ताऊ देवीलाल की विरासत की सियासत करने वाले किसान के साथ नहीं कुर्सी के साथ खड़े हैं: नीरज

9/23/2020 10:58:40 PM

चंडीगढ़ (धरणी): युवा विधायक नीरज शर्मा ने कहा है की विधायक तो विधायक होता है। हमें जब विधानसभा में शपथ दिलाई जाती है तो एक विधायक के नाते शपथ दिलाई जाती है। उन्होंने कहा की एक तरफ तो विधायक का रुतबा चीफ सेक्रेटरी से ऊपर का बताया जाता है। दूसरी तरफ जिला प्रशाशन विधायक का तिरस्कार करता है।

नीरज शर्मा ने कहा कि उन्होंने पहले भी ये जानकारी मांगी थी कि किस जिले से कितना राजस्व आ रहा है और सरकार के समक्ष मैंने मांग उठाई थी कि सरकार हमारे जिले से जितना राजस्व प्राप्त कर रही है, कम से कम उसमे आधा तो जिले पर लगाए। जिससे हमें अपने इलाके के विकास कार्यो के लिए यहा न रोना पड़े।

उन्होंने कहा की हमारी परिस्थितियां इसलिए यह हैं क्योंकि हम अपनी जनता का प्यार मिलने के बाद विधायक बन कर चंडीगढ़ आते हैं। कागजों की फाइले उठाए हमे कभी डारेक्टर ऑफिस तो कभी सेक्रेटरी ऑफिस धक्के खाने पड़ते हैं। फिर फाइलों पर डिस्कस लिख दिया जाता है और कहा जाता है की हमारे पास फंड नहीं हैं। यह ठीक है की इन्हें पूरे हरियाणा का ख्याल रखना है। अगर हमारा क्षेत्र जो दे रहा है, उसका आधा नहीं तो एक चौथाई हमारे क्षेत्रों को दे दें तो हमें विकास के लिए चंडीगढ़ का मुँह न करना पड़े। हम अपना हक मांग रहें है।

प्रश्न- कृषि विधेयकों के पारित होने पर आपकी क्या राय है।
उत्तर- यह देश के किसानों के साथ बड़ा धोखा है। बीजेपी के नेता कपड़े उतार उतार कर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग करते थे, लेकिन सरकार में आने के बाद रिपोर्ट के सुझाव तो दूर किसानों को कॉर्पोरेट के हाथ बेचने की तैयारी शुरू कर डर दी है।

प्रश्न- कृषि विधेयकों पर हरियाणा व पँजाब में लोग सड़कों पर आये क्या कारण मानते हैं।
उत्तर- किसानों को अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा है। इसलिए किसान सड़क पर है। किसान को अच्छी तरह पता चल गया है कि इन काले कानूनों से उसके लिए आने वाला समय और भी दुरूह होने वाला है।

प्रश्न- हर सिमरत कौर बादल के त्यागपत्र के राजनैतिक माईने क्या हैं। 
उत्तर- सरकार से खुद को अलग करने का फैसला छोटा फैसला नहीं होता है। सयाने नेता तात्कालिक छोटे लाभ के लिए भविष्य के बड़े नुकसान को नजर अंदाज़ नहीं करते । बादल परिवार ने पंजाब में जमीनी सियासत की है और वे किसानों की नब्ज को अच्छे से पहचानते हैं। उन्हें पता है कि उनका वोटर क्या सोच रहा है। ऐसे समय में कुर्सी के साथ चिपके रहने से अच्छा है अपने वोटर के साथ खड़े होना। यही पहल हरियाणा में दुष्यंत चौटाला को करनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ताऊ देवीलाल की विरासत की सियासत करने वाले किसान के साथ नहीं कुर्सी के साथ खड़े हैं।

प्रश्न- पिपली लाठीचार्ज पर आपका स्टैंड क्या है?
उत्तर- यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। अन्न दाता पर लाठी नहीं बरसाई जानी चाहिए थीं। अन्नदाता को अपनी बात कहने का हक मिलना ही चाहिए।

प्रश्न- सरकार कह रही है कि कृषि विधेयकों किसान के लाभ के हैं?
उत्तर- किसी किसान या किसान संगठन ने कभी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की मांग की है क्या। आप बताएं पिछले 70 सालों में किसी किसान ने मांगा क्या ऐसा कोई कानून। किसान को अपना हित नहीं पता पर सरकार को पता है। सरकार मुनाफा खोरी को बढ़ावा देगी। इस कानून में प्रावधान है कि किसी अदालत में कॉन्ट्रैक्ट को चुनौती नहीं दी जा सकेगी। अगर किसान को दिक्कत है तो उपमंडल अधिकारी नागरिक के पास शिकायत होगी और उसके फैसले से संतुष्ट न होने पर उपायुक्त के पास अपील। ये अधिकारी सरकार के नौकर हैं जिनकी ट्रांसफर पोस्टिंग सरकार के हाथ है फिर किसे इनसे उम्मीद की जा सकेगी कि इनके फैसले पक्षपात पूर्ण नहीं होंगे।

