9 साल से जिगर के टुकड़े को बेड़ियों में जकड़ने को मजबूर हैं मां-बाप(Pics)

1/20/2017 2:04:51 PM

फतेहाबाद (रमेश भट्ट):फतेहाबाद के हुडा सैक्टर में एक मजबूर माता-पिता अपने बेटे को जानवरों की तरह बांधकर रखने को मजबूर हैं। 9 साल से लोहे की बेड़ियों में जानवरों की तरह बंधे बेटे को देखकर मां हर रोज, हर पल मन ही मन रोने को मजबूर है। बेटे के इलाज में अपना घर, जमीन, पशु और यहां तक की घर के बर्तन तक बेचने के बाद सड़क पर आ चुका यह परिवार अब इतना मजबूर है कि वह अपने बेटे को अपने दूर करने को मजबूर है। माता-पिता के अनुसार उनका बेटा जन्म से मंदबुद्धि नहीं है। बेड़ियों में जकड़े बच्चे की मां गोगा रानी के मुताबिक उसका बेटा जब 7-8 साल का था, तब उसे अचानक तेज बुखार हो गया था। बुखार के बाद उसे एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे न जाने किस रूप में इलाज दिया गया। उसके बाद से बच्चे की हालत बिगड़ती चली गई। गोगा रानी के अनुसार दिनों-दिन उसके बेटे की हालत बिगड़ी तो उन्होंने उसे सिरसा, हिसार, बीकानेर, जयपुर तक के बड़े अस्पतालों में इलाज करवाया। डॉक्टरों को इलाज के पैसे देते-देते उनका सब कुछ बिक गया और वे सड़क पर आए गए लेकिन फिर भी उसका बेटा ठीक नहीं हुआ। अब न उनके पास पैसे हैं और न डॉक्टरों के पास इलाज का कोई उपाय।

 

बेड़ियों में जकड़े अपने बेटे की हालत को बयां करते हुए पिता पांडुराम ने बताया कि पैसे न होने के कारण डॉक्टरों का सहारा छूटने के बाद वे जैसे-तैसे अपने बेटे को पकड़कर या घर में बंद करके रखने की कोशिश करते थे। लेकिन अब हालत इतनी बिगड़ गई है कि उनका बेटा झुग्गीनुमा बने घर में चीजों को नुक्सान पहुंचता है। उसे बाहर रस्सियों से भी बांधकर रखने की कोशिश की, लेकिन वह रस्सी को काटकर भाग जाता है और  आस पास की जगहों पर कई बार तोड़फोड़ कर देता है। इसलिए अब वे अपने बेटे को लोहे की बेड़ियों से बांधकर रखने को मजबूर हैं। वे अपना सब कुछ गवां कर अब दिन-रात बेटे की हालत और खुद की मजबूरी के चलते जिंदा होकर भी खुद को मरा हुआ महसूस कर रहे हैं। 

 

पांडुराम और गोगारानी के पड़ोस में रहने वाले अशोक कुमार कहते हैं कि उक्त परिवार के बेटे की हालत बेहद चिंताजनक है। पड़ोस के लोगों ने भी कई इलाज को लेकर उक्त परिवार की काफी मदद की लेकिन डॉक्टरों की तरफ से रिजल्ट नहीं मिल पाया। परिवार अपने बेटे को बेड़ियों में जकड़कर रखने को मजबूर है। कई बार उक्त मंदबुद्धि बच्चा घर से निकल भी गया जिसे परिवार और पड़ोस के लोगों ने दिन-रात की कोशिश कर तलाशा। इस मामले में बाल विकास परियोजना अधिकारी सुशीला शर्मा ने पूरे मामले के बारे में कहा कि मीडिया के जरिए यह मामला उनकी संज्ञान में आया है। इस तरह बेड़ियों में बच्चे को नहीं रखा जा सकता। अगर माता-पिता की मजबूरी है तो इस संबंध में हमारे विभाग की ओर से हर संभव मदद बच्चे को दी जाएगी। बच्चे का इलाज यदि संभव है तो उसका इलाज करवाया जाएगा। यदि इलाज संभव नहीं हुआ तो बच्चे की जहां उचित देखभाल हो सके ऐसी जगह सुनिश्चित विभाग की तरफ से करवाई जाएगी।