हरियाणा में केवल 3 बार ही बनी हैं प्रचंड बहुमत के साथ सरकारें

10/30/2019 1:32:08 PM

डेस्क(संजय अरोड़ा)-हरियाणा का सियासी मिजाज बड़ा अनूठा रहा है। साल 1967 से लेकर 2019 तक 52 वर्ष के राजनीतिक इतिहास में 1 3  विधानसभा चुनाव में केवल 3 मौकों पर ही प्रचंड बहुमत के साथ सरकारें बनीं। शेष चुनावों में या तो जादुई आंकड़े के आसपास रहकर सरकारों का गठन हुआ या जोड़-तोड़  की सरकारें बनीं। प्रदेश में कई बार ऐसे मौके आए जब त्रिशंकु विधानसभा का गठन हुआ है। गौरतलब है कि हरियाणा का गठन होने के बाद साल 1967 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ। कांग्रेस को 81 में से 48 सीटों पर जीत मिली। बहुमत से सरकार बनी, पर राव बीरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार अधिक समय नहीं चली। साल 1968 में मध्यावधि चुनाव हुए और कांग्रेस को 48 सीटों पर जीत मिली। बंसीलाल के नेतृत्व में इस बार सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया। 

इसके बाद साल 1972 के चुनाव में कांग्रेस को 52 सीटों पर जीत मिली और बंसीलाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। वर्ष 1977 में पहला मौका आया जब प्रदेश में चौधरी देवीलाल के नेतृत्व में जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया और 75 सीटों का बहुमत हासिल करने के साथ चौ. देवीलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद साल 1982 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जादुई आंकड़े से 10 सीटों से दूर 36 पर अटक गई। उस चुनाव में 16 आजाद विधायक बने। कांग्रेस ने आजाद एवं अन्य विधायकों के सहारे जोड़-तोड़ की सरकार बनाई। इसके बाद साल 1987 में देवीलाल के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। 1991 में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत तो नहीं मिला लेकिन 51 सीटों पर जीत हासिल करते हुए एक स्थिर सरकार बनाई। 1996 में बंसीलाल ने जोड़-तोड़ की सरकार बनाई। 

ऐसा ही आलम साल 2000 में भी रहा। इनैलो ने 47 सीटों यानी जादुई आंकड़े से एक सीट अधिक जीती। ऐसे में ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में इनैलो की सरकार बनी। इसके बाद 2009 में भी कांग्रेस जादुई आंकड़े से 6 अंक नीचे 40 पर अटक गई। तब कांग्रेस ने आजाद विधायकों का सहारा लेकर सरकार बनाई। जाहिर है कि हरियाणा में प्रचंड बहुमत की सरकारें महज 3 बार ही बनी हैं। अब एक बार फिर भाजपा 40 विधायकों के साथ बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है। जादुई अंक से नीचे रही तो जजपा का साथ लिया और निर्दलीयों संग मिलकर सरकार बनाई है।

जोड़-तोड़ से बनी सरकारें
साल 1996 में हरियाणा विकास पार्टी एवं भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा। हविपा को 33, जबकि भाजपा को 11 सीटों पर जीत मिली। बंसीलाल के नेतृत्व में किसी तरह से सरकार बन गई, पर यह सरकार अधिक समय तक नहीं चली। 1999 में यह सरकार गिर गई। इसी तरह से साल 2009 में भी कांग्रेस ने जोड़-तोड़ कर सरकार बनाई। 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 46 के जादुई अंक से दूर रहते हुए 40 पर सिमट गई। कांग्रेस ने 7 निर्दलीय विधायकों एवं बाद में हजकां के 3 विधायकों को अपने पाले में करके सरकार बनाई। इस बार के चुनाव में भी भाजपा का आंकड़ा 40 पर रुक गया और जजपा के 10 व 7 निर्दलीयों के सहयोग से मनोहर लाल खट्टर दोबारा मुख्यमंत्री बन पाए हैं।

Isha