टोक्यो ओलंपिक: दो बार चोट लगने के बाद भी नीरज ने हार नहीं मानी, दिलचस्प है उनके संघर्ष की कहानी

7/13/2021 2:43:50 PM

पानीपत: टोक्यो ओलंपिक की शुरूआत होने में दो सप्ताह से भी कम समय बचा है। जिसके लिए खिलाड़ियों की तैयारियों जोरों-शोरों पर हैं। ओलंपिक में इस बार देश के कई खिलाड़ियों से पदक जीतने की उम्मीद है। इन्हीं में से एक हैं हरियाणा के नीरज चोपड़ा, जोकि जेवलिन थ्रो में पदक के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। पानीपत के खंडरा गांव के नीरज चोपड़ा इन दिनों स्वीडन में हैं, जहां वह मेडल के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं।



नीरज की जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आए हैं। उन्हें दो बार चोट लगी, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज आज ओलंपिक में मेडल जीतने के मजबूत दावेदार बन गए हैं। इसके पीछे उनके परिवार का सहयोग काफी है। नीरज के चाचा भीम चोपड़ा बताते हैं कि वह स्वीडन में प्रैक्टिस कर रहा है। दो दिन पहले ही ग्रुप कॉल पर बात हुई थी। नीरज से 15 दिन में एक बार बात होती है। ताकि उसकी प्रैक्टिस डिस्टर्ब ना हो। शुरुआत में उसकी मां को काफी याद आती थी, लेकिन उन्हें समझाया कि ज्यादा लाड दिखाया तो खेल नहीं पाएगा। 

बात अगर उनके बचपन की करें तो वह अपनी दादी के काफी लाड़ले थे। स्कूल से आते ही दादी नीरज को एक कटोरे में मलाई के साथ चूरा या शक्कर मिलाकर खिलाती। इसके साथ एक कटोरा दूध भी पिलाती थी। जिसके चलते 12 साल की उम्र में नीरज का 55 किलो वजन हो गया। वजन कम करने के लिए मतलौडा जिम में छोड़ा। जिम बंद हुआ तो शिवाजी स्टेडियम के पास दूसरे जिम में जाने लगा। 



यहां स्टेडियम में उसके दोस्त जयवीर ने जेवलिन खेलने को कहा। जिसके बाद उन्होंने जिला स्तर की प्रतियोगिता में टॉप किया तो परिवार ने उनके खेल को सीरियस लेना शुरू किया। नीरज ने हरिद्वार में अंडर 16 का रिकॉर्ड बनाया। सिंथेटिक ट्रैक यहां नहीं था इसलिए पंचकूला शिफ्ट हुआ। 2015 में बास्केटबॉल खेलते समय गिरने से चोट लग गई। पलस्तर करवाना पड़ा, करीब 4 महीने खेल से दूर रहा। फिर कई गुना मेहनत से वजन कम किया। 

इसके बाद इंडिया कैंप में चयन हुआ तो पटियाला में रहा। उन्हें 2016 रियो ओलिंपिक से पहले बुखार था और 76 सेंटीमीटर से रह गए। इसके 6 दिन बाद ही वर्ल्ड चैंपियनशिप में 86.48 मीटर थ्रो के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। मेहनत जारी रखी। साउथ अफ्रीका में अभ्यास करते समय कोहनी में फैक्चर हो गया और ऑपरेशन करवाया। फिर कोरोना के कारण लगातार एक साल पटियाला में ही रहा। काफी समय खेल से दूर रहा। अब ओलिंपिक में मेडल जीतने कि लिए पसीना बहा रहे हैं। 



चोट के बारे में मां को नहीं बताते थे
नीरज के परिवार अनुसार जब-जब उसे चोट लगी तो उसको मां और दूसरी महिलाओं को नहीं बताते थे। घर में कितनी भी बड़ी घटना हो जाए यो नीरज को नहीं बताते, जिससे उसका खेल प्रभावित न हो उसे जितने पैसे की जरूरत होती, कोशिश करते थे कि उसे जरूर दें, उसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़े। जब खेलना शुरू किया तो सवा लाख की एक जेवलिन आती थी, लेकिन सभी ने मिलकर सारे खर्चे पूरे किए। घर के खर्च कम किए, खेती ज्यादा की और प्राइवेट नौकरी भी की। अभी भी खेती करते हैं।
 

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Content Writer

vinod kumar