एनसीपीआरसी ने लिया कड़ा संज्ञान, एसीएस को दिए सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध के आदेश

12/10/2018 3:33:31 PM

भिवानी(अशोक भारद्वाज): स्कूल के अंदर बच्चों के साथ हुए हादसों के बावजूद भी प्रदेश सरकार लाखों बच्चों की सुरक्षा को लेकर संजिदगी नहीं दिखा रही है। इसी मामले में स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन की शिकायत पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग(एनसीपीसीआर) ने कड़ा संज्ञान लेते हुए हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को स्कूली बच्चों की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाने के आदेश दिए हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शिक्षा विभाग को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि प्रदेश के सभी जिलों में स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए जिला एवं खंड स्तरीय सुरक्षा कमेटियों के गठन पर भी खास ध्यान दिया जाना चाहिए। 



इतना ही नहीं बच्चों की सुरक्षा का मसला काफी अहम है और इसमें किसी तरह की कोई भी कोताही या लापरवाही किसी भी स्तर पर नहीं बरती जानी चाहिए। राष्ट्रीय बाल आयोग ने यह भी हवाला दिया है कि एनसीपीसीआर एक्ट 2005 के नियम 13(1)जे के तहत संज्ञान लेकर बच्चों की सुरक्षा सम्बंधी पहलुओं पर तत्परता से कार्रवाई की जाए, क्योंकि इस शिकायत में अधिकारियों की निष्क्रियता सामने आई है, जिससे बच्चों को भी हानि हो सकती है। हरियाणा में इस समय 22 हजार 787 सरकारी एवं निजी विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं। इनमें करीबन पचास लाख से अधिक विद्यार्थी कक्षा पहली से बारहवीं तक की कक्षाओं में अध्ययन कर रहे हैं। 



लाखों स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभी तक सरकार ने कोई गंभीरता या संजिदगी नहीं दिखाई हैं। यही वजह रही है कि प्रदेश में गुरूग्राम के रेयान व रेवाड़ी के स्कूलों सहित भिवानी के सरकारी स्कूल में भी बच्चों की मौत गंभीर लापरवाही की वजह से चुकी है। इसी गंभीर मसले को लेकर स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार, प्रदेश महामंत्री भारत भूषण बंसल, पंचकूला के जिला अध्यक्ष सलाउद्दीन ने 15 नवम्बर 2018 को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को शिकायत भेजी थी। शिकायत में यह भी हवाला दिया गया था कि 15 सितम्बर 2017 को शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किए थे कि प्राइवेट व सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के नियम लागू किए जाएं। मगर इन आदेशों के बावजूद भी प्रदेश के अधिकांश जिलों में स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए जिला स्तरीय कमेटी तक का गठन नहीं हुआ। 



संगठन ने यह भी बताया था कि एनसीपीसीआर एक्ट के अंतर्गत स्कूल के अंदर बच्चों की सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दे होते हैं। जिनमें शिकायत बॉक्स से लेकर अग्निशमन संयंत्र, बसों में महिला सहायक, आपात कालीन नम्बर, सीसीटीवी कैमरे, लडक़े व लड़कियों के अलग अलग शौचालय, ढांचागत भवन सुरक्षा, अर्धकालीन अवकाश के दौरान डीपीईव पीटीआई की तैनाती सहित विभिन्न मसले शामिल हैं। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने बताया कि प्राइवेट व सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा नियमों को लेकमाननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ा संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार को आदेश दिए जा चुके हैं। मगर इसके बावजूद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से कई हादसे हो चुके हैं, जिसकी कीमत मासूम बच्चों को अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ी है। मगर आज तक जांच के नाम पर महज खानापूर्ति ही हुई है। उनके संगठन की मांग है कि बच्चों की शिक्षा से जरूरी बच्चों की जिंदगी है, जिसे स्कूल प्रबंधन को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।

 

Rakhi Yadav