जनता की कमाई घोटालाखोरों की जेब में!

1/18/2017 10:26:21 AM

अम्बाला शहर (बलविंद्र):नगर निगम में हुए करोड़ों के घोटालों को लेकर मंगलवार को निगम अधिकारियों द्वारा बनाई गई अनुशासनिक जांच कमेटी की दूसरी बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता नगर निगम मेयर रमेश मल ने की। ज्ञात रहे कि 10 जनवरी को हुई कमेटी की बैठक में अधिकारियों व कर्मचारियों को जांच कमेटी सदस्यों ने बीते वर्ष के घोटालों व कार्यों की रिपोर्ट तैयार करने के आदेश जारी किए थे, बावजूद इसके कोई भी कर्मचारी अपना पर्याप्त रिकॉर्ड तैयार कर बैठक में नहीं पहुंचे। इससे साबित होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से कर्मचारियों ने करोड़ों रुपए की घोटाले निगम में किए हैं। यही वजह है कि न तो अधिकारी हाऊस की बैठक में पार्षदों को निगम द्वारा करवाए गए शहर के विकास कार्यों की जानकारी ठीक से दे पाते हैं और न ही कर्मचारी अधिकारियों की मिलीभगत से निगम में किए गए घोटालों का कोई रिकॉर्ड दिखा पाते हैं।  मंगलवार को हुई अनुशासनिक जांच कमेटी की बैठक में मेयर रमेश मल, एस.सी, महिला पार्षद सोनिया चौधरी, पार्षद दलजीत भाटिया, पार्षद रूपम, पार्षद सुरेंद्र बिंद्रा सहित अन्य निगम कर्मचारी भी मौजूद रहे।

2013 की बजाय, 2014 का रिकॉर्ड पेश
बैठक में महिला पार्षद द्वारा अधिकारी व कर्मचारियों से पूछा गया कि निगम में 2500 स्ट्रीट लाइटों का टैंडर हुआ था जोकि  201& से लिए गए जबकि अधिकारियों व कर्मचारियों ने जिस वर्ष यानी वर्ष 2014 में बजट ही पास नहीं हुआ तो उसका रिकॉर्ड पेश किया, इससे साबित होता है कि अधिकारी सही रिकॉर्ड पेश न कर अपने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।

तथ्यों के साथ होगी कार्रवाई
वार्ड नम्बर-17 के पार्षद सुरेंद्र ङ्क्षबद्रा का कहना है कि बैठक में निगम की विभिन्न ब्रांचों द्वारा शहर में करवाए गए कार्यों का रिकॉर्ड पेश करने को कहा गया है। अभी कर्मचारी रिकॉर्ड तैयार करने में जुटे हैं। पूर्ण तथ्यों के साथ ही आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

नोटिस के बाद भी नहीं संसाधनों की मैंटीनैंस 
निगम द्वारा डोर-टू-डोर कूड़ा कलैक्शन ठेका दिए जाते समय कलैक्शन के लिए लगाए गए संसाधनों की मैटीनैंस का जब रिकॉर्ड मांगा गया तो संबंधी कर्मचारी वह भी नहीं दे पाया, वहीं मौके पर मौजूद सैनेटरी इंस्पैक्टर सुनील दत्त से इस बारे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि संसाधनों की मैंटीनैंस के लिए ठेकेदार को नोटिस जारी किया था, बावजूद इसके ठेकेदार द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया गया। यही नहीं, नियमानुसार ठेका देते समय संसाधनों में जी.पी.एस. सिस्टम लगाया जाना अनिवार्य किया गया था, उक्त समय बीत जाने के बाद भी किसी भी संसाधन में जी.पी.एस. सिस्टम नहीं लगाया गया।