नई खोज: एक टेस्ट से पता चलेगा डिलीवरी टाइम पर होगी या प्री- मेच्योर

10/27/2018 12:19:34 PM

चंडीगढ़(ब्यूरो): देश में हर साल करीब 33 लाख बच्चे समय से पहले ही पैदा होते हैं, जिसमें से करीब 1.7 लाख की मौत हो जाती है। इस अांकड़े को कम करने के लिए सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट फॉर माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी (इमटेक) के साइंटिस्ट ने एक एेसी टेस्टिंग किट तैयार की है जिसमें सिर्फ खून की दो बूंद डालने से ही पता चल जाएगा कि डिलीवरी समय पर होगी या प्री-मेच्योर। 

डॉ. आशीष गांगुली और उनकी टीम ने इसको तैयार किया है। इसके कॉमर्शियलाइजेशन को भी मंजूरी दे दी गई है। डॉ. गांगुली ने बताया कि वे एक ऐसे प्रोटीन पर काम कर रहे हैं, जो इंजरी को ठीक करता है। सबसे ज्यादा इंजरी का मौका रहता है बच्चे को जन्म देने में उन्हें यहीं से ख्याल आया और उन्होंने इस दिशा में काम करना शुरू किया। 2013 में उनको इसके लिए गेट्स फाउंडेशन से ग्रांट भी मिली। इसके बाद सीएसआईआर ने इस प्रोजेक्ट को अागे बढ़ाने के लिए ग्रांट दी। डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ने इस किट को बाजार में लाने के लिए मंजूरी दी है। 50 फीसदी हिस्सा ‘ऑनयुजम हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड’ को खर्च करना है।

इस तरह पता चलेगा 
डॉ. गांगुली ने बताया कि मां के खून में जेलसोलिन की मात्रा को मापा जाएगा। यदि प्रोटीन की मात्रा शरीर में बढ़ती है तो बच्चा समय पर पैदा होगा। यदि कम रहती है तो प्री-मेच्योर डिलीवरी होगी। उनकी किट ‘कोंपल’ 5वें महीने में सबसे बेहतर रिजल्ट देती है। मां के खून की सिर्फ दो बूंदें इस पर डालनी होंगी। यह टेस्ट घर भी किया जा सकता है।

600 रु. में मिलेगी किट :
डॉ आशीष की टीम में डॉ. रेनू गर्ग, डॉ. आमीन, डॉ. नागेश और डॉ. समीर भी शामिल थे। लैब में इसकी कीमत लगभग 150 रु. पड़ी थी, लेकिन बाजार में यह करीब छह 600 में उपलब्ध होने की संभावना है। किट को तैयार करने वाली कंपनी ऑनयुजम से डॉ. सर्वेश ने कहा कि उनका प्रयास होगा कि 6 महीने से एक साल के भीतर ये किट बाजार में उपलब्ध हो जाए।



33,00,000 के करीब  बच्चे भारत में प्री-मेच्योर पैदा होते हैं। 
284 महिलाओं पर किया गया क्लीनिकल ट्रायल रहा सफल 
16% रिजल्ट सही नहीं आए, उनमें भी डिलीवरी टाइम में 11 दिन का अंतर ही पाया गया 
84% तक रिजल्ट सही पाए गए 

इस किट का 284 महिलाओं पर क्लीनिकल ट्रायल किया गया, जो पूरी तरह से सफल रहे। इसके कुछ टेस्ट पीजीआई एमईआर में भी हुए हैं। लगभग 80 से 84 फीसदी तक रिजल्ट सही पाए गए हैं, जो 16 परसेंट रिजल्ट सही नहीं आए, उनमें भी डिलीवरी टाइम में अधिकतम 11 दिन का अंतर पाया गया है।

Deepak Paul