अधिकारियों ने मृतकों को भी बांटी थी पेंशन, हाईकोर्ट पहुंचा मामला

10/25/2017 1:17:59 PM

कुरुक्षेत्र(ब्यूरो): जिले में मृत पेन्शन धारकों को समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने पेंशन बांट कर अपनी जेब भरी थी। जिसकी शिकायत हाईकोर्ट में की गई है। और दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर भी करवा दी गई है। इन अधिकारियों से पेंशन के रूपयों की वसूली भी कर ली गई है। हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि, कुरुक्षेत्र जिले में मृत पेंशन धारकों को बांटे गई राशि की वसूली दोषी अधिकारियों से कर ली गई है। समाज कल्याण विभाग के दोषी अधिकारियों से 13,45,725 रुपये वसूले गए, एक एफ. आई.आर. शाहबाद थाने में दर्ज करवा दी गई है।

दरअसल, शाहबाद के आर.टी.आई. एक्टिविस्ट राकेश बैंस ने वकील प्रदीप रापडिय़ा के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर करके यह कहते हुए सी.बी.आई. जाँच की गुहार लगाई थी। राकेश के अनुसार,  पूरे हरियाणा में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से मृत व्यक्तियों को पेंशन बांटकर पेंशन घोटाले को अंजाम दिया। याचिका में कैग की ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि 15.72 करोड़ की बुढ़ापा पेंशन राशि अयोग्य लाभार्थियों को बांट दी गई। वहीं अयोग्य लाभार्थियों में 12814 ऐसे लोगों को पेंशन बांटी गई, जिनके पति या पत्नी पहले से ही सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त होकर पेंशन ले रहे थे।

हाई कोर्ट ने 18 जनवरी को नोटिस जारी करते हुए एडवोकेट जनरल  को मामले में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने की हिदायत दी थी। लेकिन हैरानी की बात है कि स्टेटस रिपोर्ट में सिर्फ कुरुक्षेत्र जि़ले में हुए घोटाले का जिक्र है, अन्य जिलों में हुए घोटले में सरकार ने मौन धारण कर लिया है। जबकि याचिका में रोहतक, कैथल, हिसार सोनीपत जिलों में भी हुए पेंशन घोटाले को उठाया गया था। सरकार द्वारा घोटालों की जांच को एक जिले तक सीमित रखने से यह प्रतीत होता है कि, घोटालों के मास्टरमाइंड सरकारी अधिकारियों को खट्टर सरकार बचाना चाहती है।

बता दें कि, भाजपा सरकार ने राजस्थान में एक नया कानून लेकर आई है। इसके तहत सरकार की इजाजत के बगैर पुलिस सरकारी अधिकारियों व राजनेताओं के खिलाफ जांच शुरु नहीं कर सकती। मीडिया भी भ्रष्टाचार की खबरें पब्लिश नहीं कर सकता, यदि ऐसा कोई करता है तो उसे जेल भी भेज दिया जाएगा। खट्टर सरकार हरियाणा में भी सरकारी अधिकारियों को बचाने के लिए अघोषित नीति के तहत काम कर रही है।