रोहतक, कुरुक्षेत्र, हिसार और भिवानी में अभिभावकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर

5/6/2019 8:23:21 AM

हरियाणा के मतदाता अपना स्पष्ट रुख किसी को भांपने नहीं दे रहे हैं। कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां प्रत्याशियों के साथ-साथ उनके अभिभावकों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। हालांकि प्रत्याशी राजनीतिक घरानों से हैं, लेकिन कुरुक्षेत्र के रण में अर्जुन को लेकर अभय चौटाला, हिसार में भव्य को लेकर कुलदीप बिश्रोई, बृजेन्द्र सिंह को लेकर बीरेन्द्र सिंह और भिवानी में श्रुति चौधरी को लेकर किरण चौधरी की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है।

मतदाता प्रत्याशी की बजाय उनके अभिभावक की ही बात कर रहा है। नाराजगी है तो मां या बाप से, लेकिन प्रत्याशी से न नाराजगी है और न ही समर्थन। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि चुनाव परिणाम पर अभिभावकों का भाविष्य निर्भर करता है।
 
रोहतक व सोनीपत में भूपेन्द्र व दीपेन्द्र का मुकाबला प्रत्याशी की बजाय मोदी से
सोनीपत से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और रोहतक से दीपेन्द्र हुड्डा चुनावी रण में हैं। देखा जाए तो दोनों महाभारत के अभिमन्यु जैसी स्थिति में फसे दिखाई देते हैं। हालांकि भाजपा ने वर्ष 2014 दौरान सत्ता हासिल कर ली थी, लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल से लेकर भाजपा के अन्य नेताओं व विरोधी दलों के भाषणों को देखें तो हुड्डा ही निशाने पर होते हैं। हुड्डा अपने कार्यकाल के विकास के दावों की ढाल बनाकर उनके तीरों को नाकाम करने के प्रयास में जुटे दिखाई देते हैं।

भाजपा ने ऐसे प्रत्याशियों को उतारा है कि जातिगत समीकरणों के हिसाब से दोनों का खेल बिगड़ जाए, लेकिन फिर भी लगता है जैसे भूपेन्द्र और दीपेन्द्र का अपने-अपने क्षेत्र में प्रत्याशियों की बजाय मोदी से ही मुकाबला है, क्योंकि प्रत्याशियों से लेकर भाजपा नेता मोदी को ही आगे रखकर वोट मांग रहे हैं। दीपेन्द्र रोहतक से 3 बार चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन तब भाजपा सत्ता में नहीं थी। इस बार राज्य में भाजपा की सरकार है तो ऐसे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी स्वयं कह चुके हैं अब राजनीतिक हालात बदले हुए हैं और उनकी जीत निश्चित है।

kamal