पानीपत में इंडस्ट्रियल एरिया के पास बना दिया 28 करोड़ का स्टेडियम, धुएं से फूल रही खिलाड़ियों की सांस

2/25/2023 1:14:09 PM

पानीपत(सचिन) : देश को नीरज चोपड़ा जैसा खिलाड़ी देने वाले हरियाणा के पानीपत जिले में 28 करोड़ रुपए का स्टेडियम बनने के बाद भी खिलाड़ी यहां प्रेक्टिस के लिए नहीं पहुंच पा रहे। इसकी वजह यह है कि सरकार ने इस स्टेडियम के लिए गलत जगह का चयन कर लिया। दरअसल शहर के सेक्टर 29 स्थित इंडस्ट्रियल एरिया के पास बनाए गए स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए जाने वाले खिलाड़ियों की सांस फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं ने फैला दी है। इस कारण खिलाड़ियों यहां प्रैक्टिस करने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं।

 

 

हजारों की क्षमता वाले स्टेडियम में केवल 50-60 खिलाड़ी कर रहे अभ्यास

दरअसल जिले के खिलाड़ियों को सिंथेटिक ट्रैक और इनडोर गेम्स वाला स्टेडियम मिलने की  काफी आस थी। आखिरकार करोड़ों रुपए की लागत से स्टेडियम बनकर तैयार भी हुआ, लेकिन खिलाड़ी यहां प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं। पानीपत के सेक्टर 29 इंडस्ट्रियल एरिया के पीछे चौटाला रोड पर बने स्टेडियम में शुरुआती दौर में खिलाड़ी अभ्यास करने पहुंचे। प्रैक्टिस के  दौरान खिलाड़ियों को फैक्टरी से निकलने वाले केमिकल के धुएं से काफी परेशानी हुई। एथलीट की सांसें फूलने लगी तो धीरे-धीरे हजारों की संख्या में स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए पहुंचने वाले खिलाड़ी कम होते चले गए। आलम यह है कि अब यहां सुबह और शाम केवल 50 से 60 खिलाड़ी भी अभ्यास करने पहुंचते हैं। वहीं अधिकतर खिलाड़ी प्रैक्टिस करने के लिए पानीपत के पुराने शिवाजी स्टेडियम में जाते हैं। हालांकि पुराने स्टेडियम में नए बने स्टेडियम के मुकाबले सुविधाओं का काफी अभाव है।

 

 

खिलाड़ियों का आरोप, सुविधाओं के नाम पर हुई खानापूर्ति

खिलाड़ियों का कहना है कि सरकार ने पहली बार पानीपत में सिंथेटिक ट्रैक से लैस स्टेडियम बनाया है। सरकार की सबसे बड़ी गलती है कि सरकार ने स्टेडियम को इंडस्ट्रियल एरिया के बीच में बनाया गया है। शहर से 12 किलोमीटर दूर स्टेडियम बनाने के कारण एक ओर जहां खिलाड़ियों को स्टेडियम पहुंचने में परेशानी होती है, तो वहीं प्रैक्टिस के दौरान फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं से भी खिलाड़ियों को काफी दिक्कत होती है। इसी के साथ स्टेडियम के संगठित ट्रैक के ऊपर से गुजरने वाली हाईटेंशन की तार खिलाड़ियों के लिए कभी भी हादसे का सबब बन सकती हैं। कई बार डिस्कस थ्रो और जैवलिन थ्रो के खिलाड़ियों की जैवलिन हाई टेंशन तारों से टकरा जाती हैं, जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। वहीं सिंथेटिक ट्रैक बारिश के दिनों में गुब्बारे की तरह फूल जाता है। खिलाड़ियों का आरोप है कि सुविधाओं के नाम स्टेडियम बनाकर सिर्फ खानापूर्ति की गई है।

 

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Content Writer

Gourav Chouhan