IPS वाई पूरन कुमार की मौत पर भड़कीं मायावती, बोलीं- जातिवाद का दंश शासन में पर आज भी हावी
punjabkesari.in Saturday, Oct 11, 2025 - 02:28 PM (IST)
डेस्क: बसपा प्रमुख मायावती ने आईपीएस वाई पूरन कुमार की दुखद मौत पर गहरी चिंता व्यक्त की है। आईपीएस वाई पूरन कुमान ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ में अपने आवास पर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। मायावती ने जातिवादी शोषण व प्रताड़ना की आलोचना करते हुए कहा कि जातिवाद का दंश कितना अधिक ख़ासकर शासन-प्रशासन में हावी है और सरकारें इसको रोक पाने में विफल साबित हो रही हैं। वैसे यह सब सरकार की नीयत व नीति की बात ज्यादा है।
हरियाणा राज्य में आईजी रैंक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वाई. पूरन कुमार, जिनकी पत्नी भी स्वंय हरियाणा की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं, द्वारा जातिवादी शोषण व प्रताड़ना के कारण की गयी आत्महत्या की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। ख़ासकर दलित व बहुजन समाज के लोग काफी उद्वेलित हैं।…
— Mayawati (@Mayawati) October 11, 2025
सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए मायावती ने कहा कि हरियाणा राज्य में आईजी रैंक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वाई. पूरन कुमार, जिनकी पत्नी भी स्वंय हरियाणा की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं, द्वारा जातिवादी शोषण व प्रताड़ना के कारण की गयी आत्महत्या की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। ख़ासकर दलित व बहुजन समाज के लोग काफी उद्वेलित हैं। यह अति-दुखद व अति-गंभीर घटना ख़ासकर एक सभ्य सरकार के लिये शर्मनाक है और यह साबित करती है कि लाख दावों के बावजूद जातिवाद का दंश कितना अधिक ख़ासकर शासन-प्रशासन में हावी है और सरकारें इसको रोक पाने में विफल साबित हो रही हैं। वैसे यह सब सरकार की नीयत व नीति की बात ज्यादा है।
उन्होंने पोस्ट में कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की समयबद्ध स्वतंत्र व निष्पक्ष जाँच होना चाहिये और इसके लिये दोषियों को सख़्त सज़ा मिलनी चाहिये ताकि सभ्य समाज को शर्मिन्दा करने वाली ऐसी दर्दनाक घटनायें दोबारा कहीं ना होने पायें। हरियाणा सरकार इस घटना को पूरी संवेदनशीलता एवं गंभीरता से ले तथा इसकी भी लीपापोती करने का प्रयास ना करे तो यह उचित होगा। जाँच के नाम पर खानापूर्ति भी नहीं होनी चाहिये, जैसा कि आरोप लगने शुरू हो गये हैं।
माननीय सुप्रीम कोर्ट व केन्द्र सरकार भी इस घटना का उचित संज्ञान ले तो यह बेहतर। ऐसी घटनाओं से ख़ासकर उन लोगों को ज़रूर सीख लेनी चाहिये जो एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण को आर्थिक स्थिति से जोड़ कर क्रीमी लेयर की बात करते हैं, क्योंकि धन व पद पा लेने के बाद भी जातिवाद उनका पीछा नहीं छोड़ता है और हर स्तर पर जातिवादी शोषण, अत्याचार व उत्पीड़न लगातार जारी रहता है, जिसकी ताज़ा मिसाल हरियाणा की वर्तमान घटना है।