प्रश्न- कोरोना अनलॉक में रेलिया, मीटिंग,बन्द कितने जायज हैं। महामारी फैली हुई है।
उत्तर- सैद्धान्तिक रूप से महामारी में ऐसे प्रदर्शन नहीं होने चाहिए। लेकिन मरता क्या न करता, अब आप हमारे प्रदर्शन को ही लें। वीनस कंपनी के 68 कर्मचारियों को इसी महामारी में निकाल दिए गए एक महीन तक हम उनके साथ रामकथा पाठ करते रहे। परिणाम यह निकला कि आज वो लोग नौकरी पर वापस हैं।

प्रश्न- जे जी पी के टोहाना से विधायक देवेन्द्र बबली ने उपमुख्यमंत्री के खिलाफ जो मोर्चा खोला है को कैसे देखते हैं।
उत्तर- ये उनकी पार्टी का अंदरूनी मामला है। इस पर कोई टिप्पणी नहीं।

प्रश्न- धान घोटाला, शराब घोटाला जैसे कई घोटालों पर आपकी पार्टी एक्टिव है, विरोध कर रही है। दुष्यंत कहते हैं कोई घोटाला नहीं हुआ।
उत्तर- उनके कहने से क्या होता है। सारा हरियाणा जानता है कि लॉकडाउन पीरियड में गली गली में शराब बिकी है। एक घोटाला थोड़े हुआ है। डबुआ मंडी में इस दौरान कितने घोटाले हुए हैं। किसी से छिपे नहीं हैं। हर घोटाला सबूत के साथ बताया है। इसके बाबजूद कोई जांच नहीं हो रही है।

प्रश्न- पंचायतों में हरियाणा के अंदर 50 फीसदी महिलायों की भागीदारी को कैसे देखती हैं।
उत्तर- महिलाओं को अवश्य बराबर की हिस्सेदारी मिलनी चाहिए, मेरी मां खुद पार्षद रही हैं। बिना महिलाओं के राजनीति में सक्रिय हुए अच्छे लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं हो सकती लेकिन फिर महिलाओं को सशक्त भी किये जाने की ज़रूरत है। ऐसा न हो कि उन्हें कठपुतली बना कर पार्षद पति, पंच पति सत्ता चलाएं।

प्रश्न- गिरती जी डी पी को विपक्ष मुद्दा बना रहा है।
उत्तर- जीडीपी देश की अर्थव्यवस्था का तापमान बताती है। अगर गिर रही है तो फिर यह बड़ा मुद्दा नहीं होना चाहिए क्या। बेरोजगारी आज चरम पर है। हर धंधा पिटा पड़ा है।

प्रश्न- नशे की मंडी बन रहे हरियाणा में नशा कैसे रोका जा सकता है।
उत्तर- सरकार चाहे तो हवा नहीं चल सकती नशे को जिस दिन चाहे उस दिन सरकार रोक सकती है। दृढ़ इच्छा शक्ति की ज़रूरत है जो फिलहाल सरकार के पास नहीं है।

प्रश्न- हरियाणा में गठबंधन सरकार के कार्यों से बतौर विधायक कितने संतुष्ट हैं।
उत्तर- यह गठबंधन सरकार नहीं ठगबंधन है। अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए जुटे हुए लोग हैं। एक साल के भीतर सरकार कोई भी उल्लेखनीय कार्य नहीं कर सकी है। यहां तक कि विधानसभा में बैठ कर ऐसे ऐसे कानून बनाये हैं जिनसे सरकार के भ्रष्ट इरादे उजागर होते हैं। 

प्रश्न- कांग्रेस के हरियाणा में नए प्रभारी बनाए जाने पर क्या कांग्रेस में एकजुटता आएगी।
उत्तर- विवेक बंसल जी हरियाणा के नए प्रभारी है लेकिन उनका हरियाणा से पुराना नाता है। वर्ष 2005 में बंसल हरियाणा के सहप्रभारी रह चुके हैं। पार्टी की नीतियों की उन्हें गहरी समझ है और पार्टी कार्यकर्ताओं पर उनकी गहरी पकड़ है। और रही बात कांग्रेस में एकजुटता की तो हाथ के पंजे के नीचे सब एक हैं।

प्रश्न- बतौर विधायक क्या तुजर्बा है ?
उत्तर- युवा विधायक नीरज शर्मा ने कहा है की विधायक तो विधायक होता है। हमे जब विधानसभा में शपथ दिलाई जाती है तो एक विधायक के नाते शपथ दिलाई जाती है। उन्होंने कहा की एक तरफ तो विधायक का रुतबा चीफ सेक्रेटरी से ऊपर का बताया जाता है दूसरी तरफ जिला प्रशाशन विधायक का तिरस्कार करता है। 
हमारी परिस्थितिया इसलिए यह हैं क्योंकि हम अपनी जनता का प्यार मिलने के बाद विधायक बन कर चंडीगढ़ आतें हैं। कागजों की फाइले उठाये हमे कभी डारेक्टर ऑफिस तो कभी सेक्रेटरी ऑफिस धक्के खाने  पड़ते है। फिर फाइलों पर डिस्कस लिख दिया जाता है व कहा जाता है की हमारे पास फंड नहीं हैं। यह ठीक है की इन्हे पूरे हरियाणा का ख्याल रखना है। अगर हमारा क्षेत्र जो दे रहा है, उसका आधा नहीं तो एक चौथाई हमारे क्षेत्रों को दे दें तो हमें विकास के लिए चंडीगढ़ का मुँह न करना पड़े। हम अपना हक मांग रहें है।  
 

vinod kumar