राइस मिलों पर पुलिस का पहरा, अब 4 कमेटियां करेंगी जांच

11/22/2019 1:50:11 PM

करनाल(मनोज): धान खरीद में घोटाले के आरोपों के बाद प्रदेश सरकार एक्शन मोड में है। फिजीकल वैरीफिकेशन वीरवार को शुरू नहीं हो पाई। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के पास मुख्यालय से कमेटी गठित करने का लैटर आ चुका है। शुक्रवार को दोपहर बाद पी.वी. शुरू होने की सम्भावना जताई जा रही है। 

दूसरे दिन भी सी.एम.आर. राइस मिल पुलिस के पहरे में रहे। प्रशासन की टीम कमेटी के गठन की कार्रवाई में जुटी रही। अधिकारियों की मानें तो आज 4 सदस्यीय कमेटी काम शुरू कर देगी। पी.वी. पूरी होने के बाद राइस मिलों से पुलिस का पहरा हटेगा। 10 टीमों में कुल 218 पुलिस जवान इस काम में लगाए गए हैं। 

इस कार्रवाई से राइस मिलर्स में रोष दिखा। व्यापारी नेता मांग कर रहे हैं कि मिल के बाहर से पुलिस का पहरा हटाया जाए। प्रशासन को फिजीकल वैरीफिकेशन करनी है तो करे लेकिन इसमें पुलिस को साथ लेकर खौफ का माहौल न बनाए। बता दें कि जिले में 316 राइस मिल सी.एम.आर. काम कर रहे हैं। 3 खरीद एजैंसियों ने पी.आर. धान की खरीद की थी। जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सबसे अधिक 203 राइस मिल हैं। वेयरहाऊस के 36 और हैफेड के 77 राइस मिल सी.एम.आर. का काम कर रहे हैं।

यह है मामला
पी.आर. धान की सरकारी खरीद में काफी दिनों से घोटाले के आरोप लग रहे थे। बीते दिनों यह मुद्दा विधानसभा में भी गूंजा था। आरोप है कि मंडी प्रशासन, आढ़ती, मिलर्स और खरीद एजैंसी के इंस्पैक्टरों ने मिलीभगत कर बड़े घोटाले को अंजाम दिया। धान केवल कागजों में उगी। असल में इसे खरीदा ही नहीं गया। अब दूसरे राज्यों से सस्ता चावल लाकर एफ.सी.आई. में जमा करवा दिया जाएगा। बता दें कि सी.एम.आर. का काम कर रहे मिल सरकारी पी.आर. धान की खरीद कर चावल लौटाते हैं। इसके बदले में उन्हें राशि सरकार चुकाती है। 1 क्विंटल धान पर 67 किलो चावल लौटाना होता है।

अनिल कुमार, डी.एफ.एस.सी., करनाल ने कहा कि मुख्यालय की तरफ से कमेटी गठित करने का लैटर आया है। डी.सी. को इससे अवगत करवा दिया है। वही तय करेंगे कि कमेटी में किस-किस को शामिल किया जाएगा। इसके बाद फिजीकल वैरीफिकेशन शुरू होगी।


स्टेट के बाद अब चंडीगढ़ की टीमें खंगालेंगी  राइस मिलर्स का रिकार्ड : डी.एफ.एस.सी. अनिल
गठन के बाद नई सरकार को सूचना मिली थी कि सी.एम.आर. का कार्य करने वाले अधिकतर मिल मालिक धान के पर्चे तो कटवा लेते हैं लेकिन वह धान नहीं खरीदते। जब चावल की गाडिय़ां सरकार के पास जमा करवाने का समय आता है तो मिङ्क्षलग का काम करने वाले व्यापारी बिहार, यू.पी. जैसे राज्यों से सस्ता चावल खरीदकर सरकारी गोदामों में जमा करवाकर सरकार को मोटी चपत लगाते हैं। 

इसे लेकर सोमवार देर रात को पूरे जिले के अलग-अलग अधिकारियों की टीमों ने कई राइस मिलों में दबिश देकर जांच भी की और कई मिलों का रिकार्ड खंगाला। फिलहाल अधिकारियों की टीमों को कोई ऐसे दस्तावेज नहीं मिले जिसे लेकर मिल मालिक के खिलाफ शिकंजा कसा जा सके। 

सूत्र बताते हैं कि दोबारा चैकिंग करने के लिए चंडीगढ़ की कई टीमों को सरकार ने तैयार कर दिया है जो 1-2 दिन के बाद मिङ्क्षलग का काम करने वाले राइस मिलों की जांच करेंगी। डी.एफ.एस.सी. अनिल कुमार ने बताया कि हम मिलिंग का करने वाली हर मिल की जांच करेंगे तथा इसके लिए चंडीगढ़ से कई टीमें 1-2 दिन में जिले में पहुंच जाएंगी। जो भी मिल मालिक इस मामले में दोषी पाया जाता है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

Edited By

vinod kumar