पानी न आने से सूखी यमुना, रेत में अपनों की अस्थियां दबा रहे लोग

5/25/2018 11:28:24 AM

पानीपत: दुनियां भर के लोगों की प्यास बुझाने वाली यमुना नदी अाज खुद पानी के लिए तरस रही है। यह सिर्फ एक नदी के मरने की कहानी नहीं, बल्कि हमारे जीवन के संस्कारों और रीति रिवाजों की भी मौत है। आज नदी के असमय जाने से हमारे अपने मुक्ति को तरस रहे हैं। यहां अब नदी किनारे अंतिम संस्कार के कर्म भी पूरे नहीं हो पा रहे। बेबसी ऐसी है कि शव जलाने के बाद लोग अस्थियों को रेत में दबा रहे हैं, ताकि दो महीने बाद जब यमुना में जल आए तो हमारे अपनों के अवशेष खुद नदी में मिल जाएं, लेकिन जब तक यह सूखी और बेजान है, तब तक पितरों को मुक्ति नसीब नहीं होगी।

5 मई से ही थम गया प्रवाह
अपने पिता का संस्कार कर रहे प्रविंद्र कहते हैं कि 5 मई को ही यमुना (कालिंदी) का पानी खत्म हो गया था। लेकिन अब स्थिति भयावह हो गई। पानी के नाम पर कीचड़ ही शेष है। अब यहां पिता की अंतिम इच्छा भी पूरी नहीं हाे पाएगी। अवशेष को हम कहीं लेकर भी नहीं जा सकते। इसलिए इसे यहीं मिट्‌टी में ढंकने की कोशिश करेंगे। जब बारिश होगी, तब अवशेष स्वयं यमुना में मिल जाएंगे।

यमुना में ही क्यों?
पंडित अखिलेश्वर शुक्ल का कहना है कि यमुना से हमारा गहरा नाता है। यमुना ही प्रयाग में गंगा में मिलती है। इसलिए यमुना किनारे स्थित गांवों में मान्यता व परंपरा के चलते लाेग यहां पर ही अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करते हैं। वे मानते हैं कि यमुना के गंगा में मिलने से उनके परिजनों की अस्थियां गंगा में पहुंचती हैं और वे समस्त पापों से भी मुक्ति पा लेते हैं।

यमुना सूखने के बड़े कारण
प्राकृ़तिक स्रोत घटने से नदी को पानी नहीं मिल रहा। अप्रैल-मई में 20 पश्चिमी विक्षोभ आए। औसतन ये महीने में 4-5 ही होते हैं। इससे तापमान कम रहने से बर्फ कम पिघली अौर पहाड़ों से नदी में पानी कम आया। अवैध खनन की वजह से यमुना में बड़े-बड़े गड्‌ढे हो गए हैं और वे नदी की धारा को रोक रहे हैं।

Deepak Paul