क्या लॉकडाउन या कर्फ्यू में धारा 144 का उल्लंघन करने पर पुलिस कर सकती है सीधे FIR दर्ज ?
4/7/2020 12:17:34 PM
चंडीगढ़ (धरणी)- कोरोना वायरस (COVID-19) संक्रमण को देश में फैलने से रोकने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत माह 25 मार्च 2020 से 21 दिनों के लिए अर्थात 14 अप्रैल 2020 तक सारे देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन घोषित किया जिसके साथ साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों और केंद्र शाषित प्रदेशो के प्रशासकों और उनके सलाहकारों को पत्र जारी कर उन्हें निर्देश दिया है कि वह अपने अपने अधिकार-क्षेत्र में लॉकडाउन का आदेश न मानने/तोड़ने वालो लोगो के विरूद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही करें जिसमे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 188 और आपदा प्रबंधन अधिनियम (डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट), 2005 की उपयुक्त धाराओ का प्रयोग करने के लिए लिखा गया है।
ज्ञात रहे कि इस समय सारे पंजाब राज्य और यू.टी. चंडीगढ़ में बीती 23 /24 मार्च से कर्फ्यू भी लागू है एवं सभी सम्बन्धी ज़िलों के डी.सी. (उपायुक्तों ) द्वारा अपने अपने ज़िले के डी.एम.(जिला मजिस्ट्रेट/ज़िलाधीश ) के तौर पर धारा 144 दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC ) का प्रयोग कर अपने जिले में कर्फ्यू लगाने सम्बन्धी आदेश जारी किया जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख है कि इसकी उलंघना करना धारा 188 IPC के अंतर्गत अपराध होगा।
बहरहाल, इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि धारा 188 IPC में किसी सक्षम सरकारी अधिकारी द्वारा विधिवत रूप से जारी किये गए आदेशों की जानकारी के बावजूद उन्हें न मानने अर्थात उनकी जानबूझ कर उलंघना करने पर परिस्थितियों के अनुरूप एक माह से लेकर छः माह तक का कारवास और जुर्माना हो सकता है। उन्होंने बताया कि मौजूदा कोरोना वायरस के संक्रम के दृष्टिगत चूँकि इसकी रोकथाम के लिए जारी कर्फ्यू और लॉडाउन लागू करने के आदेशों की उलंघना करने से समाज में लोगो का स्वास्थ्य , सुरक्षा और उनके जीवन पर संकट होगा, इसलिए इस पर छः माह तक के कारावास का सख्त प्रावधान लागू होगा। उन्होंने आगे बताया की दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के पहले अनुच्छेद के अनुसार धारा 188 संज्ञेय (कॉग्निजेबल) और बेलेबल ( ज़मानती) अपराध है। संज्ञेय अपराध वह होता है जिसमे पुलिस बिना वारंट के किसी आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है।
हेमंत ने बताया कि आज से 34 वर्षो पूर्व 20 फरवरी, 1986 को हरियाणा सरकार के न्याय-प्रशासन एवं गृह विभाग द्वारा नोटिफिकेशन जारी कर प्रदेश में आई.पी.सी. की धाराओं 188 एवं 506 को गैर-ज़मानती घोषित किया गया था तब से लेकर आज तक उक्त नोटिफिकेशन हरियाणा में लागू है।