तेज आवाज में बजते भोंपू ने किया भेजा फ्राई, कानफोडू शोर लोगों को कर रहा मानसिक रूप से बीमार
12/15/2019 4:29:40 PM
सिरसा(माहेश्वरी): पराली जलाकर वातावरण को प्रदूषित करने वालों पर तो सरकार नकेल कसने में लगी हुई है, लेकिन जो ध्वनि प्रदूषण फैला रहे हैं उनकी तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं, न ही प्रशासन इस दिशा में गंभीर है। शहर में पिछले काफी समय से मुनियादी करवाने का चलन काफी तेज हुआ है। किसी को अपने उत्पाद का प्रचार करना हो या प्रतिष्ठान का नाम चमकाना हो, वह मुनियादी का सहारा लेता है।
पम्फलैट, होॄडग्स-बैनर आदि प्रचार साधनों से इत्तर माऊथ पब्लिसिटी भी खास मायने रखती है। मगर प्रचारक इस पब्लिसिटी के फेर में तमाम नियम कायदे सूली पर टांग देते हैं। अनेक तो मुनियादी की अनुमति लेना तक जरूरी नहीं समझते। अन्य द्वारा बेशक मुनियादी की प्रशासन से अनुमति ली गई हो, पर भोंपू इतनी तेज आवाज में बजाया जाता है कि सुनने वालों के कान फटने लगते हैं। इन दिनों बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं।
ऐसे में तेज आवाज में चिल-पौं करने वाले यह भोंपू उनके लिए किसी आफत से कम नहीं। इनके बजने का कोई समय भी निर्धारित नहीं। मनमाने ढंग से एक गली से दूसरी गली प्रचार में लगे ऑटो, रिक्शा पर कानफोडू शोर लोगों को मानसिक रूप से बीमार कर रहा है। बच्चे ठीक ढंग से पढ़ाई नहीं कर पा रहे। माता-पिता ध्वनि प्रदूषण की बढ़ती समस्या से परेशान हैं। उनके लिए ध्वनि प्रदूषण आधुनिक जीवन और बढ़ते हुए औद्योगिकीकरण व शहरीकरण का भयानक तोहफा है। समाज ङ्क्षचतकों का मत है कि यदि इस समस्या के निदान हेतु नियमित कठोर कदम नहीं उठाए गए तो यह भविष्य की पीढिय़ों के लिए बहुत गंभीर समस्या बन जाएगी। ध्वनि प्रदूषण वो प्रदूषण है जो पर्यावरण में अवांछित ध्वनि के कारण उत्पन्न होता है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा जोखिम है।
देवेंद्र बिश्नोई, चीफ सैनेटरी इंस्पैक्टर, नगरपरिषद ने कहा कि मनमाने तरीके से तेज आवाज में लोगों के दिन का चैन और रात की नींद हराम करने वालों के खिलाफ नगर परिषद ने नकेल कसने की तैयारी कर ली है। शहर में मुनियादी करते घूम रहे वाहनों की कोई अनुमति न.प. से नहीं ली गई है। सारा प्रचार नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है। सोमवार से ऐसे वाहनों के खिलाफ अभियान शुरू किया जाएगा। अभियान के तहत चालान काटने से लेकर वाहन जब्त करने की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
चिड़चिड़ा बना रही तेज आवाज
डा. सुरेश बिश्रोई बताते हैं कि उच्च स्तर का ध्वनि प्रदूषण बहुत से मनुष्यों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन लाता है। विशेष रूप से रोगियों, वृद्धों और गर्भवती महिलाओं के व्यवहार में। अवांछित तेज आवाज बहरेपन और कान की अन्य जटिल समस्याओं जैसे कान के पर्दों का खराब होना, कान में दर्द, आदि का कारण बनती है। वातावरण में अनिच्छित आवाज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। दिन प्रति दिन बढ़ता ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों की काम करने की क्षमता और गुणवत्ता को कम करता है। ध्वनि प्रदूषण थकान के कारण एकाग्रता की क्षमता को बड़े स्तर पर कम करता है। गर्भवती महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करता है और चिड़चिड़ेपन और गर्भपात का कारण बनता है। लोगों में बहुत सी बीमारियों (उच्च रक्तदाब और मानसिक तनाव) का कारण होता है, क्योंकि मानसिक शान्ति को भंग करता है। तेज आवाज काम की गुणवत्ता को कम करती है और जिसके कारण एकाग्रता का स्तर कम होता है।