लापरवाही: अधिकतर प्राइवेट स्कूलों में नहीं लगे फायर सेफ्टी सिस्टम

9/29/2019 1:55:29 PM

सिरसा: गुजरात के सूरत में इसी साल की 24 मई शुक्रवार के दिन कोङ्क्षचग सैंटर में आग लगने से 20 मासूम विद्यार्थी काल के गाल में समा गए थे। कोङ्क्षचग सैंटर में अगर आग बुझाने के पुख्ता इंतजाम होते तो हादसा इतना भीषण न होता। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद देश भर में शिक्षण संस्थानों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इन निर्देशों में कहा गया था कि स्कूलों में आग बुझाने के उपकरण व उनका रखरखाव सुनिश्चित किया जाए। मगर ये निर्देश यहां औपचारिकता के लबादे में लिपटकर रह गए हैं। 

प्राइवेट स्कूलों में फायर सेफ्टी सिस्टम लागू करवा पाने में प्रशासन नाकाम साबित हुआ है। करीब 90 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जिनमें फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं लगे हैं। इन स्कूलों में पढऩे वाले हजारों बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। भगवान न करे कि यदि सूरत कोङ्क्षचग सैंटर जैसी घटना जिला के किसी शिक्षण संस्थान में घटित हो गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? सरकार सिस्टम इतना पंगु हो चला है कि हादसा होने के बाद अधिकारी हरकत में आते हैं लेकिन इससे पहले इनके हाथ पैर नहीं हिलते। आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि सिरसा जिला के अधिकतर प्राइवेट स्कूल संचालक नियमों के पालन को लेकर गंभीर नहीं। अनुमानित तौर जिला में 200 के करीब छोटे-बड़े प्राइवेट स्कूल चल रहे हैं। 

कई स्कूल तो ऐसे स्थानों पर चल रहे हंै जिनके भवन काफी जर्जर हो चुके हैं। अनेक स्कूल ऐसे हैं जहां तक दमकल की गाड़ी पहुंच नहीं सकती। तंग गलियों, जर्जर भवनों में चल रहे स्कूलों में आग बुझाने के यंत्र तो दूर अन्य बुनियादी सुविधाएं नदारद हैं। जिला में वर्ष 2017 के दौरान महज 18 प्राइवेट स्कूलों ने ही दमकल विभाग से फायर एन.ओ.सी. प्राप्त की। जबकि वर्ष 2018 में सिर्फ 48 स्कूल संचालक ही फायर एन.ओ.सी. हासिल कर पाए। इस वर्ष भी हालात बुरे हैं। अब तक के इन 9 महीनों में मात्र 11 निजी स्कूलों ने ही दमकल विभाग से फायर एन.ओ.सी. प्राप्त की है। m इससे साफ पता चलता है कि ज्यादातर निजी स्कूल संचालक फायर एन.ओ.सी. को लेकर गंभीर नहीं। फायर एन.ओ.सी. उसी स्कूल को मिलती है जो दमकल विभाग द्वारा तय मापदंडों पर खरा उतरता है। मसलन अगर स्कूल की कक्षाएं ग्राऊंड फ्लोर पर हैं तो आग बुझाने के यंत्र, बाल्टी, रेत आदि का प्रबंध होना चाहिए। 

कक्षाएं अगर ऊपरी मंजिल पर है तो होजरिल फायर सिस्टम लगा होना जरूरी है। होजरिल फायर सिस्टम वह होता है जिसमें छत के केंद्र ङ्क्षबदु पर एक यंत्र लगा होता है और यह यंत्र पाइपलाइन के जरिए आग लगने वाले स्थान पर प्रैशर से पानी डालता है। मगर हैरत की बात ये है कि जिला के अधिकतर प्राइवेट स्कूल फायर एन.ओ.सी. को लेकर सुस्ती की चादर ताने सो रहे हैं तो वहीं जिला प्रशासन भी खर्राटे भर रहा है। हजारों बच्चों की जिंदगी को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। प्रशासन की यह लापरवाही कभी भी बहुत बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती है। 

Isha