्भवती महिलाएं शूगर की बीमारी से ग्रसित पाई गईं। 2 गर्भवती महिलाएं एच.आई.वी. से ग्रसित थीं। इसके अलावा करीब 165 गर्भवती की डिलीवरी हाई रिस्क होने के चलते हायर सैंटर में रैफर किया गया। 
 

Isha