35 वर्ष पूर्व 2 दिसम्बर 1989 को पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे ओम प्रकाश चौटाला...
punjabkesari.in Friday, Dec 20, 2024 - 05:12 PM (IST)
चंडीगढ़चंद्र शेखर धरणी): हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला का आज दिल का दौरा पड़ने से गुरुग्राम में निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार कल शनिवार 21 दिसंबर को उनके पैतृक गांव चौटाला जिला सिरसा में किया जाएगा। शहर निवासी हाईकोर्ट और राजनीतिक विश्लेषक एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि 1 जनवरी 1935 को जन्मे ओ.पी.चौटाला कुल 5 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं जोकि अब तक अपने आप में एक रिकॉर्ड है. आज से 11 दिन बाद 1 जनवरी 2025 को वह 90 वर्ष के होने वाले थे. चौटाला हरियाणा प्रदेश विधानसभा के 2 उपचुनाव और 5 आम चुनाव जीतकर कुल 7 बार विधायक निर्वाचित हुए थे जबकि करीब तीन वषो तक वह हरियाणा से राज्यसभा के सदस्य भी रहे थे ।
हेमंत ने आगे बताया कि सर्वप्रथम वर्ष 1968 में हरियाणा विधानसभा के दूसरे आम चुनाव में ओपी चौटाला ने अपने राजनीतिक जीवन का पहला चुनाव तत्कालीन हिसार जिले की ऐलनाबाद (वर्तमान में सिरसा जिले में) वि.स. सीट से लड़ा था जिसमें वह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार थे. उस चुनाव में चौटाला को हालांकि राव बीरेंद्र सिंह की तत्कालीन विशाल हरियाणा पार्टी के लाल चंद ने पराजित कर दिया था परन्तु चौटाला ने लाल चंद के चुनाव को हाई कोर्ट में इलेक्शन पिटीशन दायर कर चुनौती दी थी जिस पर मई, 1970 में कोर्ट ने लाल चंद का विधायक के तौर पर चुनाव खारिज कर दिया एवं उस चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे चौटाला को निर्वाचित घोषित कर दिया था। उस समय कांग्रेस के बंसी लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे जबकि एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल उनके मंत्रिमंडल में थे।
हेमंत ने बताया कि जब ओपी चौटाला के पिता चौधरी देवी लाल जून, 1987 में दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तो अगस्त,1987 में चौटाला को हरियाणा से राज्यसभा की एक सीट हेतु हुए उपचुनाव में निर्वाचित करवा दिल्ली भेजा गया एवं करीब तीन वर्षो तक अर्थात अप्रैल, 1990 तक हरियाणा से राज्यसभा रहे थे. सांसद रहते हुए ही चौटाला पहली बार दिसंबर, 1989 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे जब तत्कालीन मुख्यमंत्री देवी लाल केंद्र में तत्कालीन वीपी सिंह की सरकार में पहली बार उप-प्रधानमंत्री बने।
2 दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे एवं 22 मई 1990 तक वह इस पद पर रहे. रोहतक ज़िले की महम विधानसभा सीट पर उपचुनाव करवाने दौरान उत्पन्न विवादों के चलते, जहां से वह स्वयं प्रत्याशी थे, उन्हें मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था. हालांकि पद से हटने के एक सप्ताह के भीतर ही उन्होंने सिरसा ज़िले की तत्कालीन दरबा-कलां सीट से विधानसभा उपचुनाव जीता. चौटाला के बाद बनारसी दास गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया गया।
इसके बाद तत्कालीन छठी विधानसभा दौरान 12 जुलाई 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता ने त्यागपत्र दे दिया था. हालांकि चौटाला को भी मुख्यमंत्री बनने के 5 दिनों बाद 17 जुलाई 1990 को ही कुछ राजनीतिक कारणों की विवशता के कारण मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था और मास्टर हुक्म सिंह प्रदेश के अलगे मुख्यमंत्री बने।
इसके बाद उसी विधानसभा दौरान 22 अप्रैल 1991 को चौटाला तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे परन्तु केवल दो सप्ताह अर्थात 5 अप्रैल तक ही इस पद पर रह सके क्योंकि हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल धनिक लाल मंडल की सिफारिश पर केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था. हालांकि उसके बाद वर्ष 1993 में भजन लाल सरकार की सरकार के दौरान नरवाना उपचुनाव जीतकर एवं कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला को पराजित कर ओम प्रकाश चौटाला ने सबको चौंका दिया था।
24 जुलाई, 1999 में चौटाला चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने जब तत्कालीन बंसी लाल सरकार की हविपा-भाजपा सरकार से पहले भाजपा ने समर्थन वापिस ले लिया जिसके बाद हविपा में फूट पड़ गयी एवं पार्टी के बागी विधायकों के गुट के समर्थन और भाजपा के सहयोग से चौटाला मुख्यमंत्री बने हालांकि इसके बाद दिसंबर, 1999 में उन्होंने विधानसभा भंग करवा दी और ताज़ा विधानसभा चुनावो पश्चात 2 मार्च, 2000 को चौटाला पांचवी बार और पूरे 5 वर्षो तक अर्थात मार्च, 2005 तक चौटाला प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. हालांकि इसी कार्यकाल दौरान 2004 लोकसभा चुनावो से पहले ही इनेलो और भाजपा का गठबंधन टूट गया था।
हेमंत ने बताया कि अपने राजनीतिक जीवन दौरान चौटाला लोक दल, जनता दल, समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय ), फिर समता पार्टी से चुनाव लड़ते और जीतते रहे. हालांकि 1996 लोकसभा चुनावो के बाद उन्होंने हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय )- हलोदरा के नाम से नई पार्टी बना ली और 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनावो में बसपा से गठबंधन कर प्रदेश की 10 में से 5 लोक सभा सीटें जीती जिसके बाद हलोदरा को मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा प्राप्त हो गया था. इसके बाद उन्होंने पार्टी का नाम हलोदरा से बदलकर इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो ) कर लिया था जोकि आज तक चल रहा है. दिसंबर, 2018 में चौटाला के बड़े पुत्र अजय चौटाला और पौते दुष्यंत चौटाला द्वारा पारिवारिक और राजनीतिक मतभेदों कारण इनेलो छोड़कर अलग जननायक जनता पार्टी (जजपा ) का गठन किया गया. अक्टूबर, 2019 विधानसभा चुनावों में इनेलो और जजपा ने एक दूसरे के विरूद्ध चुनाव लड़ा था. वर्तमान में हरियाणा में इनेलो और जजपा दोनों को मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा प्राप्त है. दो माह पूर्व हुए मौजूदा 15वीं विधानसभा चुनाव में इनेलो के 2 विधायक निर्वाचित हुए जबकि जजपा का एक भी विधायक नहीं बन सका.