पंचकूला की जनता ने रोके कोरोना के कदम, लोगों ने पेश की अनुशासन की मिसाल

6/26/2020 6:10:22 PM

पंचकूला(धरणी): कोरोना काल में पंचकूला जिले के लोगों ने पढ़े लिखे और जिम्मेदार नागरिक होने का प्रमाण दे दिया। यह लोगों की समझदारी का ही असर था कि जब साथ लगे चंडीगढ़ और मोहाली में कोरोना कहर बरपा रहा था तो वह पंचकूला में कोई खास असर नहीं दिखा पाया। यह तथ्य पंचनद शोध संस्थान की रिसर्च में उजागर हुआ है। इस शोध पत्र का विमोचन वीरवार को हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चन्द गुप्ता ने विधानसभा सचिवालय में आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में किया। कार्यक्रम में पंचनद शोध संस्थान के निदेशक डॉ. कृष्ण सिंह आर्य, निदेशक प्रो. बीके कुठियाला भी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन हरियाणा विधानसभा के मीडिया एवं संचार अधिकारी दिनेश कुमार ने किया।

कोविड 19 के पंचकूला मॉडल पर शोध की जानकारी देते हुए पंचकूला अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष सुमन्तो घोष ने कहा कि इस शोध में 1 जून तक के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है। तब तक पंचकूला जिले में कोरोना संक्रमण के 64 मामले आए थे। इन मामलों का विश्लेषण किया गया तो पता चला कि पंचकूला में किसी भी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण नहीं हुआ।

जितने भी मामले यहां सामने आए उन सभी का यात्रा इतिहास रहा है। इतना ही नहीं जब चंडीगढ़ और साथ लगे मोहाली जिले के जीरकपुर, बलटाना, जवाहरपुर इत्यादि स्थानों पर संक्रमण फैलना शुरू हुआ था तब पंचकूला शहर और जिले के गांव इसके संक्रमण से बचे रहे। उन्होंने कहा कि अध्ययन में साफ जाहिर हुआ है कि यह सब पंचकूला प्रशासन की रणनीति के साथ-साथ लोगों में जागरूकता और जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि पंचकूला शहर में जैसे ही कोई कोरोना संक्रमण का मामला सामने आता था तो आसपास के लोग स्वयं प्रेरणा से सामाजिक दूरी का फॉर्मूला अपना रहे थे। इतना ही नहीं 112 गांवों के लोगों ने स्वयं आगे आकर कि ठीकरी पहरे लगाए और बाहर से आने वाले लोगों से बचाव किया।

शोध में स्पष्ट हुआ है कि अगर पंचकूला के लोग इतनी जागरुकता के साथ काम नहीं करते तो यहां संक्रमण फैलने की संभावना अत्यधिक थी। चंडीगढ़ की बापू धाम कॉलोनी जहां कोरोना की स्थिति विस्फोटक हो गई थी, वह पंचकूला के साथ सटी हुई है। ऐसे में आशंका थी कि पंचकूला में भी मामले बढ़ सकते हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अध्ययन में पता चला है कि प्रशासन ने लोगों को जागरूक करने के लिए जो रणनीति अपनाई वह यहां पूरी तरह सफल रही और पंचकूला के लोगों ने अपने पढ़े-लिखे और जागरूक नागरिक होने का प्रमाण दिया है।

इस दौरान पंचनद शोध संस्थान के निदेशक एवं हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि सत्य पर आधारित तथ्य पूर्ण शोध समाज के सम्मुख लाना संस्थान का दायित्व है। कोविड-19 के पंचकूला मॉडल पर शोध कर यहां की टीम ने सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि करोना कालखंड में पंचनद के कार्यकर्ताओं ने सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए स्थान स्थान पर जागरूकता कार्यक्रम चलाए, जिनका समाज में सकारात्मक प्रभाव हुआ है।

पंचनंद शोध संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. कृष्ण सिंह आर्य ने कहा थी प्रकृति के समीप रहना मनुष्य के स्वस्थ रहने का सबसे बेहतर रास्ता है। मनुष्य जितना प्रकृति से दूर जाता रहेगा उतना ही विपदाओं को न्योता देता रहेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का शरीर नहीं है, इसलिए इसका संक्रमण रोकना अत्यधिक कठिन है।

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि कोरोना पर शोध कर पंचनद अध्ययन केंद्र ने सराहनीय काम किया है। इसके लिए वे स्थानीय प्रशासन को भी साधुवाद देते हैं, जिन्होंने व्यापक रणनीति बनाकर शहर को इस महामारी से बचाए रखा। उन्होंने कहा कि पंचकूला जिले के नागरिकों ने संकट की इस घड़ी में जिस प्रकार का संयम बरता, इसके लिए वे प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार और पंचकूला प्रशासन लोगों की सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं आने देगा।

Shivam