सुप्रीम कोर्ट के आदेश बाबजूद नहीं सुधरे खटारा वाहनों के हालात, बच्चों के लिए बन रहा खतरा

12/23/2019 10:40:08 AM

पलवल (बलराम गुप्ता) : प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई को और हाईटेक करने के लिए कोशिश की जाती है, लेकिन बच्चो के घर से स्कूल तक पहुंचने के लिए सुरक्षित वाहनों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और शासन के यातायात नियमों के बावजूद भी पलवल जिले के कई स्कूलों में वाहन खटारा हालत में है। जो पूरी तरह से मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं।

स्कूली वाहनों का खटारा होना बच्चों को कभी भी मुश्किल में डाल सकता है। यहां के प्रत्येक स्कूलो में समय.समय पर हर मुद्दों पर पैरंट्स मीटिंग में बातचीत  होती रहती है पर शायद स्कूल संचालक और अभिभावक अपने स्कूल की परिवहन व्यवस्था पर बात करना भूल जाते हैं। जिसका नतीजा यह है कि आज ऐसे स्कूलों की भरमार है जो नियमों को ताक पर रखकर अपनी स्कूली बस और अन्य वाहनों को सड़कों पर दौड़ा रहे हैं। अधिकतर स्कूलों में परिवहन व्यवस्था कांट्रैक्ट पर है । स्कूल संचालक और ट्रांसपोर्ट एजेंसी के बीच कांट्रैक्ट के आधार पर बच्चों को लाने ले जाने के लिए स्कूल बस और कैब लगाए जाते हैं ।

ऐसे में स्कूल संचालक वाहन स्वामियों पर पूरे अधिकार के साथ निर्देश नहीं दे पाते हैं । अधिकतर स्कूलों में कुछ ऐसे वाहन भी हैं जो मानक के विपरीत एलपीजी गैस के माध्यम से दौड़ रहे हैं। जो  बड़े हादसे को दावत दे रहे है। वाहनों के नाम पर बच्चों के अभिभावकों से मोटे पैसे बसूलने वाले स्कूल संचालक स्कूली वाहनों में कोई भी सरकारी मापदंड पूरा नहीं करके प्रशासन की खिल्ली उड़ा रहे हैं। 

सबसे बड़ी बात यह कि जब अभिभावक अपने बच्चे का दाखिला स्कूल में करवाने जाते हैं तो स्कूल  संचालक दाखिले के समय एक फार्म भरवा लेते हैं। जिसमें स्कूल में बच्चों के साथ किसी भी घटना की जिम्मेदारी अभिभावकों की होती है ना की स्कूल की। लापरवाही का यह आलम है कि स्कूल के वाहन चालक वाहनों को तेज गति से चलाते हैं। और तो और कई बार तो छोटे बच्चों को सड़क पर ही छोड़ कर चले जाते हैं।

Isha