राज्यसभा में बैठे हैं जनता के नकारे गए लोग:सैनी

1/28/2017 4:29:27 PM

चंडीगढ़ (धरणी):कुरुक्षेत्र से बीजेपी सांसद राजकुमार सैनी ने राज्यसभा समाप्त करने की मांग की है। उनकी मानें तो आज देश में मात्र कहने के लिए प्रजातंत्र है। 20 साल बाद पहली बार कोई सरकार बहुमत में है फिर भी लोकसभा के 75 प्रतिशत बिलों पर अंग्रेजों द्वारा बनाई गई राज्यसभा में बैकडोर से एंट्री करने वाले, और जनता द्वारा नकारे हुए लोग रोड़ा अटका कर बैठे हैं जो खुलेआम प्रजातंत्र की हत्या है। सैनी ने कहा कि आरक्षण का मामला कोर्ट में विचाराधीन है, ऐसे में आंदोलन के कोई मायने नहीं है, लेकिन पिछले अनुभव से सबक लेकर इस बार सरकार ने पूरी तरह से कमर कसी हुई है। सैनी की मानें तो केवल अपने लिए आरक्षण मांगना गलत है, आरक्षण का आंदोलन सभी के लिए होना चाहिए।

आरक्षण को लेकर ब्यानबाजी करने वाले सैनी के निशाने पर इस बार राज्यसभा भी थी। उन्होंने कहा कि आज देश के अंदर कहने के लिए प्रजातंत्र है। बीस साल बाद कोई सरकार बहुमत में आई हैए लेकिन लोकसभा के 75 प्रतिशत बिल राज्यसभा ने रोक रखें है। उनकी मानें तो यह राज्यसभा अग्रेजोंने बनाई थी जिसमें जनता द्वारा नकारे और हारे हुए लोग बैकडोर से एंट्री करते है और प्रजातंत्र पर हकूमत करने का काम करतेहै राजकुमार सैनी ने बताया कि राज्यसभा में जनता द्वारा चुने गए लोगों के फैसले रोके जाते है और उनकी नजर में जनताद्वारा चुनी गई सरकार के फैसले रोकना प्रजातंत्र की हत्या के समान है।

बीजेपी सांसद राजकुमार सैनी ने विवादित ब्यान देते हुएकहा कि अगर देश प्रजातंत्र की बुनियाद डालनी है तो राज्यसभा को समाप्त कर देना चाहिए। आरक्षण पर सैनी ने कहा कि सरकार ने पहले के अनुभव से सबक लिया है। लेकिन वह चाहते हैं कि इस आरक्षण का सभी राजनीतिक लोगों को विरोध करना चाहिए और 100 प्रतिशत आरक्षण कर देना चाहिए ताकि किसी को यह महसूस न हो कि उसके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। सैनी ने कहा कि आरक्षण का मामला कोर्ट में विचाराधीन है ऐसे में आंदोलन का मतलब ही नहीं होना चाहिए लेकिन अगर, कोई आंदोलन करना ही चाहता है तो वह केवल अपने लिए करे। सैनी ने कहा कि एक परिवार, एक नौकरी के हिसाब से सभी को आरक्षित कर देना चाहिए क्यों कि आज सरकार बहुमत में है और सरकार जो जनहित में कड़े फैसले लेने चाहिए। 

सैनी ने यह भी कहा कि जिस जाति के लोग खुद को 15-20 प्रतिशत बताते हैं वह झूठ बोल रहें हैं। उनकी मानें तो आज 10 प्रतिशत से ऊपर किसी भी जाति का आधार नहीं है। ऐसे में उन्होंने सरकार को राय दी कि व्यवस्था को ठीक करने के लिए सरकार जातिगत जनगणना के अधार पर श्वेतपत्र जारी करें। सैनी ने तमिलनाडू और एस.सी. समुदाय का उदाहरण भी देते हुए कहा कि जब तमिलनाडू में 79 प्रतिशत आरक्षण है और एस.सी. समुदाय को करीब 23 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है तो ऐसे में बाकी बचे लोगों को उनका हक देने में क्या आपत्ति है।