आंदोलन के दम पर दुकानदारी चलाने की चाह रखने वालों की PM ने दुकानें बंद कर दी : तरुण भंडारी

11/21/2021 12:10:49 PM

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): तीन कृषि कानून के वापस होने की घोषणा से सभी राजनीतिक दलों के नेता आपने अपनी प्रतिक्रिया के साथ सामने आए हैं। इस फहरिस्त में बीजेपी आपदा प्रकोष्ठ हरियाणा के सर्वे सर्वा एवं वरिष्ठ नेता तरुण भंडारी ने विपक्षी दलों पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यह तीनों कृषि कानून किसानों के हित में थे। लेकिन हमारी सरकार और हमारा संगठन किसानों को समझाने में असमर्थ रहा है। इसके साथ-साथ विपक्ष की भूमिका बहुत नकारात्मक रही। किसानों का भला सोचने की बजाय केवल और केवल राजनीति करती रही। जिस कारण से किसान भाई कानूनों को पूरी तरह से समझ नहीं सके। जो लोग इस आंदोलन के जरिए अपनी दुकानदारी चलाना चाहते थे प्रधानमंत्री ने इस फैसले से उनकी दुकानें बंद कर दी हैं। 

भंडारी ने कहा कि विपक्षियों को यह बात हजम नहीं हो रही कि प्रधानमंत्री इन कानूनों को रद्द कर सकते हैं। विपक्षी घबराहट में है और किसी ना किसी बहाने से अपनी राजनीतिक रोटियां सेकना चाहते हैं। राजनीति करने वाले किसी ना किसी बहाने से इस मुद्दे को उलझाना जाना चाहते हैं। सवा साल से लगातार टकराव की स्थिति बनी हुई थी। कई उग्र बातें भी प्रदर्शन के दौरान हुई। लेकिन प्रधानमंत्री और सरकार का किसानों के प्रति प्यार और सम्मान इसी बात से झलकता है कि एक भी गोली आंदोलन में नहीं चली। हमारी सरकार लगातार किसानों के हित में काम करती रही है और आगे भी करती रहेगी।

 भंडारी ने कहा कि इस आंदोलन में कई विपक्षी राजनीतिक पार्टियों के लोग बैठे थे। ऐलनाबाद चुनाव में भाजपा की जमानत ज़ब्त करवाने की बात कहते थे। लेकिन अपने आपको सबसे बड़े किसान नेता बताने वाले उम्मीदवार को अपनी ही सीट पर बहुत छोटी जीत मिलने से यह तो साफ है कि किसान भाजपा के प्रति समर्पण भाव रखते हैं। हालांकि इस चुनाव में भाजपा के वर्करों को बहुत से गांवों में प्रचार तक नहीं करने दिया गया। उन गांवों से भी भाजपा जीत कर आई है और इंडियन नेशनल लोकदल जिसे अपनी सीट बचाने के लिए बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ी। राकेश टिकैत समेत कई किसान नेता बुलाने पड़े। भाजपा को प्रचार से रोकना पड़ा। घेराव करने पड़े। उसके बावजूद इतनी छोटी सी जीत से समझना चाहिए कि यह जीत नहीं उनकी हार है और अगली बार के लिए उन्हें तैयार रहना चाहिए।


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Content Writer

Isha