मुख्यमंत्री की घोषणा के एक माह बाद भी हर जिले में DTO की बजाए RTA सचिव ही मौजूद

11/20/2020 4:47:51 PM

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बीती 17 नवंबर को चंडीगढ़ में प्रदेश के सभी 22 जिलों के जिला परिवहन अधिकारियों (डीटीओ) की बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें मुख्यमंत्री ने उन्हें ‘फेसलेस और कैशलेस’ प्रणाली लागू करके परिवहन विभाग में पूरी पारदर्शिता लाने के लिए समर्पित भाव से काम करने के निर्देश दिए गए ताकि लोगों को स्वच्छ और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन मुहैया करवाने के राज्य सरकार के प्रयास फलीभूत हो सकें।

बहरहाल, एक माह पूर्व 17 अक्टूबर को  मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि अब से प्रदेश के हर जिले में सचिव, क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (सेक्रेटरी, आरटीए )  के  स्थान पर  जिला परिवहन अधिकारी (डीटीओ ) तैनात किए जाएंगे, जिसमें आईएएस और एचसीएस अधिकारियों के अतिरिक्त अन्य विभागों के ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले उपयुक्त क्लास वन अधिकारी लगाए जाएंगे, परन्तु इस घोषणा की आंशिक तौर पर ही अनुपालना हुई है। 

मौजूदा तौर पर प्रदेश में दो आईएएस, एक आईएफएस (भारतीय वन सेवा), 10 एचसीएस (हरियाणा सिविल सेवा), 6  एचपीएस (हरियाणा पुलिस सेवा), 1 एचएफएस (हरियाणा वन सेवा) और  रोजगार विभाग के 2 वरिष्ठ अधिकारी प्रदेश के  22 जिलों में आरटीए सचिव के पद पर ही तैनात हैं, हालांकि हर जिले में आरटीए सचिव की बजाए डीटीओ का पद सृजित करने सम्बन्धी अब तक आधिकारिक और कानूनी कवायद पूर्ण नहीं हुई है।

इस सम्बन्ध में कानूनी प्रतिक्रिया देते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि संसद द्वारा बनाए गए मोटर व्हीकल्स एक्ट (मोटरयान कानून), 1988 के सम्बंधित धाराओं में हर राज्य सरकार द्वारा अपने प्रदेश में स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (एसटीए) और रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) गठित करने का ही उल्लेख है। गत वर्ष 2019 में जब उक्त 1988 कानून में विस्तृत संशोधन किया गया, तब भी इसकी तीन धाराओं  67, 72 और 74 में आरटीए का ही उल्लेख किया गया।

उन्होंने बताया कि मोटरयान कानून,  1988 कानून की धारा 68 में हर राज्य सरकार द्वारा अपने प्रदेश के लिए ट्रांसपोर्ट अथॉरिटीज बनाने का प्रावधान है, जिसमें राज्य स्तरीय एसटीए और प्रदेश के निर्धारित क्षेत्रों (जिलों) के लिए आरटीए का प्रावधान है। इन अथॉरिटीज में न्यायिक अनुभव या अपील या पुनरीक्षण प्राधिकारी अथवा न्यायनिर्णयन प्राधिकारी वाले व्यक्ति को ही चेयरमैन एवं एसटीए में अधिकतम चार और आरटीए में अधिकतम दो सदस्य लगाने का उल्लेख है।

उन्होंने बताया कि आज तक हरियाणा के हर जिले में आरटीए के सचिव के रूप में आईएएस या एचसीएस अधिकारी तो तैनात होते रहे हैं। जिनका दायरा अब बढ़ाकर आईएफएस, एचपीएस, एचएफएस आदि भी कर दिया गया है परन्तु यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि आज तक हर जिले की आरटीए में न तो कोई न्यायिक अनुभव आदि वाले व्यक्ति को चेयरमैन नियुक्त किया गया है और न ही कोई अन्य व्यक्ति (सदस्य) लगाए गए हैं। 

प्रश्न यह भी उठता है कि अगर जिले का आरटीए सचिव वरिष्ठ सरकारी अधिकारी है तो जिले आरटीए का चेयरमैन और सदस्य कौन है?

हेमंत ने बताया कि उपरोक्त उपरोक्त मोटरयान कानून, 1988 की  धारा 68 में  हालांकि यह भी प्रावधान है कि राज्य स्तरीय एसटीए और क्षेत्रीय (जिला) स्तरीय  आरटीए अपनी कुछ शक्तियां और कार्य किसी अन्य अथॉरिटी या व्यक्ति को भी डेलिगेट कर सकती हैं । अगर इस सम्बन्ध में सम्बंधित राज्य सरकार द्वारा मोटरयान अधिनियम,1988 की धारा 96 के अंतर्गत बनाए गए नियमों में प्रावधान हो। हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा मोटरयान नियम, 1993 बनाए गए हैं, जिसमें उपयुक्त संशोधन करके ही मार्च, 2001 में तत्कालीन ओम प्रकाश चौटाला सरकार ने हर जिले में आरटीए सचिव के स्थान पर डीटीओ का पद सृजित किया और उन पदों पर नॉन-एचसीएस अधिकारी भी तैनात किए गए, हालांकि हुड्डा सरकार ने वर्ष 2006-07 में डीटीओ के पद समाप्त कर दोबारा जिलेवार आरटीए सचिव के पद बना दिए।

हेमंत ने बताया कि अब अगर वर्तमान सरकार दोबारा जिलों में डीटीओ के पदों को बनाना चाहती है तो इस संबंध में पहले प्रदेश के परिवहन विभाग को एक प्रस्तावित नोटिफिकेशन गजट में प्रकाशित करनी होगी, जिसमें हरियाणा मोटरयान नियमों, 1993 में उपयुक्त स्थानों पर आरटीए सचिव की बजाय डीटीओ शब्द प्रतिस्थापित करना होगा ओर उनके कार्य और शक्तियों का भी उल्लेख करना होगा। इस नोटिफिकेशन पर जनसाधारण से प्राप्त आपत्तियों एवं सुझावों का निपटान करने के उपरांत इस संबंध में फाइनल गजट नोटिफिकेशन जारी होगी, जिसके बाद ही आधिकारिक रूप से हरियाणा के हर जिले में डीटीओ के पद सृजित हो सकते हैं।

Shivam