लोकसभा चुनाव की अपेक्षा, करीब 28 लाख वोटरों ने विधानसभा चुनाव में भाजपा से मुंह मोड़ा

11/24/2019 10:33:35 AM

चंडीगढ़ : विधानसभा चुनाव में 75 पार के नारे से महज 40 सीटों तक सिमटी भाजपा अब हार के कारणों को खोजने में जुट गई है। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में इस बात पर खास मंथन किया गया कि लोकसभा चुनाव की अपेक्षा विधानसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने क्यों मुंह मोड़ा? 

दरअसल, लोकसभा चुनाव में मोदी के नाम पर भाजपा ने प्रदेश की सभी 10 सीटें जीतकर वाहवाही लूटी और भाजपा को करीब 73 लाख वोट मिले थे लेकिन 6 महीने बाद ही विधानसभा चुनाव में भाजपा करीब 45 लाख वोटों तक ही सिमटकर रह गई। मसलन, करीब 28 लाख वोटरों ने भाजपा और खट्टर सरकार को पसंद नहीं किया। अब इन्हीं ङ्क्षबदुओं पर भाजपा संगठन हार के कारणों को तलाश रहा है कि आखिर 6 महीने में ऐसा क्या हो गया कि जनता को भाजपा सरकार के काम पसंद नहीं आए।

हार की समीक्षा के बीचभाजपा ने शुरू की भविष्य की तैयारी 
विधानसभा चुनाव में हार की समीक्षा के बीच भाजपा ने भविष्य की तैयारी शुरू कर दी है। संगठन पदाधिकारियों का मानना है कि आने वाले समय में लोकसभा चुनाव की तरह ही एक बार फिर वोटरों का विश्वास जीता जाएगा। इसके लिए संगठन की ओर से अगले 2 महीने की कार्यसूची पदाधिकारियों को सौंप दी गई है।

इसी बीच संगठन की चुनावी प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी। हालांकि प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में खट्टर सरकार के पार्ट वन में लिए गए कई अहम फैसलों को याद किया गया, लेकिन यह भी चर्चा हुई कि अब गठबंधन की सरकार में किस तरह से फैसले लिए जाएंगे। वजह साफ है कि गठबंधन के कारण सरकार को न्यूनतम सांझा कार्यक्रम तैयार करना पड़ा है,जिस पर अभी दोनों दलों के बीच सहमति बनना बाकी है।

हार की जिम्मेदारी किसी पर नहीं, आरोप-प्रत्यारोप जारी 
विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से दूर रहने वाली भाजपा में हार की जिम्मेदारी उठाने को कोई भी तैयार नहीं है। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में हार को लेकर कई पूर्व मंत्रियों ने जिम्मेदारी उठाने का मुद्दा उठाया। यही नहीं,पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा भी कह चुके हैं कि हार का कोई बाप नहीं होता।

हालांकि यह चुनाव पूरी तरह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में लड़ा गया था लेकिन प्रदेश में दोबारा खट्टर की अगुवाई में गठबंधन सरकार बनने के बाद जिम्मेदारी लेने जैसी मांगें अब सामान्य हो गईं। हालांकि पार्टी के अंदर एक धड़ा इस बात को चाहता है कि हार की जिम्मेदारी किसी न किसी को लेनी चाहिए लेकिन कार्यसमिति की बैठक में इन मांगों को खारिज कर दिया गया।  

Isha