मोदी ने बनाया मनोहर वातावरण!

10/16/2019 10:09:01 AM

डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोमवार और मंगलवार को हरियाणा में हुई चुनाव रैलियों के माध्यम से मनोहर वातावरण बनाने का प्रयास किया गया। महाभारत की भूमि कुरुक्षेत्र में मोदी के मंच पर आने से पूर्व जनता को जयघोष करने व तालियां बजाने का मंच संचालक प्रदेश भाजपा के महामंत्री व सांसद संजय भाटिया ने बाकायदा पूर्वाभ्यास करवाया। 

उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि तालियों की गडग़ड़ाहट तब तक जारी रहनी चाहिए जब तक मोदी जी अपनी सीट पर बैठ न जाएं, इसी तरह की गडग़ड़ाहट ह्यूस्टन में सुनाई दी थी। मोदी के मंच पर आने से 5 मिनट पूर्व ही नेताओं के भाषण समाप्त करवा दिए गए। संजय भाटिया ने कहा कि मुख्यमंत्री की अनुमति के बिना जन आशीर्वाद यात्रा में लोकप्रिय हुआ गीत ‘मैं मनोहर लाल बोल  रहा हूं’ बजवा दिया ताकि मोदी के आने से पूर्व ही मनोहर वातावरण हो जाए। इतना ही नहीं, भीड़ से बार-बार भारत माता की जय का उद्घोष करवाया जाता रहा। 

भाजपा और कांग्रेस में क्या फर्क है?
इन दोनों राजनीतिक दलों की विचारधारा में भले ही अंतर हो परंतु दोनों की कार्यपद्धति को लेकर पार्टी कार्यकत्र्ता अधिक अंतर महसूस नहीं करते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और स्वदेशी जागरण मंच से जुड़े पदाधिकारी आजकल भाजपा को कांग्रेस की राह पर चलने की अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं। कुछ मामलों में वे भाजपा और कांग्रेस को एक समान मानते हैं। भाजपा अपनी रैलियों के नामकरण में विशेषज्ञता हासिल कर चुकी है। जन आशीर्वाद रैली, जन आशीर्वाद यात्रा और आज मोदी की विजय संकल्प रैली। भाजपा की इसी तर्ज पर कांग्रेस ने अपनी हाई प्रोफाइल रैलियों को अब भविष्य संकल्प रैली का नाम देकर भाजपा का ही अनुसरण करने का प्रयास किया है।

बिना दूल्हे की बारात!
भाजपा महासचिव और हरियाणा मामलों के प्रभारी डा. अनिल जैन ने टिकट वितरण के समय स्पष्ट किया था कि भाजपा में दूल्हा एक होगा और बाकी सब बाराती। यानी टिकट एक को मिलेगा, बाकी सब उसका अनुसरण करेंगे। अब चुनाव प्रचार के समय पार्टी द्वारा किए जा रहे रोड शो में दूल्हे रूपी उम्मीदवार गायब दिखाई देते हैं, रोड शो में वोट मांगते बाराती ही अधिक दिखाई देते हैं। कहते हैं कि उम्मीदवार हर जगह उपलब्ध नहीं हो सकता, ऐसे में बारातियों की ही ड्यूटी लगाई जा रही है।

जपा नेता की गांधीगिरी! 
भाजपा के एक नेता ने अपने वरिष्ठ नेताओं को जमीनी सच्चाई का अहसास करवाने के लिए गांधीवादी तरीका ढूंढ निकाला है। पार्टी में नए-नए घुस आए नेताओं की कार्य पद्धति से नाराज चल रहे उक्त नेता ने अपने घर के प्रवेश द्वार पर प्रतिदिन विचार के रूप में लिखे जाने वाले बोर्ड पर यह लिख दिया है कि अधिक तूफान आने पर किश्तियां डूब जाती हैं और अधिक अहंकार पर हस्तियां। नेता जी के घर उन्हें मनाने आने वाले वरिष्ठ नेता इस संदेश को सार्थकता के साथ अपने लिए सबक के रूप में ले रहे हैं।

Isha