अब धान देने से पहले होगी छानबीन, फिर मिलेगी राइस मिलर को धान

7/15/2018 12:10:22 PM

करनाल (सरोए): पिछले कई सालों से कई राइस मिलर सरकार के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। सरकार का धान लेकर चावल वापस नहीं लौटा रहे जिससे खाद्य आपूॢत विभाग द्वारा सरकार का चावल वापस न देने के कारण केस भी दर्ज करवाए गए हंै, साथ ही विभाग के पास लगातार शिकायतें आ रही थी कि कई डिफाल्टर राइस मिलर नाम बदलकर या परिवार के अन्य सदस्य के नाम से सरकार से धान ले लेकर अपना काम करते रहते हैं जिससे आगे भी सरकार का चावल न मिलने की संभावना बन जाती थी। अब आगे से ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो। इसके लिए विभाग द्वारा नई पैडी अर्थात धान लेने के इच्छुक राइस मिलर के पैन कार्ड नम्बर लेगा।

 उसके बाद नम्बरों के माध्यमों से छानबीन करेगा। पता किया जाएगा कि सरकार से धान लेने के इच्छुक राइस मिलर पहले कभी डिफाल्टर रहा है या नहीं, या परिवार का सदस्य डिफाल्टर रहा है या नहीं। पूरी जानकारी हासिल की जाएगी। उसके बाद सैंटर वाइज विभाग की टीमें गठित की जाएंगी। जो राइस मिलों में जाकर फिजिकल वैरीफिकेशन करेगी और रिपोर्ट जमा करवाएंगी। उसके बाद विभाग द्वारा योग्य राइस मिल संचालकों को धान देगी। 

यही नहीं इस बार सरकार की योजना अनुसार राइस मिलर को 75 प्रतिशत की बैंक गारंटी विभाग को देनी होगी अर्थात जो राइस मिलर सरकार से धान लेना चाहता है, उसके माल की 75 प्रतिशत गारंटी बैंक द्वारा देनी होगी तभी धान मिलेगी।  काबिलेगौर है कि करनाल में करीब 25 राइस मिलरों ने सरकार से धान लेकर पूरा चावल नहीं लौटाया है। जिसके कारण विभाग द्वारा डिफाल्टर राइस मिलर के खिलाफ केस दर्ज करवाया है साथ ही अब उनकी सम्पत्ति अटैच करने की कार्रवाई तेजी से चल रही है जिसके चलते राइस मिलर अपनी सम्पत्ति को नहीं बेच सकेंगे। 

क्या कहते हैं पूर्व प्रधान
करनाल राइस मिलर एसोसिएशन के पूर्व प्रधान विजय ठक्कर ने बताया कि सरकार की पॉलिसी अच्छी है। राइस मिलर सरकार से जितना धान ले, उसका पूरा चावल सरकार को दें लेकिन शैलर संचालक पिछले कई सालों से घाटे में जा रहे हैं। सरकार को पॉलिसी में बदलाव करके प्रति किं्वटल 67 किलोग्राम की बजाय 63 या 64 किलो ग्राम करना चाहिए। क्योंकि धान से बड़ी मुश्किल से 63-64 किलो ही चावल निकलता है। क्योंकि करनाल मंडी में धान लगभग कंबाइन से कटा हुआ ही आता है। जिसमें कस प्रति किलोग्राम 2 से अढ़ाई किलो कम निकलती है जिससे राइस मिलर परेशान हैं। जबकि हाथ की कटाई वाली धान में एक से डेढ़ किलो ज्यादा निकलती है। सरकार को कस कम करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को धान की कुटाई प्रति किं्वटल 10 रुपए की बजाय 50 रुपए किं्वटल करने चाहिए, क्योंकि बिजली आदि के रेट काफी बढ़ गए हैं।

क्या कहते हैं डी.एफ.एस.सी.
डी.एफ.एस.सी. कुशल बूरा ने बताया कि सरकार जो धान राइस मिलर को दे, उसके बदले में राइस मिलर पूरा चावल वापस करे। साथ ही किसी डिफाल्टर राइस मिलर या उसके परिवार के सदस्यों को धान न मिल सके। इसके लिए पूरी सतर्कता बरती जाएगी। मिलों का निरीक्षण करने के बाद भी कई-कई बार छानबीन की जाएगी ताकि किसी कमी की कोई गुंजाइश न रहे। सही राइस मिलर को धान मिले, इसके लिए पूरी छानबीन की जाएगी। 

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Deepak Paul