उद्यमी बोले : 9 माह बाद भी नहीं मिलता बिजली कनैक्शन

11/3/2018 10:03:30 AM

सोनीपत(संजीव दीक्षित): सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए ऋण योजना बेहद आसान कर 59 मिनट में ऋण उपलब्ध करवाने के दावे के बीच सोनीपत के उद्यमियों ने बिजली कनैक्शन के मामले में अधिकारियों की लापरवाही को मंच से ही सी.एम. मनोहर लाल के सामने उजागर कर दिया। बता दें कि केंद्र सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों के अंतर्गत सहयोग एवं सम्पर्क कार्यक्रम के तहत देशभर के 100 जिलों के उद्यमियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कान्फै्रंसिंग के जरिए रू-ब-रू हुए।

दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं तकनीकी विवि, मुरथल में आयोजित इस कार्यक्रम में पी.एम. मोदी के भाषण से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल जिले के उद्यमियों से रू-ब-रू हुए। उनके सामने मंच से बोलते हुए सोनीपत औद्योगिक एसोसिएशन के प्रधान श्रीभगवान गुप्ता ने सभी उद्यमियों की समस्या रखते हुए कहा कि यह सही है कि सरकार 59 मिनट में ऋण स्वीकार करने की योजना ला रही है, जिससे युवाओं को प्रोत्साहन मिलेगा, लेकिन यह भी सच्चाई है कि ऋण के लिए आवेदन करने वालों को बैंक खूब तंग करते हैं। बैंकों में उन्हें उल-जलूल औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कहा जाता है। 

यदि बैंक समय का भी ध्यान रखकर सहयोग करें तो सही मायने में यह योजना सार्थक हो सकती है। गुप्ता ने कहा कि सोनीपत के कुंडली व राई औद्योगिक क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या बिजली कनैक्शनों की है। जिन उद्यमियों ने यहां महंगे भाव में प्लाट लेकर उद्योग शुरू करने की मंशा से 9 माह पहले कनैक्शन अप्लाई किया था उन्हें आज तक भी कनैक्शन नहीं मिला है। अधिकारियों की ओर से भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तुरंत बिजली निगम के एस.ई. एस.एल. राय व एक्स.ई.एन. शर्मा को मंच पर तलब किया व पूरी जानकारी ली। सी.एम. ने कहा कि कुंडली में नया सब स्टेशन बन रहा है और राई के सब स्टेशन को अपडेट किया जा रहा है। 2017 के 47 कनैक्शन बाकी थे।

उद्योगतियों ने अपनी सी.एम. मनोहर लाल के सामने मंच से ही कहा कि 5 फरवरी 2012 में हुड्डा सरकार ने सोनीपत, पानीपत, बहादुरगढ़ व यमुनानगर के उद्योगों को एच.एस.आई.आई.डी.सी. के अधीन कर दिया था। इसके बाद से उद्योग बीच में लटके हुए हैं। न तो एच. एस. आई. आई. डी.सी. उनका विकास कर रहा है और न ही जिला प्रशासन हस्तक्षेप कर रहा। ऐसे में सी.एम. यह निर्णय ले कि उन्हें प्रशासनिक रूप से भले ही एच.एस.आई.आई.डी.सी. के अधीन रखा जाए लेकिन विकास का जिम्मा नगर निगमों या फिर लोकल प्रशासन को दिया जाए। 

Rakhi Yadav