बढ़ती कीमतों के कारण लोगों में हाहाकार, लहसुन, प्याज के भाव ने खाने का स्वाद किया फीका

12/30/2019 12:55:46 PM

पिहोवा (पुरी) : हमारे देश में बेरोजगारी और महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। देशवासी महंगाई की समस्या से पिछले काफी समय से जूझ रहे हैं, वहीं सब्जियों की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि ने लोगों में हाहाकार मचा दिया है और उनका रसोई का बजट बिगड़ चुका है। पिछले काफी समय से लहसुन व प्याज की कीमतें इस कदर बढ़ीं कि सब्जियों व दाल का तड़का फीका पड़ गया है। जहां आम लोग इस महंगाई की मार को झेल रहे हैं वहीं इसका प्रभाव सब्जी मंडी पर भी पड़ा है जहां रोजाना होने वाली सब्जियों की सेल पहले से बहुत कम हो गई है और कई सब्जी विक्रेता ग्राहकों का इंतजार करते दिखाई देते हैं। 

प्याज खाना ही छोड़ दिया : अमनदीप कौर 
गृहिणी अमनदीप कौर ने कहा कि उन्होंने प्याज खाना ही छोड़ दिया है और रसोई में बिना तड़का लगाए ही खाना बनाना पर मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि महंगाई को रोकने में सरकार नाकाम साबित हुई है जिस कारण आम लोगों में सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश पाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सब्जियों की कीमतों ने रसोई का बजट हिला कर रख दिया है और खाने का स्वाद भी फीका कर दिया है और कई तरह की सब्जियां लिस्ट से गायब हो गई हैं।

क्या बनाकर खाएं सोचना पड़ता है : रीटा रानी
रीटा रानी का कहना है कि सब्जियों के भाव ने उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सुबह, दोपहर और रात को खाने में क्या बनाया जाए और बच्चों को क्या खिलाया जाए। उन्होंने कहा कि दाल की कीमतें भी बहुत बढ़ी हैं जिस कारण सस्ती से सस्ती सब्जी में गोभी और आलू भी 15 से 30 रुपए से कम नहीं मिल रहा और बिना प्याज, अदरक, लहसुन के सब्जी का स्वाद सिर्फ मसालों पर ही निर्भर रह गया है।

100 रुपए में 2 दिन की सब्जी से कुछ नहीं खरीदा जा सकता : कविता 
गृहिणी कविता ने कहा कि जब पहले सब्जियां सस्ती हुआ करती थीं तो वे मंडी में थैला लेकर जातीं थीं और कुछ दिनों की सब्जी इकट्ठी ही खरीद लाती थीं लेकिन जब से कीमतें बढ़ी हैं उन्होंने थैला ले जाना छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि 100 रुपए में 2 दिन की सब्जी से अधिक और कुछ नहीं खरीदा जा सकता। 

कीमत वृद्धि पर सरकार को उठाना चाहिए कदम : लवलीन
जागरूक गृहिणी लवलीन ने कहा कि कीमत वृद्धि बहुत जटिल समस्या है जिसका सीधा असर घर की रसोई पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बढ़ती कीमतों ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के चूल्हे तक ठंडे कर दिए हैं और ऐसे लोग एक वक्त खाना खाकर ही गुजारा करने को मजबूर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिएं। 

Isha