सत्ता का लांचिंग पैड बना उपचुनाव, मगर विकास का विमान नहीं उतरा

1/14/2019 9:02:34 AM

जींद (संजय अरोड़ा/जसमेर मलिक): प्रदेश की राजनीतिक राजधानी का दर्जा हासिल जींद नेताओं को सत्ता के शीर्ष पर पहुंचाने का लांङ्क्षचग पैड तो जरूर बना लेकिन इसकी धरती पर विकास का विमान किसी नेता ने उस लिहाज से लैंड नहीं करवाया जिस लिहाज से जींद की धरती और लोगों ने नेताओं को सत्ता की कमान सौंपने का काम किया। नेताओं को राजनीतिक ताकत देने वाला जींद विकास में शून्य ही रहा। जींद उप-चुनाव में यह अब बड़ा मुद्दा बनने लगा है।

चिकित्सा सेवाओं में मेवात से भी पिछड़ा, औद्योगिक विकास के नाम पर शून्य

जींद सरकारी चिकित्सा सेवाओं के मामले में मेवात से भी पिछड़ा है। यहां के सिविल अस्पताल की ही बात की जाए तो 55 में से डाक्टरों के 39 पद खाली हैं। औद्योगिक विकास में यह शून्य है। यहां का औद्योगिक क्षेत्र प्रदेश का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जिसमें 30 साल बाद भी आधे से ज्यादा औद्योगिक प्लाट आबाद नहीं हो पाए। पूरे औद्योगिक क्षेत्र में 3-4 उद्योगों को छोड़ और कोई उद्योग नहीं चल रहा। डी.एल.एफ. ग्रुप के आई.सी.एल. से लेकर दूसरे कई बड़े उद्योग पूरी तरह बंद हो गए।

जिले में एक भी सरकारी पॉलीटैक्निक या इंजीनियरिंग कालेज नहीं है। शिक्षा के नाम पर जींद को केवल एक यूनिवॢसटी की सौगात जरूर कुछ साल पहले मिली लेकिन यह भी पूरी तरह विकसित नहीं हो पाई है। जींद-हिसार के बीच सीधी रेलवे लाइन अब तक नहीं बनी है। नए आई.एम.टी. की जींद में घोषणा कई बार हुई लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। जींद सहकारी चीनी मिल की पिराई क्षमता बढ़ाने की घोषणा प्रदेश में 1998 से अब तक सत्ता में रही तमाम सरकारों के समय हुई, लेकिन पिराई क्षमता अब तक नहीं बढ़ी है।

Deepak Paul