लॉकडाउन में टूटा रिक्शे चालकों का मनोबल, भूखे मरने की कगार पर रिक्शा चालक

5/9/2020 2:53:52 PM

रोहतक (दीपक भारद्वाज) : लॉक डाउन की वजह से सबसे ज्यादा संकट रिक्शे चालकों पर आया है, सुबह से शाम तक ग्राहकों का इंतज़ार कर रिक्शे चालक खाली हाथ ही घर लौट जाते है।लॉक डाउन से पहले दो सौ से तीन सौ रुपए प्रतिदिन कमाने वाले चालक आज भूखे मरने की कगार पर है। हालांकि सरकार ने इनके खाते में पांच सौ रुपए देने की बात कही है लेकिन इनमें से ज्यादातर चालकों के तो बैंक में खाते ही नहीं है, ऐसे में ये अपना पेट पाले या परिवार का ये बड़ा सवाल है।

कोरोना वायरस की वजह से देश मे लगे लॉक डाउन के कारण जहाँ अर्थव्यवस्था चौपट होती जा रही है वहीं मजदूरों के लिए भी संकट पैदा हो गया है। लेकिन कोविड-19 की वजह से लगे लॉक डाउन में इस वक्त सबसे ज्यादा संकट रिक्शा चालकों पर आ गया है। ये रिक्शा चालक पूरी तरह से लोगों पर निर्भर है, लेकिन लॉक डाउन की वजह से लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे है इसलिए रिक्शा चालक भी भूखे मरने की कगार पर है। ये रिक्शे चालक सुबह से लेकर शाम तक ग्राहकों के इंतज़ार में शहर की गलियों की तरह आंखे गढ़ाए रहते है लेकिन सारा दिन इंतज़ार करने के बाद भी खाली हाथ ही लौट जाते है।

वहीं दूसरी ओर रिक्शा चालकों का कहना है कि लॉक डाउन से पहले 200 से 300 रुपए तक दिन में कमा पाते थे लेकिन जब से लॉक डाउन लगा है मुश्किल से 20 से 30 रुपए कमा पाते है इससे गुजारा करना मुश्किल है। हालांकि सरकार द्वारा रिक्शे चालकों के खाते में 500 रुपए डालने का फैसला किया था, लेकिन इनमें से कई चालकों के पास तो बैंक खाता ही नहीं है। गौरतलब है कि जब तक लॉक डाउन रहेगा रिक्शे चालकों पर ये संकट बना रहेगा, ऐसे में सरकार को आगे आकर इन्हें चिन्हित करना होगा ताकि इन्हें भी भूखा मरने से बचाया जा सके।

Edited By

Manisha rana