हरियाणा की बेटी के सिर सजा मिसेज बालीवुड इंडिया अर्थ का ताज

10/22/2017 1:11:34 PM

चरखी दादरी(प्रदीप साहू): एक तरफ बेटियों के प्रति बढ़ते अपराधिक वारदातों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा, वहीं दूसरी अौर बेटियां अपने अटूट आत्मविश्वास प्रतिभा के बलबूते पर सफलता के नए आयाम स्थापित कर रही हैं। ऐसी ही सफलता की इबारत चरखी दादरी की बेटी डा. पूनम मेहला ने अपनी प्रतिभा लगन के बलबूते लिखी है। देश की प्रतिष्ठित सौंदर्य प्रतियोगिता मिसेज इंडिया अर्थ-2017 के फाइनलिस्ट में ‘मिसेज बालीवुड इंडिया अर्थ’ पर कब्जा कर दादरी का नाम रोशन किया है।

निजी अस्पताल में साइक्लोजिस्ट है पूनम
डा. पूनम मेहला के पिता रणबीर सिंह दिल्ली पुलिस विभाग से रिटायर्ड हैं मां दर्शना देवी अध्यापिका हैं। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी पूनम मेहला शादी के कुछ समय बाद पति से तलाक होने के बाद चरखी दादरी की प्रोफेसर कॉलोनी की माता-पिता के साथ रह रही हैं और यहां के एक प्रतिष्ठित निजी अस्पताल में साइक्लोजिस्ट हैं। वह कहती हैं कि प्रतियोगिता में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा थी, प्रतियोगिता में देश भर से अनेक प्रतिभागियों ने भाग लिया था। इसलिए खुद को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए अतिरिक्त मेहनत वह अभ्यास करके इस मुकाम पर पहुंची है। 

कैरियर बनाने के बाद मॉडलिंग शुरू की 
पूनम को बचपन से ही मॉडलिंग के क्षेत्र में जाने का शौक था लेकिन पहले अपना कैरियर बनाया, उसके बाद शौक को पूरा करने का फैसला लिया। इसमें पूनम के माता-पिता ने उनका साथ दिया। पहले पति से तलाक हुआ तो कुछ दिन तक परेशान भी रही लेकिन जहां में छा जाने के सपने को लेकर पूनम ने चिकित्सा के साथ-साथ मॉडलिंग भी शुरू की। मिस अर्थ इंडिया के कड़े इवेंट्स में अपनी प्रतिभा दिखाई और अंतिम चरण में मिसेज बालीवुड इंडिया अर्थ का ताज जीत ही लिया। 

देश का करना चाहती है प्रतिनिधित्व
देशभर की हजारोंं प्रतिभागियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद इस मिसेज बालीवुड इंडिया अर्थ जीतने वाली पूनम अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतिस्पर्धा मिसेज अर्थ मिसेज यूनाइटिड नेशनल में शामिल होकर देश का प्रतिनिधत्व करना चाहती है। हालांकि उनका कहना है कि वह चिकित्सक के साथ-साथ फिल्मों में भी काम करने को इच्छुक हैं।

प्रकृति से है प्रेम
डा. पूनम कहती हैं कि अभी तुम मानव सामाजिक प्राणी हैं लेकिन प्रकृति बिना किसी का भी अस्तित्व नहीं है। इसलिए वह जीवन में प्रकृति को अहम मानते हुए संरक्षण की सीख भी देती हैं। वह कहती है कि बेटियों को बाधाओं को चुनौती समझकर पार करना चाहिए तथा परिजनों के सहयोग से अपने लक्ष्य की ओर निरंतर आगे बढ़ना चाहिए। पूनम के अनुसार सफलता पाकर मंत्रमुग्ध नहीं होना चाहिए बल्कि उस सफलता को कम मानते हुए और मेहनत के साथ आगे बढ़ना चाहिए। 

स्कूल स्तर से ही शौक ने मुकाम तक पहुंचाया
पूनम की बचपन की शिक्षा दादरी में ही संपन्न हुई उसके बाद दिल्ली के यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान शिक्षा के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में आगे बढ़ने की सोची। वह निरंतर सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विभाग लेती रही हैं। वह बताती हैं वैसे तो स्कूल स्तर से ही बाल सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उन्होंने अभिनय से प्रेरित होकर अनेक बार विश्वविद्यालय स्तर पर खुद प्रतिभा का लोहा मनवाया और अपनी अभिनय कला को तराशा। विश्वविद्यालय छतरपुर के अनेक बड़े कार्यक्रमों में प्रस्तुतियां दी। जिससे उनका मनोबल बढ़ता गया तथा इन्हीं कार्यक्रमों ने उनको निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया, क्षेत्र में आने के लिए उनके परिजनों का भरपूर सहयोग रहा है।