54 वर्ष के सियासी सफर में पहली बार विधायक बनते ही सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे केवल 2 नेता

9/14/2020 6:33:17 PM

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): हरियाणा के 54 वर्ष के सियासी इतिहास में दस नेताओं को मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला है। दिलचस्प बात ये है कि इनमें से केवल 2 नेता ही ऐसे हैं जो पहली बार विधायक बने और सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक जा पहुंचे। इन भाग्यशाली नेताओं में राव बीरेंद्र सिंह व मनोहर लाल खट्टर के नाम शामिल हैं। मगर मनोहर लाल खट्टर एकमात्र ऐसे नेता हैं जो न केवल पहली बार विधायक बनते ही मुख्यमंत्री बन गए बल्कि उन्हें लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर भी मिला।

उल्लेखनीय है कि 1 नवम्बर 1966 को हरियाणा का गठन हुआ। उस समय सर्वसम्मति से पंडित भगवत दयाल शर्मा को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया तब पंडित भगवत दयाल शर्मा संयुक्त पंजाब विधानसभा के सदस्य थे। उसके बाद प्रदेश में 1967 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ और राव बीरेंद्र सिंह पटौदी से विधायक बने। पहले ही चुनाव में पहली बार विधायक बनने के बाद मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य राव को मिला। उनके अलावा वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी ऐसे दूसरे नेता हैं, जो पहली बार विधायक बनने के बाद सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। अक्तूबर 2014 के विधानसभा चुनाव में मनोहर लाल खट्टर ने करनाल सीट से चुनाव जीता। वे पहली बार विधायक बने थे और उसके बाद वे मुख्यमंत्री बने।

ऐसा रहा हरियाणा का सियासी सफर
गौरतलब है कि 1966 में हरियाणा पंजाब से अलग होकर अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और पंडित भगवत दयाल शर्मा पहले मुख्यमंत्री बने। इसके बाद अलग राज्य के रूप में हरियाणा में पहला विधानसभा चुनाव 1967 में हुआ और पटौदी से पहली बार विधायक राव बीरेंद्र सिंह को राज्य का दूसरा मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला। 1968 में हुए चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला और बंसीलाल राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री बने। बंसीलाल इससे पहले 1967 में तोशाम से विधायक निर्वाचित हो चुके थे। ऐसे में दूसरी बार विधायक बनने के बाद वे मुख्यमंत्री बने। 

इसी प्रकार 1977 में देवीलाल हरियाणा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, पर इससे पहले वे कई बार अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से विधायक रह चुके थे। 1977 में भजन लाल आदमपुर से निर्वाचित हुए और देवीलाल की सरकार में मंत्री बने। मगर 1979 में भजन लाल ने देवीलाल की सरकार गिरा दी और खुद मुख्यमंत्री बन गए। जबकि भजन लाल इससे पहले 1972 में आदमपुर से विधायक निर्वाचित हो चुके थे।

1982 में भजनलाल आदमपुर से विधायक निर्वाचित हुए और कांग्रेस की सरकार बनने पर उन्हें दसूरी बार मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य हासिल हुआ। इसी प्रकार से 2 दिसम्बर 1989 में ओमप्रकाश चौटाला को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। वे भी इससे पहले 1970 में ऐलनाबाद से विधायक निर्वाचित हो चुके थे। चौटाला के साथ यह अपवाद जरूर है कि उनके पिता देवीलाल के उपप्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी दी गई थी तब वे राज्यसभा सदस्य थे और वे बाद में दड़बाकलां उपचुनाव जीत कर विधायक बने थे। 

साल 1990 में जनता दल की सरकार में मा. हुकुम सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हुकुम सिंह इससे पहले भी 1977 में दादरी से विधायक रह चुके थे। इसी प्रकार बनारसी दास गुप्ता भी दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे मगर वे भी इससे काफी पहले भिवानी से विधायक निर्वाचित हो चुके थे। इसी तरह से साल 2005 में कांग्रेस की सरकार बनी और कांग्रेस हाईकमान ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया। हुड्डा इससे पहले कांग्रेस से विधायक रहने के अलावा विधायक दल के नेता भी रह चुके थे।

दूसरी पारी खेल रहे खट्टर
साल 2014 में भाजपा ने 47 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया और करनाल से विधायक निर्वाचित हुए मनोहर लाल खट्टर को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। खास बात यह है कि मनोहर लाल खट्टर पहली बार विधायक निर्वाचित हुए और इससे पहले उन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा था और इससे पहले तक वे केवल संगठन में ही सक्रिय रहे। मनोहर लाल खट्टर प्रदेश के एकमात्र ऐसे नेता हैं जो न केवल पहली बार विधायक बनते ही सी.एम. की कुर्सी तक पहुंच गए बल्कि लगातार दूसरी पारी भी खेलने का मौका भी मिला है। इस तरह से प्रदेश के 54 वर्ष के सियासी सफर में दस नेता मुख्यमंत्री बने और इनमें से दो नेता ऐसे रहे हैं जो पहली बार विधायक बने और सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए।

5 बार चौटाला बने मुख्यमंत्री, पर कार्यकाल बंसीलाल का लम्बा
कुल मिलाकर देखें तो सर्वाधिक 5 बार ओमप्रकाश चौटाला प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं। चौ. बंसीलाल 4 बार, चौ. भजनलाल 3 बार, चौ. देवीलाल, बनारसी दास गुप्ता, चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा व मनोहर लाल खट्टर 2-2 बार जबकि पंडित भगवत दयाल शर्मा, मा. हुकूम सिंह व राव बीरेंद्र सिंह 1-1 बार मुख्यमंत्री रहे। खास बात यह है कि चौटाला बेशक सर्वाधिक पांच बार मुख्यमंत्री रहे पर सबसे लम्बा कार्यकाल बंसीलाल का रहा। बंसीलाल का कुल कार्यकाल 4633 दिन का रहा जबकि सबसे कम कार्यकाल 143 दिन का पंडित भगवत दयाल शर्मा का रहा। हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में 2 अवसर ऐसे भी आए जब किसी मुख्यमंत्री का कार्यकाल 20 दिन से भी कम रहा। 12 जुलाई 1990 से 17 जुलाई 1990 तक चौटाला 6 दिन के लिए एवं इसके बाद 22 मार्च 1991 से 6 अप्रैल 1991 तक 16 दिन के लिए मुख्यमंत्री रहे। तीन बार हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लागू रहा।

Shivam