हरियाणा विधानसभा का आधा कार्यकाल पूरा हालांकि आज तक भूपेंद्र हुड्डा के नेता प्रतिपक्ष होने बारे आधिकारिक नोटिफिकेशन नहीं

5/2/2022 8:53:17 PM

चंडीगढ़(धरणी): मौजूदा 14 वीं हरियाणा विधानसभा का गठन हुए पूरे अढ़ाई वर्ष बीत गए हैं। 4 नवम्बर 2019 को इसकी पहली बैठक बुलाई गई थी जिसमें वर्तमान  स्पीकर (अध्यक्ष) ज्ञान चंद गुप्ता का सर्वसम्मति से निर्वाचन हुआ था। उसी दिन स्पीकर द्वारा विधानसभा  में 31 सदस्यी कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सदन के नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता प्रदान करने की भी बात सामने आई थी।

हालांकि वर्तमान विधानसभा का आधा कार्यकाल पूर्ण हो चुका है परन्तु आज तक न तो हरियाणा विधानसभा सचिवालय द्वारा और न ही प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव के अधीन आने वाले  संसदीय कार्य विभाग द्वारा  हुड्डा को सदन में नेता प्रतिपक्ष (लीडर ऑफ़ ओप्पोसिशन) बनाने सम्बन्धी गजट नोटिफिकेशन जारी ही नहीं की गयी है। अब ऐसा भूलवश हुआ है अथवा किसी और कारण से, यह निश्चित तौर पर जांच करने योग्य विषय है. 

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने सोमवार इस सम्बन्ध में विधानसभा स्पीकर और प्रदेश सरकार को लिख कर उपरोक्त गजट नोटिफिकेशन जारी करने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि बीती 25 अप्रैल 2022 को जब उन्होंने पडोसी राज्य पंजाब के सम्बन्ध में वहां के संसदीय कार्य विभाग द्वारा पंजाब सरकार के सरकारी गजट में प्रकाशित कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा का नाम मौजूदा 16 वीं पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर अधिसूचित करने के सम्बन्ध में जारी नोटिफिकेशन देखी तो इसी सम्बन्ध में मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर भूपेंद्र हुड्डा बारे जारी ऐसी नोटिफिकेशन को प्रदेश सरकार की ई-गजट वेबसाइट पर गहनता से ढूंढा परन्तु उन्होंने पाया कि न तो वह हरियाणा विधानसभा सचिवालय और न ही संसदीय कार्य विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में जारी नोटिफिकेशन उक्त वेबसाइट पर उपलब्ध है। हरियाणा विधानसभा और मुख्य सचिव कार्यालय की आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपरोक्त नोटिफिकेशन अपलोड नहीं की गयी है।   

ज्ञात रहे कि पंजाब में नेता प्रतिपक्ष हेतु प्रदेश विधानसभा द्वारा वर्ष 1978 में विशेष कानून बनाया गया था जिसकी धारा 9 में पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के सम्बन्ध में राज्यपाल के नाम से गजट नोटिफिकेशन जारी की जाती है।

हेमंत ने बताया कि हालांकि हरियाणा में पंजाब की तर्ज पर नेता प्रतिपक्ष हेतु विशेष कानून तो नहीं बनाया गया है परन्तु हरियाणा विधान सभा (सदस्यों का वेतन, भत्ते और पेंशन) कानून, 1975 की धारा 2 (डी) में सदन के नेता प्रतिपक्ष को परिभाषित किया गया है जिसका अर्थ है सदन का वह सदस्य जिसे इस पद हेतु स्पीकर द्वारा मान्यता प्रदान की गई हो। यही नहीं उक्त

1975  कानून की धारा 4  में सदन में नेता प्रतिपक्ष के वेतन-भत्तों और अन्य सुविधाओं बारे विशेष उल्लेख किया गया है एवं इस पद पर आसीन पदाधिकारी का दर्जा हरियाणा प्रदेश के कैबिनेट मंत्री के समकक्ष होता है.

उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त गत वर्ष 24 मार्च 2021 को  हरियाणा विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन सम्बन्धी नियमावली में संशोधन कर उसके  नियम संख्या 2 में प्रतिपक्ष के नेता को परिभाषित किया गया है जिससे अभिप्राय है सदन में ऐसे बड़े विधायक दल का नेता जिसके सदस्यों की संख्या सरकार का गठन करने वाले दल/दलों को छोड़कर सबसे अधिक हो तथा कम से कम सदन की गणपूर्ति की संख्या के बराबर संख्या हो तथा अध्यक्ष द्वारा यथा मान्यता प्राप्त हो। 

हेमंत ने पत्र में लिखा है कि अगर मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा की 4 नवंबर, 2019 को आयोजित पहली बैठक से लेकर आज तक विधानसभा अध्यक्ष  द्वारा हुड्डा को सदन में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता देने के सम्बन्ध में उनके कार्यालय से पत्र आदि किया भी जा चुका है, तो उसके बावजूद इस सम्बन्ध में गजट नोटिफिकेशन भी जारी की जानी चाहिए क्योंकि सदन के नेता प्रतिपक्ष का पद बेशक संवैधानिक पद नहीं हैं परन्तु वह वैधानिक पद अवश्य है और इस बारे में सर्वसाधारण को जानकारी देने बारे प्रदेश के शासकीय गजट में अधिसूचना अवश्य होनी चाहिए।

Content Writer

Vivek Rai