आज से 21 साल पहले हुआ था विमान हादसा, जगह-जगह बिखरी थी लाशें (देखें VIDEO)

punjabkesari.in Sunday, Nov 12, 2017 - 06:53 PM (IST)

चरखी दादरी(प्रदीप साहू): कुछ हादसे ऐसे होते हैं, जिनका व्याख्यान इतिहास के पन्नों पर भी देखने मिलता है। इन्हीं हादसों में चरखी दादरी का विमान हादसा भी शामिल है। यह हादसा आज ही के दिन 21 साल पहले 1996 में हुआ था, जिसको याद करके लोग आज भी सिहर जाते हैं। यह हादसा इतना भयंकर था कि इसमें करीब 350 लोगों की मौत हो गई थी जिनकी लाशें करीब 10 किलोमीटर के दायरे में बिखरी मिली थी।

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लोगों ने बताया- आसमान में फटा था आग का गोला
लोगों की जानकारी के मुताबिक जाड़े का मौसम था और उस दिन आसमान खुला और साफ भी था। शाम के करीब साढ़े 6 बजे अचानक उनके आसपास खेतों में आग के गोले बरसने लगे। लोग घबराकर घरों के बाहर भागने लगे यह सोचकर कि कहीं उनके घर के ऊपर ही न गोले गिरने लगे। पहले तो लोगों ने सोचा कि ये कोई प्राकृतिक आपदा है, लेकिन खेतों की ओर से कुछ ग्रामीण दौड़ते आए जिनके होश उड़े हुए थे। उन्होंने पहले ग्रामीणों व पुलिस को बताया कि, ‘वां खेतां मा चीलगाड़ी पड़ी है’ मतलब खेतों में विमान पड़े हुए हैं।

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ऐसे हुआ था हादसा
इस हादसे में एक मालवाहक विमान सऊदी अरब का था, और दूसरा कजाकिस्तान का यात्री विमान था। यात्री विमान ने दिल्ली से उड़ान भरी थी और दूसरे विमान को दिल्ली में उतरना था। दोनों की आपसी टक्कर चरखी दादरी के गांव टिकान कलां व सनसनवाल के पास हुई थी, गनीमत यह रही कि वे विमान खेतों में गिर थे जिससे गांव वालों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

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हादसे के बाद खेत हो गए थे बंजर
किसान धर्मराज, जयबीर, भूपेंद्र, पुरूषोतम सनवाल व रामस्वरूप के अनुसार हादसे को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप उठती है। हादसे के बाद उनके खेतों की जमीन बंजर हो गई व दस किलोमीटर के दायरे में दोनों विमानों के अवशेष व लाशों बिखर गई थी। बाद में किसानों ने कड़ी मेहनत करके बंजर जमीन को खेती लायक बनाया। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से भी हादसे की चपेट में आई जमीन का मुआवजा भी दिया गया।

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अफसोस!...नहीं बना सका स्मारक व अस्पताल
चरखी दादरी में उस समय के विश्व के सबसे बड़े विमान दुर्घटना के बाद तत्कालीन सरकार द्वारा चरखी दादरी में स्मारक व अस्पताल बनाने की घोषणा की गई थी  जो आज तक नहीं बन पाया है। हालांकि साऊदी अरब की एक संस्था द्वारा चरखी दादरी में कुछ वर्ष तक अस्थाई अस्पताल चलाया गया था। लेकिन उसे भी बंद कर दिया गया।


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