चुनावी मोड में नगर निगम : तैयारियों के मिले आदेश, कभी भी बज सकता है बिगुल

12/27/2019 11:50:29 AM

सोनीपत(मनीष): निगम चुनाव को लेकर हलचल शुरू हो गई है। निगम अधिकारियों को तैयारियों के आदेश मिले हैं जिसके बाद नगर निगम चुनावी मोड में आ गया है। कभी भी चुनाव आयोग की तरफ से बिगुल बज सकता है। हालांकि वार्डबंदी पर कुछ ग्रामीणों ने आपत्ति जताई थी। यह मामला फिलहाल अदालत में विचाराधीन है। 

नगर निगम के उ४चाधिकारियों को मुख्यालय की तरफ से निर्देश मिले हैं कि वे निगम के चुनाव संबंधी तैयारियों में जुट जाएं। चुनाव प्रक्रिया को लेकर हर प्रकार की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बता दें कि नगर निगम का गठन हुए 4 साल से ज्यादा का समय हो चुका है, बावजूद इसके निगम के लिए चुनाव प्रक्रिया करवाना अधिकारियों के लिए चुनौती बनी हुई है, हालांकि सूत्र यह भी बताते हैं कि विभाग मार्च में पारित होने वाले बजट के बाद ही चुनाव प्रक्रिया पूरी करेगा लेकिन अधिकारियों की तैयारियों के चलते ऐसा लगता है कि शहरवासियों को पहली बार मेयर चुनने के लिए कभी भी चुनावी बिगुल बज सकता है। 

इस तरह किया गया था बदलाव
26 गांवों के ग्रामीणों के विरोध के बाद नगर निगम ने अपने नक्शे में काफी बदलाव किया गया था। इस दौरान नगर निगम ने जो गांव बाहर किए उनमें मुर्शीदपुर, मुकीनपुर, दिपालपुर, खेवड़ा, हरसाना खुर्द, हरसाना कलां, नसीरपुर बांगड़, असावरपुर, कुमासपुर, नागल खुर्द, चौहान जोशी, किशोरा, मुरथल, बैंयापुर व बहालगढ़ गांव शामिल हैं, वहीं जुलाई-2018 में बनाए गई निगम के नक्शे में रायपुर, रेवली, फाजिलपुर, लिवासपुर, राई, जगदीशपुर, देवडू, शाहपुर, गढ़शहजानपुर, लहराड़ा, लिवान, राठधना गांव को शामिल किया गया है जबकि मुरथल, नांगल खुर्द, कुमासपुर, किशोरा, जोशी चौहान, बहालगढ़, असावरपुर, बैंयापुर के राजस्व दायरे के आंशिक क्षेत्र तथा बढख़ालसा (भाग),ककरोई (भाग) महलाना (भाग) भिगान (भाग) हसनपुर (भाग) इब्राइमपुर कुराड़ (भाग) के कुछ भाग को नगर निगम में शामिल किया गया था। 

इन बिंदुओं पर किया गया था गांवों को निगम से बाहर
1. नगर निगम के लिए 4 लाख की जनसंख्या का प्रावधान होना चाहिए, जोकि शेष गांवों को नगर में शामिल रखने से ही पूरा होता है। 
2. वर्ष 2010 में बनी पॉलिसी के अनुसार प्रशासन ने प्रस्ताव में उन गांवों को बाहर करने का निर्णय लिया है जिनमें 60 प्रतिशत से ज्यादा लोग खेती पर निर्भर करते हैं। 
3. शहर से एक ही ओर के ज्यादा गांवों को शामिल किया गया था, जोकि तकनीकी रूप से सही नहीं था। ऐसे में जी.टी. रोड से उस पार के गांवों को बाहर करने का फैसला लिया गया। 
4. फैसले में हाईकोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया गया जिसके अनुसार गांवों की जमीन को दूसरे कार्यों में इस्तेमाल के लिए नहीं लिया जा सकता। 

कई बार हो चुकी है वार्डबंदी
नगर निगम का जुलाई-2015 में गठन किया गया था। तब से लेकर अब तक कई बार निगम का चुनाव करवाने को लेकर वार्डबंदी की जा चुकी है। निगम में 26 गांवों को शामिल करवाने के लिए जो वार्डबंदी की गई उनका 2 बार विरोध किया गया। इसके बाद जून-2018 में 13 गांवों को निगम के बाहर किए जाने के बाद फिर वार्डबंदी की गई लेकिन इस पर भी कुछ ग्रामीणों ने आपत्ति जताते हुए कोर्ट में केस कर दिया था। जानकारी के अनुसार अप्रैल-2018 में हुई वार्डबंदी पर 26 आपत्ति आई थी, जिनमें 1 गांव को 3 वार्डों में बांटा गया, जिसके चलते 26 गांवों के ग्रामीणों ने वार्डबंदी का जोरदार विरोध करना शुरू कर दिया था।

शंभू राठी, ज्वाइंट कमिश्नर नगर निगम ने कहा कि वार्डबंदी पर किसी ग्रामीण की आपत्ति को लेकर अभी कोर्ट में मामला विचाराधीन हैं। निगम के चुनाव प्रक्रिया के बारे में अभी कुछ कहना गलत हैं। जैसे ही आदेश मिलेंगे वैसे ही तैयारियां करके चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। 
    

Edited By

vinod kumar