ट्रेन के जैनरेटर कोच में अब होगा ओवरहैड बिजली आर्पूति का इस्तेमाल, शोर से मिलेगी मुक्ति

10/6/2019 1:05:10 PM

जींद (हिमांशु): एक्सप्रैस सहित एल.एच.बी. रेक वाली विभिन्न ट्रेनों के प्लेटफार्म पर आने पर जैनरेटर यान से होने वाले शोर और प्रदूषण से जल्द मुक्ति मिलेगी। इस ध्वनि प्रदूषण को बंद करने के लिए रेलवे ने योजना बनाई है। अब ट्रेन में विद्युत आर्पूति के लिए नई प्रौद्योगिकी हैड ऑन जैनरेशन टैक्नोलॉजी एच.ओ.जी. का उपयोग किया जाएगा। इसके तहत ओवरहैड बिजली आर्पूति का इस्तेमाल किया जाएगा।

शोर करने और धुआं निकालने वाले जैनरेटर कोचों का इस्तेमाल अब नहीं होगा। इनके स्थान पर अब एल.एस.एल.आर.डी.ए. एल.एच.बी. ङ्क्षलक हाफ मैन बुश सैकंड लगेज गार्ड और दिव्यांग कम्पार्टमैंट लगाए जाएंगे। इस एल.एस.एल.आर.डी. में ओवरहैड बिजली सप्लाई को इस्तेमाल करने की क्षमता होगी। इससे पूरी गाड़ी को बिजली मिलेगी। इसके अलावा इसमें लगेज गार्ड रूम और अतिरिक्त यात्रियों के लिए भी जगह होगी। मौजूदा व्यवस्था में 36 रुपए प्रति यूनिट बिजली खर्च आता है। एच.ओ.जी. से यह खर्च 6 रुपए प्रति यूनिट हो जाएगा। एक साल में सभी एल.एच.बी. गाडिय़ों को एच.ओ.जी. प्रणाली में बदलने की योजना है। 

अब तक काफी गाडिय़ों को एच.ओ.जी. में बदला जा चुका है। इसके कारण रेलवे को अभी तक करोड़ों रुपए की बचत हो रही है। 2017 में एल.एच.बी. प्रौद्योगिकी को अपनाने का निर्णय किया गया था। इसके बाद एच.ओ.जी. परिवर्तन को अपनाने का काम अभियान स्तर पर शुरू किया गया। इसके तहत सभी कारों और कोचों की बिजली आर्पूति प्रणाली में परिवर्तन किया गया। प्रणाली परिवर्तन का काम जोनल रेलवे के सुपुर्द किया गया है। इससे स्टेशनों पर यात्रियों को शोर मुक्त और प्रदूषण मुक्त वातावरण मिलेगा। 

Isha